पूड़ी बनाने वाली महिलाओं को शोषण से मुक्ति हेतु संवाद

Post by: Manju Thakur

इटारसी। पूड़ी बेलने बनाने वाली महिलाओं को शोषण से मुक्ति हेतु संवाद कार्यक्रम का आयोजन सामाजिक सरोकार के संगठन सहयोग के द्वारा किया जा रहा है। यह आयोजन रविवार को श्री प्रेमशंकर दुबे स्मृति पत्रकार भवन में दोपहर 3 बजे से होगा।

इन महिलाओं की जो समस्या है उसमें उनकी प्रमुख समस्यायें
30 से 70 साल तक की गरीब महिलायें अपने परिवार के जीविकोर्पाजन के लिये पूड़ी बेलने का कार्य करती है। इनके काम के घंटे प्रति कार्यक्रम में 12 से 18 घंटे होते है और पारिश्रमिक के रूप में 300 से 350 रुपए तक प्रति महिला को दिये जाते हैं। कम काम का बहाना बनाकर एक साइट से दूसरी साइट और फिर तीसरी साइट तक भेजा जाता है और पारिश्रमिक के नाम पर वही 300 से 350 रुपए दिये जाते हैं।
इन महिलाओं से सब्जी कटवाना एवं खाद्य सामग्री को धुलवाना आदि कार्य भी कराये जाते हैं। रात्रि में लौटते समय इन महिलाओं की थैलियां भी चेक होती हैं कि कहीं बनी हुई सामग्री के अलावा और कुछ तो नहीं ले जा रही है। जिसके यहां भी पार्टी के कई प्रकार के व्यंजन बनते हैं उनके बजाए इन महिलाओं को खिचड़ी, दाल चावल या पूड़ी सब्जी और बहुत हुआ तो एक मीठा दे दिया जाता है। देर रात्रि होने पर इन महिलाओं को किसी उस्ताद या असिस्टेंट के साथ भेजा जाता है। कभी-कभी 8-8 घंटे दिन तक पेमेंट नहीं दिया जाता है। पूड़ी तलने या खाद्य सामग्री बनाने में जल जाने पर इलाज कराने में आना कानी की जाती है और जितने दिन उस महिला का इलाज चलता है वह बेरोजगार रहती है उसे किसी भी प्रकार की आर्थिक मदद नहीं की जाती है। इन महिलाओं को दुर्घटना बीमा भी नहीं कराया जाता है। जिन महिलाओं के छोटे बच्चे होते है उनके लिये दूध और झूले की व्यवस्था नहीं होती है।

इन महिलाओं की जो मांग है उसमें उनकी प्रमुख मांगे
8 घंटे का वेतन न्यूनतम 450 रुपए दिया जाए। क्योंकि ये महिलाये कुशल मजदूर की श्रेणी में आती है। 8 घंटे से ज्यादा काम करने पर प्रति घंटे 80 रुपए ओवर टाइम दिया जावे। देर रात्रि में महिलाओं को छोडऩे के लिये वाहन व्यवस्था हो तथा एक जबावदार आदमी उन्हें उनके घर छोड़ कर आये। भोजन घर में प्राथमिक उपचार का किट हो। दुर्घटना होने पर महिला का पूरा इलाज निषुल्क कराया जावे एवं जितने दिन उसका इलाज चलता है उसके पारिश्रमिक का 50 प्रतिषत उसे दिया जावे। महिला को एक साइट से दूसरी साइट और फिर तीसरी साइट पर भेजने के अलग-अलग चार्ज आपसी सहमति के आधार पर दिये जावे। भोजन घर में फायर सेफ्टी उपकरण लगाया जाए। सहयोग संस्था के संयोजक प्रमोद पगारे ने उपरोक्त जानकारी दी।

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