इटारसी। जिन नवयुगलों के संबंधों में मधुरता एवं विचारों में समानता होती है, उन्हीं का वैवाहिक जीवन सफल होता है। इसका आदर्शपूर्ण उदाहरण भगवान श्री कृष्ण की विवाह लीला में महर्षि वेदव्यास ने श्रीमद् भागवत कथा में प्रस्तुत किया है। उक्त ज्ञानपूर्ण उद्गार भागवत कथाकार पं. रामेश्वर शर्मा ने व्यक्त किये।
तवा कॉलोनी में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा समारोह के छटवें दिन उपस्थित हजारों श्रोताओं के समक्ष आचार्य रामेश्वर शर्मा ने श्री कृष्ण-रुकमणी मंगल विवाह कथा प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि परिवार के सफल संचालन एवं पारिवारिक एकता बनाये रखने में पति-पत्नी की भूमिका अहम होती है। अत: इसके लिए पति-पत्नी को अपने बीच भी सामंजस्य व एकता बनाये रखना चाहिए और यह तभी संभव है, जब नवयुगल विवाह से पूर्व ही एक दूसरे के आचार विचार को अच्छी तरह से समझ लें। जैसे कि रानी रुकमणी व भगवान श्री कृष्ण ने एक दूसरे की भावना को समझा। आयोजन समिति ने आज रुकमणी मंगल विवाह का आयोजन किया जिसमें भगवान श्री कृष्ण की बारात निकाली। विवाह मंचन के दौरान मुख्य यजवान गणेश प्रसाद वर्मा एवं समिति सदस्यों रमेश सिंह परिहार, डॉ. बृजमोहन चौधरी, निर्मल सिंह, संदीप वर्मा आदि ने दूल्हा बने श्री कृष्ण एवं दुल्हन रुकमणी की पैर पखराई की। कथा के प्रारंभ में विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा एवं जिला पंचायत सदस्य बाबू चौधरी ने अपने सहयोगियों के साथ प्रवचनकर्ता पंडित रामेश्वर शर्मा का स्वागत किया एवं कथा अमृत का लाभ लिया।
संबंध मधुर हों तभी वैवाहिक जीवन सफल होता : शर्मा
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