इटारसी। श्री दुर्गा मंदिर परिसर शिवनगर चांदौन में श्रीमद् भागवत कथा का विश्राम भंडारे के साथ हुआ। कथावाचक पंडित भगवती प्रसाद तिवारी ने बताया कि सतगुरू श्री शुकदेवजी महाराज ने भागवत के माध्यम से समझाया कि मुक्ति तन के मरने पर नहीं, मन के मरने पर प्राप्त होती है। सत्कर्म, सत्संग और संकीर्तन से मनुष्य का जीवन सुखमय, शांतिमय, आनंदमय होता है।
श्री तिवारी ने कहा कि संसार में कुछ लोग ऐसा समझने लगे हैं कि पैसा कमाना है तो झूठ, पाप, चोरी, बेईमानी करना पड़ती है। पाप किए बिना पैसा नहीं मिलता है। संत ग्रंथ कहते हैं कि जो पैसा प्रारब्ध में है, वही मिलेगा। मानव अज्ञानता से ऐसा समझता है कि आज मैं झूठ बोला इसलिए मुझे लाभ हुआ। ये बड़ी भूल है। आज तुम्हें लाभ होने वाला ही था, झूठ बोलने का पाप तेरे माथे आया और दुख भोगना पड़ेगा। झूठ बोलने से पैसा नहीं मिलता है। अरे, जिसके भाग्य मे पैसा लिखा नहीं है, वह हजार झूठ बोले तो क्या उसको पैसा मिलेगा? भगवान बड़े दयालु हैं, वे तो नास्तिक को भी पैसा, सुख देते हैं। जो ऐसा बोलता है कि मंै ईश्वर को नहीं मानता उसको भी भगवान धन देते, मान देते, सुख देते हैं। आप भक्त हो, सज्जन हो, धार्मिक हो, न्याय, नीति से कमाते हो, आपको भगवान धन देंगे, आपको सुख मिलेगा ही। प्रभु में, सत्य में, विश्वास रखो। जो मनुष्य तन और धन को बहुत संवारता वो संसारी और जो तन और धन से ज्यादा मन को संवारता है वह संत हैं। जिसका मन बहुत बिगड़ा हुआ है, उसका यह जन्म तो बिगड़ेगा, दूसरा जन्म भी बिगड़ जाएगा। अपने मन को संभालो इसे बिगडऩे मत दो। अपने मन को सुधारो। आपके मन को दूसरा कोई सुधार नहीं सकता है।