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Mangala Gauri Vrat 2023 : सावन मंगला गौरी व्रत कल, जाने क्‍यों होता है यह व्रत खास

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मंगला गौरी व्रत 2023 (Mangala Gauri Vrat 2023)

Mangala Gauri Vrat 2023 : सावन माह भगवान शिव और माता पार्वती की अराध्‍ना के लिए विशेष महीना होता है। मां पार्वती ने यह व्रत को करके ही भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त किया था। मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat 2023) सावन के प्रत्येक मंगलवार के दिन मनाया जाता है। यह व्रत माता पार्वती और भगवान शिव की विशेष कृपा पाने के लिए किया जाता है।

जिन लोगों की शादी नहीं हो रही या जिनका वैवाहिक जीवन में सुख से गुजर रहा हो या फिर जिन लोगों को संतान सुख नहीं है, उन लोगों के लिए यह व्रत विशेष होता है। मान्‍यताओं के अनुसार जो भी इस व्रत को पूर्ण श्रृद्धा भाव से पूर्ण करता है उन पर माता पार्वती और भगवान शिव की विशेष कृपा होती है और सम्‍पूर्ण मनोकामना पूर्ण होती है।   

मंगला गौरी व्रत शुभ मुहूर्त (Sawan Mangala Gauri Vrat Shubh Muhurt)

  • सातवां मंगला गोरी व्रत दिनांक 15 अगस्त दिन मंगलवार को किया जाएगा।
  • पंचांग के अनुसार,  मंगला गौरी व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 08 : 57 मिनट से लेकर दोपहर 02 : 10 मिनट तक रहेगा।

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मंगला गौरी व्रत महत्‍व (Mangala Gauri Vrat 2023 Importance)

हिन्‍दू धर्म में मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat 2023) का अत्‍यधिक महत्‍व होता है। मान्‍यताओं के अनुसार जो भी इस व्रत को पूर्ण श्रृद्धा भाव से करता है उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

यदि किसी के दांपत्य जीवन में परेशानियां चल रही है। तो वो समाप्‍त होती है। यदि किसी कन्या के विवाह मे कोई बाधा आ रही है तो माता पार्वती और भगवान शिव की कृपा से वह दूर हो जाती है।

मंगला गौरी व्रत पूजा विधि (Mangala Gauri Vrat Puja Vidhi)

  • मंगला गोरी व्रत (Mangala Gauri Vrat 2023) के दिन प्रात: जल्दी उठकर स्नान आदि करके सूर्य को जल अर्पण करते हुए व्रत का संकल्‍प लेना चाहिए।
  • इसके बाद अपने घर के मंदिर को अच्छे से साफ करकें गंगा जल छिडंक कर माता पार्वती और भगवान शिव की प्रतिमा समर्पित करें। इसके बाद मां पार्वती को लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें।
  • इसके बाद आटे का दीपक बनाकर दिया जलाएं। और विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करें।
  • इसके बाद पूजन सामग्री में 16 प्रकार की पूजन समग्री जैसे- पान, सुपारी, लौंग, इलायची, फल, पान, लड्डू सुहाग की सामग्री और चूड़ियां के साथ पांच प्रकार के मेवे और सात प्रकार का अन्न भी रख लें।
  • इसके बाद मंगला गौरी व्रत कथा सुनें या पढ़े।
  • इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती आरती करें फिर प्रसाद बाटें।  
  • इसके कसके बाद ब्राम्‍हण और गरीबों को भोजन कराएं और धन, अनाज का दान करें।

मंगला गौरी व्रत विशेष (Mangala Gauri Vrat Special)

  • मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat 2023) करने वाले जातक लगातार 05 वर्ष तक मंगला गौरी व्रत रख कर अंतिम मंगला गोश्री व्रत के दिन व्रत का उद्यापन अवश्‍य कर दें। उद्यापन के बिना ये व्रत पूरा नहीं माना जाता है।
  • माता पार्वती के मंगला गौरी व्रत में माता को  आटे के लड्डू, फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, और सुहाग सामग्री जरूर अर्पित करें।

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मंगला गौरी व्रत कथा (Mangala Gauri Vrat Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय की बात है, एक कुरु नामक देश मे एक सर्वगुण संपन्न राजा राज्‍य करता था।  जो, अनेको कलाओं मे तथा विशेष रूप से धनुष विध्या मे निपूर्ण था। लेकिन सभी सुखो के बाद भी राजा बहुत दुखी रहा करता था, क्योंकि राजा की कोई संतान नहीं था।

तभी राजा ने कई माता पार्वती की भक्ति-भाव से तपस्या की। जिससे प्रसन्न होकर माता ने कहा – हे राजन! मांगो क्या मांगना चाहते हो। तब राजा ने कहा माता से कहा की मे सर्वसुखो व धन-धान्य से समर्ध हूँ। लेकिन संतान-सुख जिससे मैं वंचित हूँ। मुझे वंश चलाने के लिये एक पुत्र चाहिए।  

तभी माता ने कहा की राजन यह बहुत ही दुर्लभ वरदान है, पर तुम्हारे तप से प्रसन्न होकर मैं तुम्‍हें यह वरदान देती हूँ, लेकिन तुम्हारा पुत्र केवल 16 वर्ष तक ही जीवित रहेगा। यह बात सुन कर राजा और उनकी पत्नी बहुत दुखी हुए और फिर भी यह वरदान मांगा कुछ दिनों बाद माता के आशिर्वाद से रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया।

राजा ने उस बालक का नाम चिरायु रखा। कई साल बीत गए राजा को अपने पुत्र की मृत्‍यु की चिंता सताने लगी। तब किसी विद्वान के कहानुसार, राजा ने सोलह वर्ष से पूर्व ही, अपने पुत्र का विवाह ऐसी कन्या से कराया जो, मंगला गौरी के व्रत (Mangala Gauri Vrat 2023) करती थी, जिससे उस कन्या को भी व्रत के फल स्वरूप, सर्वगुण सम्पन्न वर की प्राप्ति हुई थी।

और सौभाग्यशाली व सदा सुहागन का वरदान प्राप्त था। जिससे विवाह के उपरान्त, उसके पुत्र की अकाल मत्यु का दोष स्वत: ही समाप्त हो गया, और राजा का वह पुत्र अपने नाम के अनुसार चिरायु हुआ।

इस तरह जो भी, स्त्री या कुवारी कन्या पुरे भक्ति-भाव से, यह फलदायी मंगला गौरी व्रत करती है, उसकी सब ईच्छा पूर्ण होकर सर्वसुखो की प्राप्ति होती है।

नोट : इस पोस्‍ट मे दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्‍यताओं और जानकारियों पर आधारित हैं। narmadanchal.com विश्वसनीयता की पुष्‍टी नहीं करता हैं। किसी भी जानकारी और मान्‍यताओं को मानने से पहले किसी विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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