– विनोद कुशवाहा :
अमिताभ बच्चन कोरोना पॉजिटिव (Amitabh Bachchan Corona Positive) पाए गए हैं। वहीं जया (Jaya Bachchan) की टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आई है। अमिताभ से पता पूछकर कोरोना रेखा (Rekha) के घर भी जा पहुंचा। रेखा के सुरक्षा कर्मचारी की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई है।
ये दूसरी बार हुआ है जब देश भर में अमिताभ (Amitabh Bachchan) की सलामती के लिए दुआएं मांगीं जा रहीं हैं। इसके पहले मनमोहन देसाई की फिल्म ‘ कुली ‘ की शूटिंग के दौरान पुनीत इस्सर के मात्र एक घूंसे से अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) टेबल से जा टकराये थे और घायल हो बैठे। उस समय देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Smt Indira Gandhi) थीं जो अपनी विदेश यात्रा अधूरी छोड़कर वापस भारत लौट आईं और अमिताभ (Amitabh Bachchan) को देखने सीधे हॉस्पिटल पहुंच गईं। कहा जाता है कि रेखा (Rekha) भी उसी समय अपनी शूटिंग छोड़कर महाकाल के दरबार में जा पहुंचीं थीं। वहां उन्होंने अमित जी के स्वास्थ्य लाभ के लिए महामृत्युंजय का जाप भी कराया था। उनका जप – तप काम आया । महाकाल के दरबार में उनकी प्रार्थना स्वीकार हुई और अमिताभ ठीक हो गए। सिर्फ उनके साथ हुई इस दुर्घटना के कारण ‘ कुली ‘ जैसी फिल्म हिट हो गई थी । वरना उसमें हिट होने के लिए कोई मसाला नहीं था। यही वजह थी कि जिस दृश्य में अमिताभ बच्चन घायल हुए थे वहां फिल्म को स्थिर कर बताया जाता था कि इस दृश्य में अमिताभ को चोट लगी थी। आज भी टी वी पर सारे न्यूज़ चैनल उसी दृश्य को बार – बार दिखा रहे हैं। रेखा ने तो अभी तक पुनीत इस्सर को माफ नहीं किया है। माफ तो महाकाल ने कुख्यात अपराधी विकास दुबे को भी नहीं किया जो उज्जैन के मंदिर परिसर में निर्भय होकर टहलते हुए अपना फोटो सेशन करवाता रहा था।
अमिताभ बच्चन को तो उस समय तक हॉलीवुड में कोई जानता भी नहीं था। विश्व सिनेमा में केवल सत्यजित राय की ही अपनी अलग पहचान थी। वे भी बांग्ला में फिल्में बनाते थे। एक बार उनसे किसी पत्रकार ने पूछा कि – ” क्या आप हिंदी फिल्म देखते हैं? “उन्होंने जवाब दिया – ” मैं ऐसी फिल्में नहीं देखता जिनमें एक गरीब आदमी का किरदार निभाने के लिए कोई अभिनेता लाखों रुपये लेता हो।” उनका इशारा शायद अमिताभ की तरफ ही था ।
अमिताभ बच्चन कोलकोता जाते हैं तो अपने को वहां का दामाद बताते हैं। जब अमिताभ भोपाल आते हैं तब खुद को मध्यप्रदेश का दामाद कहलाना पसंद करते हैं। इसी भ्रम में मध्यप्रदेश की भा ज पा सरकार ने एक कार्यक्रम की एंकरिंग के लिए अमिताभ बच्चन से संपर्क किया। अमिताभ ने म प्र सरकार के सामने 40 लाख की मांग रख दी। क्यों नहीं मांगते। आखिर दामाद हैं प्रदेश के पर सरकार को ‘ सरकार ‘ की मांग रास नहीं आई। अन्ततः कबीर मोदी ने कार्यक्रम का संचालन किया जिनकी आवाज अमिताभ बच्चन(Amitabh Bachchan) से बीस नहीं तो उन्नीस भी नहीं है ।
गांधी परिवार (Gandhi Family) के बच्चन फैमिली से सम्बंध तो नेहरू जी के समय से थे। मिलिट्री की नौकरी छोड़ने के बाद जब हरिवंश राय बच्चन (Harivansh Rai Bachchan) लगभग बेरोजगार हो गए तब तेजी बच्चन के कहने से नेहरू जी की सिफारिश पर ही हरिवंश राय बच्चन को विदेश मंत्रालय में नौकरी दी गई थी। नेहरू जी के सचिव मथाई ने अपनी आत्मकथा में इसका स्पष्ट उल्लेख किया है।
अमिताभ नाम पंत जी का दिया हुआ था। उपनाम श्रीवास्तव है। हरिवंशराय जी की छाप बच्चन के रूप में थी। तब से पूरा परिवार ही बच्चनमय हो गया । अमिताभ मात्र स्नातक हैं।
अमिताभ (Amitabh Bachchan) जब कोलकाता में नौकरी कर रहे थे तभी उनके छोटे भाई अजिताभ ने अखबार में एक विज्ञापन देखकर उनकी फोटो ख़्वाजा अहमद अब्बास को भेज दी थी। आज अजिताभ सामने तक नहीं आते। कहा जाता है कि उनका अपनी पत्नी रमोला से अलगाव भी हो गया है जो कभी अमिताभ बच्चन की मित्र हुआ करतीं थीं। अजिताभ की तीन बेटियां और एक बेटा है। एक बेटी नैना ने फिल्म अभिनेता कुणाल कपूर ( रंग दे बसंती फेम ) से शादी की है। दूसरी बेटी नम्रता है जो अपने दादा हरिवंशराय बच्चन की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए कविता भी लिखती है। साथ ही उनको पेंटिंग्स बनाने का शौक भी है। तीसरी बेटी का नाम नीलिमा है और बेटा भीम है।
ख़्वाजा अहमद अब्बास उन दिनों ‘ सात हिंदुस्तानी ‘ फिल्म बना रहे थे। हालांकि उनकी स्टार कास्ट एक तरह से पूरी हो चुकी थी लेकिन हास्य कलाकार आगा के बेटे जलाल आगा के फिल्म से हट जाने के कारण अमिताभ को मुम्बई से बुलावा आ गया। अमिताभ बच्चन जिनकी आवाज तक आकाशवाणी रिजेक्ट कर चुकी थी। अमिताभ मुम्बई पहुंचे तो ख़्वाजा अहमद अब्बास ने हरिवंश राय बच्चन से बात की। बच्चन जी ने सिफारिश करने के बजाय उन्हें सीधा जवाब दिया – ” टेलेंट हो तो ही काम दें”। ऐसे समय इंदिरा जी और नरगिस के कहने से अमिताभ बच्चन का स्क्रीन टेस्ट कराया गया। नरगिस भी नेहरू जी के करीब रही हैं। कहा जाता है कि नेहरू जी के कहने पर ही नरगिस ने हमेशा सफेद साड़ी पहनी। इधर राजकपूर की पत्नी कृष्णा यही समझती रहीं कि राज साहब को सफेद रंग पसन्द है। इसीलिये उन्होंने ताज़िन्दगी सफेद साड़ी पहनी । नरगिस कृष्णा कपूर से जब मिलीं तो नरगिस ने उनसे कहा कि ‘ अगर मैं राज साहब की ज़िंदगी में नहीं होती तो कोई और होता’। तब तक कृष्णा इस बात को समझ चुकीं थीं क्योंकि राज कपूर के जीवन में मात्र नरगिस ही नहीं थीं । सुनीलदत्त से शादी के बाद नरगिस राजकपूर से दूर क्या हुईं राजकपूर की ज़िंदगी में एक के बाद एक अभिनेत्रियां आतीं गईं। वैजयंती माला , ज़ीनत अमान से लेकर पद्मिनी कोल्हापुरे तक का नाम उनके साथ जुड़ा।
तो नरगिस के कहने से न केवल अमिताभ का स्क्रीन टेस्ट हुआ बल्कि उन्हीं के कहने पर सुनील दत्त ने अमिताभ बच्चन को अजंता आर्ट्स की फिल्म ‘ रेशमा और शेरा ‘ में अपने गूंगे भाई की भूमिका के लिए साइन किया। मतलब सुनीलदत्त जैसा पारखी भी अमिताभ की आवाज के जादू को नहीं पहचान पाया। ‘ रेशमा और शेरा ‘ बुरी तरह फ्लॉप हुई। जबकि फिल्म हर दृष्टि से अच्छी थी। जयंत की बुलंद आवाज में ‘ रेशमा और शेरा ‘ के संवाद आज भी कानों में गूंजते हैं। जैसे ‘ शोले ‘ फिल्म के संवाद आप नहीं भूल सकते वैसे ही फिल्म ‘ रेशमा और शेरा ‘ के संवादों को नहीं भुलाया जा सकता। इस फिल्म का एक गीत मनासा ( मध्यप्रदेश ) के बालकवि बैरागी ने भी लिखा था जो कांग्रेस में थे। तू चंदा मैं चांदनी । बैरागी जी विधायक भी रहे और मंत्री भी। कांग्रेस में रहते हुये ही सागर के विठ्ठल भाई पटेल ने भी राजकपूर की ‘ बॉबी ‘ का हिट गीत लिखा था – ” झूठ बोले कौआ काटे “। वे भी विधायक होने के साथ – साथ म प्र शासन में मंत्री भी रहे।
सिर्फ ‘रेशमा और शेरा ‘ ही नहीं अमिताभ बच्चन की सात हिंदुस्तानी, रेशमा और शेरा सहित लगभग एक दर्जन फिल्में सुपर फ्लॉप रहीं। परवरिश , बंधे हाथ , मंजिल , बॉम्बे टू गोवा , रास्ते का पत्थर, एक नजर, बंसी बिरजू , सौदागर जैसी कितनी ही फिल्में थीं जिन्होंने बॉक्स ऑफिस पर पानी तक नहीं मांगा। सुनीलदत्त का एहसान तो अमिताभ ने संजय दत्त की फिल्म ‘ कांटे ‘ में काम कर के चुका दिया क्योंकि इसके लिए उन्होंने अपना मेहनताना नहीं लिया था। मुम्बई में काम तो उन्हें सबने दिया । महमूद का भाई अनवर अमिताभ बच्चन का मित्र था। उसके कहने पर ही महमूद ने न केवल अमिताभ को अपने घर में पनाह दी बल्कि उनके लिये ‘ बॉम्बे टू गोवा ‘ बनाने का जोखिम भी उठाया। जो किशोर दा के हिट गीत – ” देखा न हाय रे , सोचा न हाय रे , रख दी निशाने पर जान ” के बाद भी बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरी। यहां ये भी उल्लेखनीय है कि इस फिल्म में अमिताभ बच्चन की नायिका अरुणा ईरानी थीं जिनके साथ उन दिनों महमूद के प्रेम संबंध थे। सो फिल्म के फ्लॉप होने का महमूद को बेहद अफसोस हुआ। उससे ज्यादा दुख उन्हें तब हुआ जब वे अमेरिका के एक अस्पताल में मौत से लड़ रहे थे तब अमिताभ अमेरिका में रहते हुए भी उन्हें देखने नहीं गए। काम तो अमिताभ बच्चन को मनोज कुमार ने भी दिया। फिल्म ‘ रोटी , कपड़ा और मकान ‘ याद करिये। उसमें अमिताभ ने मनोज कुमार के बेरोजगार भाई की भूमिका निभाई थी। अमिताभ बच्चन भले ही महानायक कहलाते हों पर बॉलीवुड के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना का जितना क्रेज रहा उतना अमिताभ का क्रेज कभी नहीं रहा । अमिताभ बच्चन क्या किसी का भी इतना क्रेज नहीं रहा । सलमान खान का भी नहीं । यही बात सलीम साहब ने सलमान के जन्मदिन पर तब कही थी जब वो उनके घर के सामने अपने फैन की उमड़ती भीड़ को देख कर खुश हो रहे थे । उन्हीं काका ( राजेश खन्ना ) ने मुन्ना ( अमिताभ बच्चन के घर का नाम ) के साथ दो फिल्में कीं । ‘ आनंद ‘ और ‘ नमकहराम ‘ । हालांकि काका का फिल्म इंडस्ट्री में सिक्का चलता था । काका के बारे में बॉलीवुड में एक ही जुमला मशहूर था – ” ऊपर आका , नीचे काका “। फिर भी काका ने दोनों ही फिल्मों में नए नवेले अमिताभ के साथ काम किया । जब उन्होंने अपनी एक पत्रकार मित्र देवयानी चौबल के साथ ‘ आनंद ‘ देखी तो देवयानी ने उसी समय राजेश खन्ना से कहा – ” काका इस लड़के से सावधान रहना ” । इसके बावजूद काका ने अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म ‘ नमकहराम ‘ की जिसमें अमिताभ काका पर भारी पड़े । अंततः हुआ वही जो देवयानी ने काका से कहा था । अमिताभ बच्चन ने राजेश खन्ना को सुपर स्टार के सिंहासन से बेदखल कर दिया । आज वे मेगा स्टार ही नहीं इस सदी के महानायक हैं । हालांकि उन्होंने अब तक कोई ‘ माइल स्टोन ‘ फिल्म नहीं दी है । जैसे गुरुदत्त की प्यासा , दिलीप साहब की देवदास , राजकपूर की आवारा , देवानन्द की गाइड , राजेश खन्ना की आनंद उनके फिल्मी कैरियर में ” मील का पत्थर ” साबित हुईं थीं ।
अब हम वापस आते हैं सलीम साहब पर जो ये कहते हैं कि उन्होंने ‘ आनंद ‘ देखने के बाद जब ‘ जंजीर ‘ लिखी तो उनके ज़ेहन में अमिताभ की ही छवि थी । एक ” एंग्री यंग मैन ” जिसकी झलक उन्होंने ‘ आनंद ‘ के डॉ भास्कर में देखी थी । भले ही इसके लिए पहले देवानन्द , धर्मेन्द्र , राजकुमार , शशिकपूर को एप्रोच किया गया । सबके मना करने के बाद सलीम साहब के कहने पर प्रकाश मेहरा की ये फिल्म अमिताभ बच्चन की झोली में आ गिरी । शशिकपूर का अमिताभ पर ये पहला अहसान नहीं था । इसके पहले भी उन्होंने एक्स्ट्रा की भीड़ में खड़े अमिताभ बच्चन को ये कहकर बाहर निकाल लिया था कि – ” तुम यहां के लिए नहीं बने हो “।
प्रकाश मेहरा ने अमिताभ को तो ‘ जंजीर ‘ के लिये साईन कर लिया पर उनकी लंबाई के चलते कोई हीरोइन उनके साथ काम करने के लिए तैयार नहीं थी । फिर एक तरह से ये नायक प्रधान फिल्म थी । अंततः उनके साथ वही जया भादुड़ी काम करने के लिए तैयार हो गईं जो कभी अमिताभ बच्चन को बिजली का खंबा कहकर उनका मजाक उड़ाया करतीं थीं । लगभग इसी समय पूना फिल्म इंस्टीट्यूट के भास्कर से उनका प्रेम प्रसंग भी चर्चा में आया था । फिल्म ‘ गुड्डी ‘ में तो अमिताभ उनके नायक बनते – बनते रह गए । बाद में ‘ जंजीर ‘ क्या हिट हुई दोनों ने वादे के मुताबिक शादी कर ली और इस तरह मुन्ना गुड्डी की असल ज़िन्दगी में भी नायक बन गए और आज वे महानायक हैं । जबकि इस बीच उनके जीवन में कितने उतार – चढ़ाव आये । रेखा से परवीन तक के साथ उनका नाम जुड़ा । परवीन बॉबी ने तो मरने से पहले बकायदा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के अमिताभ बच्चन पर आरोपों की झड़ी लगा दी थी मगर अफसोस कि उन्हें पागल करार दे दिया गया । रेखा भी पहले अमित जी को नापसंद करती थी । अमिताभ की फ्लॉप फिल्मों को देखते हुए काफी शूटिंग हो जाने के बाद भी रेखा ने अमिताभ बच्चन को फिल्म ‘ एक था चन्दर एक थी सुधा ‘ से निकलवा दिया । अमित जी की जगह संजय खान को कास्ट किया गया । बावजूद इसके ‘ एक था चन्दर एक थी सुधा ‘ बुरी तरह फ्लॉप हो गई । इधर ‘ जंजीर ‘ हिट साबित हुई । हालांकि ‘ जंजीर ‘ हिट होने का कारण केवल अमिताभ बच्चन ही नहीं थे । इस फिल्म में प्राण का दमदार अभिनय भी था । साथ ही थे गुलशन बाबरा के लिखे हिट गीत ।
राजीव गांधी के कहने से अमिताभ राजनीति में उनकी मदद के लिए उतर तो गए मगर बाद में बोफोर्स में नाम सामने आने के बाद वे राजीव जी को अकेला छोड़कर राजनीति के रण से पीछे हट गए। ठीक इसी तर्ज पर जया ने भी अमर सिंह को अकेला छोड़ कर समाजवादी पार्टी का दामन थामे रखा और राज्य सभा में जा पहुंचीं। ये वही अमर सिंह थे जिन्होंने अपनी आर्थिक मदद से अमिताभ बच्चन के परिवार को सड़क पर आने से बचाया था। आपको याद होगा कि अमिताभ ने एक फिल्म प्रोडक्शन कम्पनी बनाई थी। ए बी सी कारपोरेशन। अशरद वारसी और चंद्रचूड़ सिंह इसी कम्पनी की खोज थे मगर इसके बैनर तले बनाई गई सभी फिल्में फ्लॉप रहीं। अमिताभ बच्चन को अपना घर ‘ जलसा ‘ तक बेचने की नौबत आ गई थी। तब अमरसिंह मसीहा बनकर आगे आये । वही अमरसिंह आज अमिताभ की लिस्ट से बाहर हो चुके हैं।
सम्भव है कि कल एक दैनिक के फिल्मों पर केन्द्रित स्तम्भ में स्तम्भकार कपूर परिवार की एक दिन की चाटुकारिता का मोह त्याग कर अमिताभ बच्चन का गुणगान करें। इसके पूर्व ही ‘ नर्मदांचल ‘ परिवार सदी के इस महानायक की सलामती की दुआ करता है। ईश्वर से प्रार्थना है कि अमिताभ शीघ्र ही स्वस्थ होकर वापस अपने काम पर लौटें। साथ ही अपने फिल्मी कैरियर का सर्वश्रेष्ठ देते हुए अपनी ‘ माइल स्टोन ‘ फिल्म देने का भी दिल से प्रयास करें। हम सबको इसकी प्रतीक्षा रहेगी।
विनोद कुशवाहा
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