इटारसी। मुंबई से निकले थे पैदल। नासिक पहुंचे तो थकान ने लगभग तोड़ दिया था। आगे का सफर पैदल नहीं करके सायकिल से करने का निश्चय किया। नासिक में दस हजार का मोबाइल चार हजार में बेचा और फिर इस पैसे से सायकिल खरीदी और फिर दस दिन का सफर तय करके इटारसी तक पहुंचे।
ये कहानी है, उन मजदूरों की जो मुंबई से पलायन करके अपने घर वापस जा रहे थे। इटारसी तक आने पर उनकी सायकिल भी पंचर हो गयी। रात का वक्त था, किसी तरह से इटारसी में लोगों ने परेशान हाल देखा तो सचखंड लंगर सेवा समिति को खबर की। आठ से दस की संख्या में आये इन मजदूरों को रात में ही सबसे पहले समिति ने भोजन कराया। फिर रात 10 बजे पंक्चर की दुकान खुलवाकर इनकी सायकिल का पंचर बनवाया। समिति के सदस्य जोगिंदर सिंह, राहुल रोकड़े, हनी बिंद्रा, गोगी सेठी, लकी अरोरा, गौरव, नितेश, मानस सलूजा आदि सेवादारों ने इन मजदूरो को प्रेम से भोजन करवाया इसके बाद अगले पड़ाव के लिए इनको रवानगी दी।
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दस हजार का मोबाइल 4 हजार में बेच, सायकिल खरीदी


Rohit Nage
Rohit Nage has 30 years' experience in the field of journalism. He has vast experience of writing articles, news story, sports news, political news.
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