– विनोद कुशवाहा (Vinod Kushwaha) :
विगत् दिनों अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) ने ट्रोलर्स के खिलाफ बेहद असभ्य आचरण का प्रदर्शन किया। उनके प्रशंसक कहते हैं कि वे करोड़ों दिलों की धड़कन हैं लेकिन अमिताभ कभी हजारों दिलों की धड़कन भी नहीं रहे। सही मायने में सुपर स्टार राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) लाखों दिलों की धड़कन थे। उनका हर आयु वर्ग के दर्शकों में क्रेज था। अमिताभ भले ही तथाकथित ‘ मेगा स्टार ‘ कहलाए या बॉलीवुड के कुछ घरानों ने उन्हें ‘ बिग बी ‘ कहकर भी पुकारा। इस सबके बावजूद वे कभी भी राजेश खन्ना जैसी लोकप्रियता हासिल नहीं कर पाए। उनके नाम पर ‘ बोल बच्चन ‘ ( 2012 ) और ‘ शमिताभ ‘ ( 2015 ) जैसी कुछ घटिया फिल्में भी बनीं जो बहुत बुरी तरह फ्लॉप हुईं फिलहाल बात उनके भड़कने की। दरअसल अमिताभ जब कोरोना पॉजिटिव हुए तब से ही ‘नानावटी हॉस्पिटल ‘ (Nanavati Hospital) ज्यादा चर्चा में आया है । अभिषेक, ऐश, आराध्या सहित उनका पूरा परिवार वहां एडमिट क्या हुआ ‘नानावटी’ इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया में छाया रहा। इतनी पब्लिसिटी इस हॉस्पिटल को कभी नहीं मिली। अमिताभ खुद भी कुछ इस तरह की हरकतें करते रहे कि मीडिया का ध्यान भी ‘ कोरोना ‘ से हटकर ‘ नानावटी ‘ की तरफ जाता रहा।
अभी पिछले दिनों ही अमिताभ ने ब्लॉग लिखकर फिर ‘ नानावटी ‘ को चर्चा में ला दिया था। इस बार वे ट्रोलर्स पर भड़क रहे थे। ट्रोलर्स पर भड़कते हुए उन्होंने जिस भाषा का प्रयोग किया वह असभ्य आचरण की श्रेणी में आता है । इतना ही नहीं उन्होंने ट्रोलर्स को ये कहकर धमकी भी दी कि – ” मेरी 9 करोड़ फ़ॉलोअर्स की सेना , उन्हें कहूंगा – ठोंक दो सा sss को ” । ब्लॉग के अंत में उन्होंने एक निम्न स्तरीय कविता भी इस संदर्भ में लिखी जो उनकी गरिमा के कतई अनुरूप नहीं थी । इस कविता में ट्रोलर्स को वे तमाम गालियां और बद् दुआएं भी शामिल हैं जिन्हें पढ़कर आपका सर भी शर्म से झुक जाएगा। इससे पहले भी अमिताभ एक गिरी हुई हरकत और कर चुके हैं। उन्होंने इंस्टाग्राम पर अपनी एक पोस्ट में लिखा – ‘ दुश्मन बनाने के लिए जरूरी नहीं लड़ा जाए, आप थोड़े कामयाब हो जाओ तो वो ” खैरात ” में मिलेंगे ‘। इस पोस्ट के साथ उन्होंने खुद का एक ‘ ब्लैक एंड व्हाइट ‘ फोटो भी शेयर किया है जिस पर ” किस ” देने से बने लिपिस्टिक के निशान भी दिखाई दे रहे हैं । इसे कहते है अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना।
एक तरफ राजेश खन्ना थे जिनको ये सब नौटंकी करने की जरूरत नहीं पड़ती थी। शूटिंग खत्म होने के बाद जब वे पार्किंग से अपनी कार बाहर निकालते थे तो उस पर हजारों लिपिस्टिक के निशान होते थे क्योंकि राजेश खन्ना तो बस राजेश खन्ना थे। उन्होंने कभी अपना बुरा चाहने वालों को भी अपशब्द नहीं कहे। अमिताभ बच्चन ने काका की तरह कोई ” सिग्नेचर” फिल्म नहीं दी अपितु उन्होंने ‘ निःशब्द ‘ और ‘ चीनी कम ‘ जैसी फिल्में कर के जया सहित कई करीबी लोगों को नाराज कर दिया था। ‘ के बी सी’ तो आपका पसन्दीदा शो रहा होगा। इस शो ने ही कर्ज में गले तक डूबे अमिताभ को डूबने से बचाया था । खैर । यदि ये आपका पसंदीदा शो रहा है तो आपने यह भी गौर किया होगा कि किसी महिला प्रतिभागी के आने से अमिताभ इस उम्र में भी कितने उत्तेजित हो जाते थे। ‘ ओव्हर रिएक्ट ‘ करने लगते थे। कुछ सभ्रांत परिवार की प्रतिभागियों ने तो उन्हें भाव ही नहीं दिया और जो सही मायने में सभ्य सुसंस्कृत प्रतिभागी थीं उनमें से एक प्रतिभागी ने तो इस तथाकथित महानायक को बहुत बुरी तरह लताड़ा भी था। तब बेबस, असहाय, लाचार, वृद्ध, बुजुर्ग अमिताभ शमिताभ खिसियानी हंसीं हंस कर रह गए थे। अगली बार फिर वही हरकत। महिला प्रतिभागियों को रिझाने के लिए वही घिसा पिटा संवाद – ‘ नाम विजय दीनानाथ चौधरी ‘। या वही घिसी पिटी कविता – ‘ तुम होतीं तो ऐसा होता ‘ । मेरे एक हास्य कवि मित्र ( मंचीय नहीं ) ने इस कविता को आगे बढ़ाया है – ” तुम इस बात पर हाथ उठातीं , तुम उस बात पर सैंडिल निकालतीं ” । यह कविता ‘ के बी सी ‘ जैसे शिक्षाप्रद शो में शमिताभ की उपर्युक्त हरकतों पर सटीक बैठती है।
कभी समाजवादी पार्टी के महासचिव रहे राज्य सभा सदस्य एवं जाने – माने उद्योगपति स्वर्गीय अमर सिंह (Amar Singh)) एक समय राजनीतिक परिदृश्य पर किंग मेकर की भूमिका में थे । अमिताभ बच्चन को कर्ज से ऊबारने और रामदेव बाबा के पतंजलि संस्थान को स्थापित करने में उनकी महती भूमिका रही। जया बच्चन और जयाप्रदा को राजनीति में लाने का श्रेय भी सिर्फ उनको ही जाता है। इन दोनों में जयाप्रदा ही उनके प्रति अंत तक निष्ठावान रहीं। इसके चलते जया बच्चन से आमना – सामना होने पर उन्होंने जया को हमेशा खरी – खोटी सुनाई। अमिताभ पर तो उन्होंने खुलेआम आपराधिक मामलों में लिप्त होने के आरोप लगाए थे । हालांकि बीमारी के चलते अमरसिंह ने अंतिम वक़्त जानकर बच्चन परिवार से माफी भी मांग ली थी । उल्लेखनीय है कि ” बोफोर्स ” के साथ – साथ अमिताभ बच्चन का नाम ” पनामा पेपर्स विवाद ” में भी सामने आया था । ध्यान रहे कि अमरसिंह जैसे नेता ने बिना किसी ठोस सबूत के अमिताभ पर आरोप नहीं लगाया होगा । खैर ।
बच्चन परिवार की कृतघ्नता के एक नहीं कई किस्से हैं। उनमें से कुछ का जिक्र तो मैं इसी कॉलम में पहले कर चुका हूं। आपको याद होगा कभी अभिषेक बच्चन (Abhishek Bacchan) की सगाई करिश्मा कपूर (Karishma Kapoor) से हुई थी। करिश्मा ने ही अपनी बुआ रितु नंदा के बेटे निखिल नंदा से श्वेता बच्चन की मुलाकात कराई थी। बाद में ये मुलाकात शादी में बदल गई । इसका श्रेय करिश्मा को ही जाता है। मगर एक समय ऐसा भी आया जब काम निकलने पर बच्चन फैमिली ने करिश्मा कपूर को दूध में से मक्खी की तरह निकाल कर फेंक दिया । सगाई भी तोड़ दी। साथ ही टूट गया करिश्मा का दिल भी। अंततः करिश्मा कपूर को 2003 में एक तलाकशुदा उद्योगपति संजय कपूर (Sanjay Kapoor) से शादी करना पड़ी और 2010 में दोनों अलग भी हो गए। आखिरकार जून , 2016 में उनका तलाक हो गया । जबकि करिश्मा के दो बच्चे भी थे । समाइरा और कियान । इस तरह करिश्मा की ज़िंदगी बर्बाद हो गई। हां , इस बीच रानी मुखर्जी (Rani Mukharji) की ‘ एंट्री ‘ बच्चन परिवार में जरूर हुई क्योंकि अभिषेक के साथ वे ‘ बंटी और बबली ‘ जैसी कुछ B ग्रेड की फिल्में कर रही थीं । कहा जाता है कि उन्हें भी एक तरह से बच्चन परिवार की बहू मान लिया गया था । अभिषेक – रानी की जोड़ी की तुलना अमिताभ-जया से की जाने लगी। जया की तरह रानी भी बांग्ला परिवार से थीं। रानी की पहुंच बच्चन फैमिली के किचन तक थी । रानी का हश्र भी करिश्मा की तरह हुआ पर समय रहते उन्होंने अपने को सम्हाल लिया और ये उनका सौभाग्य था कि उनको आदित्य चोपड़ा का साथ जीवन भर के लिये मिल गया। आज वे एक बेटी ‘ अदिरा ‘ की माँ हैं और अपनी घर गृहस्थी में सुखी भी हैं ।
कहा जाता है कि तेजी बच्चन ने जया को कभी पसन्द नहीं किया। जया ने भी कितने समय उनको अपने साथ रखा ये जग जाहिर है । हां तेजी बच्चन को कभी रेखा जरूर पसन्द थीं। कहा तो ये भी जाता है कि रेखा (Rekha) आज भी अमिताभ के नाम का सिंदूर अपनी मांग में भरती हैं लेकिन ये सरासर गलत है । तो फिर ये सिंदूर किस के नाम का है ? कथित रूप से ये सिंदूर संजय दत्त (Sanjay Dutt) के नाम का है। फिल्म ‘ जमीन आसमान ‘ की शूटिंग के दौरान दोनों काफी नजदीक आ गए थे। दोनों ने विधिवत् विवाह भी कर लिया पर सुनीलदत्त ने इस रिश्ते को मंजूरी नहीं दी थी। खैर ।
सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की संदेहास्पद मृत्यु के बाद बॉलीवुड के कुछ घरानों पर भी जांच की आंच आई है। उसकी चर्चा फिर कभी। फिलहाल बात फिल्मों के लिये दिये जाने वाले पुरस्कारों की जिन पर हमेशा अंगुली उठाई जाती रही है क्योंकि ‘ बच्चन परिवार ‘ का नाम इसमें भी उछला है। पिछले दिनों एक प्रतिष्ठित दैनिक में शेखर गुप्ता ने लिखा भी है – ” पुरस्कार पाने वालों की लिस्ट आते ही दबाव पड़ने लगता। अवार्ड के कार्यक्रम में कोई स्टार आएगा या नहीं , यह इस पर निर्भर होगा कि उसे कोई पुरस्कार मिल रहा है या नहीं। अगर हम अवार्ड की व्यवस्था नहीं करते तो केवल वह स्टार ही नहीं बल्कि उसका पूरा गुट या घराना बायकॉट कर देता था। इसका पहला अनुभव हमें शायद 2004 में मिला, जब ऐसे ही एक असंतोष के कारण ‘ बच्चन घराने ‘ ने बायकॉट किया था । “
तो ये है अमिताभ शमिताभ बच्चन की असलियत। ऐसे में ‘ निंदक नियरे राखिए ‘ की उक्ति को परे हटाकर उनका भड़कना स्वभाविक है जबकि उन्हें बेहद सभ्य और सुसंस्कृत माना जाता है।
अंत में –
आप हमेशा याद रहेंगीं कुमकुम …
…दूर से आये हैं हम
तेरे मिलने को सनम
पिछले दिनों फिल्म जगत की मशहूर अदाकारा कुमकुम उर्फ जेबुन्निसा नहीं रहीं। 86 वर्ष की आयु में मुंबई में उनका देहावसान हो गया । वे कभी स्टार नहीं रहीं लेकिन एक समय वे हर फिल्म का महत्वपूर्ण हिस्सा हुआ करती थीं। उन्होंने करीब 100 से भी अधिक फिल्मों में काम किया जिनमें से एक ‘ मदर इंडिया ‘ भी थी। सामान्य नैन नक्श , औसत कद की कुमकुम में जबरदस्त आकर्षण था। हेलन (Helen) के बाद यदि आप किसी का नृत्य देखना चाहते हैं तो निसंदेह वे कुमकुम ही होना चाहिए। उनकी आंखें सामान्य अवश्य थीं लेकिन उनमें एक बिजली सी चमकती थी। फिर देर किस बात की । आज की रात यू ट्यूब पर देखिए। फिल्म ” काली टोपी लाल रुमाल ” का गीत ‘ दगा दगा वई वई वई’। इसके शब्दों पर मत जाईये। आगे देखिए गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी क्या लिखते हैं –
यूं ही राहों में खड़े हैं
तेरा क्या लेते हैं
देख लेते हैं
जलन दिल की बुझा लेते हैं
संगीत चित्रगुप्त का है। … और गायिका स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर । एक बार फिर कह रहा हूं । सोने से पहले कुमकुम (Kumkum) को जरूर देखिए । … दगा दगा वई वई वई । यही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी । हम आपको कभी नहीं भूल पाएंगे कुमकुम । आप हमेशा याद रहेंगीं।
विनोद कुशवाहा
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