भोपाल। मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने कहा है कि वन सम्पदा, मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी सम्पदा है। मध्यप्रदेश को अपनी वन सम्पदा पर गर्व है। इसे संरक्षित और सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी वनों से जुडे लोगों और वन विभाग के प्रत्येक सदस्य की है। श्री कमल नाथ ने कहा कि वन से जुड़े लोगों और राज्य के हित के बीच तनाव और टकराहट से बचते हुए वन संरक्षण को आगे जारी रखना होगा। मुख्यमंत्री आरसीवीपी नरोन्हा प्रशासन अकादमी में वानिकी सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
श्री कमल नाथ ने कहा कि बिगड़े वनों को हरा-भरा बनाना,आज सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि वनों का भारतीय संस्कृति से गहरा जुड़ाव है। वनों से सभी प्राणियों का भविष्य जुड़ा है। इसलिये वनों को संरक्षित और सुरक्षित रखते हुए इनका बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
वन संरक्षण अधिनियम के उद्देश्यों को आत्मसात करें वनकर्मी
मुख्यमंत्री ने कहा कि वन अधिकारियों और मैदानी अधिकारियों के सक्रिय सहयोग से ही वन संरक्षण संभव है। उन्होंने कहा कि वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी वन संरक्षण अधिनियम के उद्देश्यों को आत्मसात करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब 1980 में वन संरक्षण अधिनियम बना था, तब की परिस्थितियों और वर्तमान परिस्थितियों में जमीन-आसमान का अंतर है। उन्होंने कहा कि तब लोगों की अपेक्षाएं और आशाएं कम थीं। राष्ट्रीय उद्यान बनाना आसान था।
मध्यप्रदेश की जैव विविधता अत्यंत समृद्ध
श्री कमल नाथ ने कहा कि अब प्राथमिकताएं बदल रही हैं। उन्होंने बांस और छोटे अनाज का उदाहरण देते हुए बताया कि अब ये आर्थिक महत्व की फसल बन रही है। इसके लिये वन विभाग को सहयोगी की भूमिका निभानी होगी। बिगड़े वन क्षेत्रों में सुधार लाने के सभी उपाय अपनाने होंगे। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश की जैव विविधता अत्यंत समृद्ध है। इस पर कई अनुसंधान भी हो रहे हैं। अब दुनिया तेजी से रसायन आधारित फार्मास्युटिकल दवाओं से रसायन-मुक्त फार्मास्युटिकल दवा निर्माण की तरफ बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि वनोपज भविष्य के लिए महत्वपूर्ण सम्पदा है। वन विभाग को इन सब आधारों पर अपनी सोच-समझ बढ़ाते हुए आगे बढ़ना होगा। श्री कमल नाथ ने कहा कि वन विभाग को अब एक दिशा में काम न करते हुए समान उद्देश्य के लिए बहुआयामी रणनीति अपनाना चाहिये।
मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ को वानिकी सम्मेलन में रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर स्वागत किया गया। मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने वनांचल संदेश, कैम्पिंग डेस्टिनेशन और वाईल्डलाईफ डेस्टिनेशन पुस्तकों का विमोचन किया। वन मंत्री श्री उमंग सिंघार ने मुख्यमंत्री को स्मृति-चिन्ह भेंट किया।
वनमंत्री उमंग सिंघार ने संयुक्त वन प्रबंधन समितियों की भूमिका और वन संरक्षण की दिशा में किए जा रहे कार्यों की चर्चा की। इस अवसर पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. यू. प्रकाशम ने वानिकी सम्मेलन के उद्देश्यों और प्रदेश में वनों की स्थिति की जानकारी दी। इस मौके पर अपर मुख्य सचिव वन श्री ए.पी. श्रीवास्तव और वरिष्ठ वन अधिकारी उपस्थित थे।