दीवाली पर गोंडी नृत्य और गीत की परंपरा निभाई

Post by: Manju Thakur

इटारसी। शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर ग्राम झालई में आदिवासी समाज ने दीपावली पर्व के अवसर पर एकत्र होकर परंपरागत रूप आदिवासी रीति-रिवाजों के साथ त्योहार मनाया।
बता दें कि करीब आधा दर्जन गांव के लोगों ने यहां एकत्र होकर इस पर्व को अपने रीति-रिवाजों के साथ मनाया। इस दौरान परंपरागत वेशभूषा में आदिवासी आए थे। गोंडी गीत और नृत्य के साथ सभी ने दीपावली पर्व का आनंद उठाया और पूजन-पाठ करके पुरानी परंपराएं भी निभाई। आज बदलते रहन-सहन और आधुनिकता के बावजूद आदिवासी अपनी परंपरा से नहीं हटे हैं। पांच से सात गांव एक साथ में मिलकर दीवाली का त्योहार मनाते हैं। आदिवासियों में ऐसी एकता अनूठी बात है। ये आदिवासी पुरानी परंपराओं को निभाते चले आ रहे हैं। ये समाज बरसों से अपने आप में मस्त गोंडी नृत्य का आनंद लेते हुए एक साथ पूजा पाठ करके कार्यक्रम का समापन करता है। एक तरह से आदिवासियों का यहां मेला लगा था। इस अवसर पर आदिवासी सेवा समिति तिलक सिंदूर से अध्यक्ष बलदेव तेकाम, पूर्व उपाध्यक्ष मंगल सिंह कुमरे, सचिव जितेंद्र इवने, नजरपुर सरपंच लखनलाल कुमरे, महेश उइके, विनोद बारीवा मीडिया प्रभारी टीम साथ पहुंचे।

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