इटारसी। आज वट सावित्री व्रत (Savitri Vrat) है और शहर के बरगद के पेड़ों की पूजा अर्चना सुबह से ही महिलाओं द्वारा की जा रही है। बूढ़ी माता मंदिर (Budhi Mata Temple), शनि मंदिर (Shani Temple) में भी आज सुबह से महिलाओं ने वट वृक्ष की पूजा-अर्चना की। सुबह 6 बजे से मंदिर में महिलाओं का तांता लगा रहा।
बूढ़ी माता मन्दिर में आज सुबह 6 बजे से वरगदाई पूजन आरंभ हुआ। सैकड़ों की संख्या में महिलाओं ने वट वृक्ष की पूजन कर पति की लम्बी उम्र की कामना की। ज्येष्ठ मास की अमावस्या को उत्तर भारत की सुहागिनों द्वारा तथा ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को दक्षिण भारत की सुहागिन महिलाओं द्वारा वट सावित्री व्रत का पर्व मनाया जाता है। कहा जाता है कि वट वृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा, तने में भगवान विष्णु (Lord Vishnu) व डालियों व पत्तियों में भगवान शिव ( Lord Shiva) का निवास स्थान माना जाता है। इस व्रत में महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं, सती सावित्री की कथा सुनने व वाचन करने से सौभाग्यवती महिलाओं की अखंड सौभाग्य की कामना पूरी होती है।
सावित्री के पतिव्रता धर्म की कथा का सार : यह है कि एकनिष्ठ पतिपरायणा स्त्रियां अपने पति को सभी दुख और कष्टों से दूर रखने में समर्थ होती हैं। जिस प्रकार पतिव्रता धर्म के बल से ही सावित्री ने अपने पति सत्यवान को यमराज के बंधन से छुड़ा लिया था। इतना ही नहीं खोया हुआ राज्य तथा अंधे सास-ससुर की नेत्र ज्योति भी वापस दिला दी। उसी प्रकार महिलाओं को अपना गुरु केवल पति को ही मानना चाहिए। गुरु दीक्षा के चक्र में इधर-उधर नहीं भटकना चाहिए।