इटारसी। रेलवे के भोपाल में पदस्थ स्टाफ की कथित लापरवाही से एक ट्रेन के हजारों यात्रियों की जान से खिलवाड़ कर दिया है। समय रहते इटारसी में यह फाल्ट पकड़ लिया, अन्यथा कुछ किलोमीटर बाद ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो सकती थी।
बता दें कि इंदौर से बिलासपुर जाने वाली 18233 इंदौर-बिलासपुर नर्मदा एक्सप्रेस बड़े हादसे का शिकार होने से बच गई। ट्रेन जब स्टेशन के प्लेटफार्म 3 पर प्रवेश कर रही थी, तभी इटारसी में रोलिंग इन जांच में कैरिज एंड वैगन विभाग के रेलकर्मियों की नजर गार्ड यान के आगे लगे जनरल कोच के ट्राली पर पड़ी, बायीं ओर की इस ट्रेलिंग ट्राली की फ्रेम में बड़ा क्रेक नजर आया। रेलकर्मियों ने ट्रेन प्लेटफार्म पर लगते ही इसकी सूचना अधिकारियों को दी। क्रेक देखने के बाद अफसरों ने इस कोच को सिक कर दिया।
स्लीपर कोच में भेजे यात्री
हादसे की वजह से ट्रेन करीब सवा घंटे इटारसी स्टेशन पर खड़ी रही। रात 12:05 मिनट पर आई ट्रेन को सवा घंटे बाद रात 1:20 मिनट पर यहां से रवाना किया। जनरल कोच के करीब 100 यात्रियों को टीटीई स्टाफ एवं आरपीएफ की मदद से एक स्लीपर कोच में भेजा गया, शटिंग के बाद कोच काटकर इसे मरम्मत हेतु यार्ड भेजा गया है। जब ट्रेन रोककर यात्रियों से कोच खाली करने को कहा, तब अधिकांश यात्री गहरी नींद में थे, उन्हें अधिकारियों ने बताया कि यह कोच खराब है, सारे यात्री स्लीपर कोच में भेजे गए, यात्रियों को पता चला कि उनके कोच की ट्राली क्रेक थी, यदि ट्रेन इसी हालत में चलाई जाती तो 20-50 किलोमीटर चलकर ट्राली बैठ जाती।
क्या होती है रोलिंग इन
ट्रेनों के पहियों के पास दोनों तरफ ट्रेलिंग ट्राली होती है, जिस पर पूरे कोच का बोझ रहता है, कोच नंबर एसईसीआर 124451 जीएस की बायीं ट्राली में क्रक था। रोलिंग इन जांच में बड़ी लाइट एवं कैमरों की मदद से हर कोच की जांच होती है। एसएसई उमेश प्रजापति, टैक्नीशियन रामनरेश मीना, हेल्पर शिवपाल अहिरवार की सतर्कता से क्रेक समय रहते देख लिया। सूचना पर एडीएमई आशीष झारिया, एसएसई सीएंडडब्लयू राजेश सूर्यवंशी, टीटीई महेश लिंगायत समेत पूरी रेलवे टीम ने मौके पर जाकर यात्रियों को दूसरे कोच में शिफ्ट कराया।
बड़ा हादसा हो सकता था
अधिकारियों के अनुसार रोलिंग इन जांच बड़े स्टेशनों पर होती है, इंदौर से चली ट्रेन की जांच भोपाल में हुई, लेकिन वहां क्रेक नहीं देखा गया, 90 किलोमीटर का सफर कर ट्रेन इटारसी आ गई, यदि यहां सतर्कता नहीं बरती जाती तो जांच जबलपुर में ही होती, लेकिन इस बीच पूरी ट्रेन सिक कोच के कारण ड्रिलमेंट का शिकार हो सकती थी। अब रेल विभाग सतर्कता बरतने वाली टीम को सम्मानित करने की बात कह रही है, इसके लिए वरिष्ठ अधिकारियों से पत्राचार किया जाएगा।
होगी विभागीय जांच
किसी भी ट्रेन का रैक लगाने पर उसकी फिटनेस जांच होती है, यह क्रेक कब आया, कैसे खराबी आई और रास्ते में इसे देखा क्यों नहीं गया, इसकी जांच की जा रही है। अधिकारियों के अनुसार कड़ाके की ठंड में जब तापमान अत्याधिक गिर जाता है, तब भी लोहा सिकुडऩे से पटरी या ट्राली क्रेक की घटनाएं होती है, इस हादसे की जांच भी कराई जाएगी।