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भक्तों की हठ से हारे भगवान, ऐसे माने पंचमुखी महादेव (Panchmukhi Mahadev)

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आधे से ज्यादा सावन बीत गया था। ऐसे ही दिन थे, भीषण गर्मी से नर्मदांचल तप रहा था। पशु-पक्षी, पेड़-पौधे, मनुष्य सब परेशान। खेतों में दरारें पड़ गई थीं। सूखे के बढ़ते साये से सब फिक्रमन्द थे। नर्मदा जी में रेत के टीले दिखने लगे थे। उन दिनों मैं एक दैनिक अखबार के लिए पत्रकारिता (Patrakarita) कर रहा था। बारिश नहीं होने से परेशान लोग बरसात के लिए टोने-टोटके कर रहे थे।
इसी के चलते नर्मदा तट पर सुप्रसिद्ध पंचमुखी महादेव (Panchmukhi Mahadev) मन्दिर में बारिश की कामना का अनोखा हठयोग (Hathyog) उपाय चल था। हठीले भक्तों ने मन्दिर के प्रवेशद्वार को आधे से ज्यादा सीमेंट से बन्द कर दिया और भक्त की टोलियां गागर, गुंडी, कलशे, बाल्टी लेकर तीन घाट की दुर्गम सीढिय़ां उतर नर्मदा (Narmada) जल ढोकर ऊपर आती और मन्दिर में डालती। महादेव से प्रार्थना के साथ जिद यह थी, प्रभु जब तक बरसात शुरू नहीं होगी हम नर्मदा जल से मन्दिर भरते रहेंगे,
भले आप डूब जाएं। सूरज (Suraj) आग उगल रहा था, हाहाक़ार मचा था, लेकिन दूर-दूर तक पानी के आसार नहीं थे। पसीने से लथपथ भक्तों की हठ जल सेवा सुबह से शाम तक जारी थी। आज पांचवा दिन था, फोटोग्राफर (photographar) भाई प्रेम सोलंकी (Prem solanki) और मैं इस अद्भुत अनुष्ठान को कवर करने घाट पहुंच गए। मन्दिर में पानी बढ़ता जा रहा था। महादेव की जलहरी पूरी जलमग्न हो गई थी। जल सेवा अविराम चल रही थी। धीरे-धीरे पंचमुखी महादेव की मनोहारी प्रतिमा भी डूबने लगी थी। मन्दिर की दीवार की ऊंचाई बढ़ाई जा रही थी तभी अचानक आसमान में घनी अंधीयारी छा जाती है, जोर-जोर बिजली तड़कने लगती और बादल गरजने लगते हैं और शुरू हो जाती है, घनघोर बरसात। दोपहर बाद 3-4 बजे का समय था। तब तक नर्मदा जल से पंचमुखी महादेव का अभिषेक (Abhishek) हो चुका था। बरसात शुरू होने से अद्भुत, आल्हादकारी परिवेश बन गया। खुशी से भक्त नाचने लगे, मंदिर के द्वार की दीवार तोड़ दी गई और नर्मदा जल मन्दिर से निकल वापस नर्मदा जी में समाने लगा। नाचते-गाते भक्तों ने मेवे-मिष्ठान की बरसात कर दी। विधि-विधान से भगवान पंचमुखी महादेव की पूजा अर्चना आरती की गई। शहर दर्शन के लिए उमड़ पड़ा था। इस तरह भक्तों की हठ से हारे थे भगवान। हर-हर महादेव के जय घोष से गूंज उठा था, नर्मदा मां का पावन तट। आज भी वह नयनाभिराम दृश्य आंखों में वैसा ही आनंद भीगा सजा है और मुझे पुलकित करता रहता है।

Pankaj Pateriya

पंकज पटेरिया (Pankaj Pateriya) वरिष्ठ पत्रकार एवं कवि
संपादक शब्दध्वज होशंगाबाद (म. प्र.)
989390 3003,9407505691

Rohit Nage

Rohit Nage has 30 years' experience in the field of journalism. He has vast experience of writing articles, news story, sports news, political news.

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