जांच करने पहुंची एसडीएम, एक पक्ष रहा नदारद
इटारसी। अंजुमन कमेटी द्वारा स्कूल परिसर में हो रहे निर्माण में कथित भ्रष्टाचार की जांच करने आज सुबह एसडीएम टीना यादव पहुंचीं। उन्होंने अंजुमन परिसर का निरीक्षण किया और मुस्लिम समाज के लोगों से चर्चा की। समाज के लोगों ने एसडीएम के समक्ष बातचीत में अंजुमन कमेटी के अध्यक्ष रूबीन खान पर कथित तौर पर भ्रष्टाचार और अवैध निर्माण की जानकारी प्रदान की।
निरीक्षण और जांच के बाद एसडीएम सुश्री टीना यादव ने कहा कि अभी एक ही पक्ष की बातें सुनी हैं। दूसरा पक्ष मौके पर मौजूद नहीं था। उन्हें कल एसडीएम कार्यालय में पेश होने को कहा गया है। इसके बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा जाएगा। एसडीएम ने आज अंजुमन परिसर में लग रहे स्कूल में व्यवस्थाओं की जांच भी की और स्कूल की शिक्षिकाओं से भी चर्चा की। इस अवसर पर मप्र मुस्लिम विकास परिषद के जिला अध्यक्ष मो.अथर खान, जिला वक्$फ बोर्ड के अध्यक्ष आसिफ खान, असगर अली, अब्दुल हफीज़ गोप भाई, इदरीश खान, मेहबूब खान, गुड्डू भाई, अहसान खान, यूसुफ शेख, अबरार खान, अमज़द खान, इलियास खान, सुलेमान, शेख चांद, शेख सगीर सहित अन्य मुस्लिम समाज के लोग मौजूद थे. मप्र मुस्लिम विकास परिषद ने अंजुमन कमेटी के सदर पर कई आरोप लगाए हैं।
इन बिन्दुओं पर थी जांच की मांग
* शासन ने 2013 में अंजुमन परिसर में 825 वर्गफुट पर निर्माण की अनुमति दी गई थी जिस पर पहले 972 वर्गफुट पर निर्माण करके दुकानें लाखों रुपए में बेची जा चुकी हैं। अब सदर द्वारा नया निर्माण किया जा रहा है।
* पुरानी अनुमति दिखाकर शासन और प्रशासन को गुमराह किया जा रहा है जबकि नए निर्माण की अनुमति शासन से नहीं ली गई है अत: नया निर्माण अवैध है।
* वर्ष 1994 से अब तक अंजुमन संस्था के चुनाव ही नहीं कराए गए हैं और ना ही संस्था का आडिट कराया है। परिषद ने संस्था का आडिट कराने तथा अकाउंट की जांच।
* नए निर्माण के लिए तहसील परिसर में कमर्शियल की पुरानी वाली अनुमति दिखाई गई है जबकि नगर पालिका को पुरानी अनुमति दिखाकर आवासीय की परमिशन कागजों में हेराफेरी की गई है।
* पूर्व में अंजुमन परिसर में पंद्रह दुकानें लगभग एक करोड़ 50 लाख में बेची गई, यह पैसा कहां गया? जो इमारत बनी है, उसकी गुणवत्ता घटिया है, इसकी जांच हो।
* पुरानी इमारत से निकला दस लाख रुपए का अच्छी क्वालिटी का सागौन कहां गया, इसे कितने में किसे बेचा इसकी जांच हो, पुरानी इमारत का मलबा, कबेलू, ईंट, लोहे की गार्डर, फर्शी, दरवाजे, जिनकी कीमत करीब चार से पांच लाख रुपए आंकी गई, किसे बेची?
* ठेकेदार से किस रेट पर पुराना निर्माण कराया, यह गुप्त क्यों है? शिक्षक कितने हैं, कितनी राशि शासन से हर माह मिलती है, किसी को नहीं मालूम।
* स्कूल में लेट्रीन-बाथरूम के लिए मुस्लिम समाज एवं शहर की संस्थाओं और शासन से लाखो रुपए की राशि लेने के बावजूद क्यों नहीं बनी?
* अंजुमन हाल का दुरुपयोग कर कार्यक्रमों में बिना रसीद दे दिया जाता है, इसकी राशि कहां जाती है? नई दुकानें बेची जा रही हैं ये किन रिश्तेदारों को दी जा रही है और कितने में बेची जा रही है?
* अंजुमन परिसर में पढऩे वाले बच्चों के लिए महिला शिक्षिकाओं के लिए शौचालय नहीं है फिर नए निर्माण के लिए पैसा कहां से आया?