9 माह के कार्यकाल में वचनपत्र पर एक कदम नहीं बढ़ाये सरकार ने, मोहन यादव पर्ची के मुख्यमंत्री

Post by: Rohit Nage

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The government did not take a single step on the promissory note in its 9 months tenure, Chief Minister Mohan Yadav slips
  • मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मध्यप्रदेश सरकार को घेरा
  • नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार बोले, शिवराज और मोहन यादव में पटरी नहीं बैठ रही

इटारसी। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में मुख्यमंत्री मोहन यादव (Chief Minister Mohan Yadav) की सरकार के 9 माह के कार्यकाल में चुनाव में किये एक भी वादे पर एक कदम आगे नहीं बढ़े हैं। दो बार हमने विधानसभा सत्र में यह सवाल किया कि मुख्यमंंत्री लाड़ली बहना योजना (Chief Minister Ladli Behna Yojana) में तीन हजार रुपए देने वचन पत्र में जो भी वादे किये थे उन पर काम कब होगा तो मुख्यमंत्री बोलते हैं कि बचन पत्र गीता (Geeta) और रामायण (Ramayana) की तरह पवित्र है, उसका अक्षरश: पालन किया जाएगा। मैं समझता हूं किसी भी सरकार के लिए 9 माह का कार्यकाल पर्याप्त समय होता है अपने वचन पत्र पर काम करने की शुरुआत करने का।

यह बात मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी (Madhya Pradesh Congress Committee) के अध्यक्ष जीत पटवारी (Jitu Patwari) ने यहां एक होटल में आयोजित पत्रकार वार्ता में मीडिया से कही। वे यहां किसान न्याय यात्रा ट्रैक्टर रैली में शामिल होने आये थे। इस अवसर पर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार (Umang Singar), जिले के प्रभारी संजय शर्मा (Sanjay Sharma), वरिष्ठ नेता माणक अग्रवाल (Manak Aggarwal), विधायक आरिफ मसूद (Arif Masood), जिलाध्यक्ष शिवाकांत पांडेय (Shivakant Pandey), नगर अध्यक्ष मयूर जैसवाल ((Mayur Jaiswal)) सहित अनेक युवा और वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। जीतू पटवारी ने मोहन यादव का पर्ची मुख्यमंत्री बताते हुए कहा कि इनके कार्यकाल में अपराध बढ़े, भ्रष्टाचार चरम पर है, दलित-आदिवासियों पर अत्याचार बढ़े हैं, ढाई हजार करोड़ रुपए हर माह कर्ज लेकर काम चला रहे हैं, लगभग सौ करोड़ रुपए रोज। न जाने ये प्रदेश को किस राह पर ले जा रहे हैं।

न विजन, न डिलेवरी

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री के पास न विजन है, ना ही डिलेवरी। ये केवल प्रवचनकारी मुख्यमंत्री है। प्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति पर इस वक्त साठ हजार रुपए का कर्ज है। सरकार का कोई चेहरा नहीं है। शराब माफिया, भू माफिया, खनिज माफिया, रेत माफिया, परिवहन माफिया, शिक्षा माफिया और अब प्रशासनिक माफिया भी हावी है। बिना पैसा दिये न कलेक्टर को और ना ही किसी प्रशासनिक अधिकारी को नियुक्ति होती है। वल्लभभवन करप्शन बढ़ाने का अड्डा बन गया है।

छह हजार रुपए सोयाबीन का मूल्य चाहिए

जीतू पटवारी ने कहा कि लगभग बीस वर्ष शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री रहे, कहते थे किसानों की आय दोगुनी कर दूंगा, खेती को लाभ का धंधा बनायेंगे। आज हालात यह है कि गेहूं का 2700 और धान का 3100 देने का वादा नहीं निभाया। कांग्रेस ने आवाज उठायी तो समर्थन मूल्य पर सोयाबीन 4890 रुपए में खरीदने को कहा। क्यों, खरीदेंगे। सरकारी आंकड़े हैं कि सोयाबीन की लागत ही 4400 रुपए आती है, ऐसे में किसान पांच माह में केवल चार सौ रुपए प्रति क्विंटल ही कमायेगा क्या? इससे ज्यादा तो एक मजदूर कमा लेता है।

नल-जल योजना में घोटाला है

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने कहा कि केन्द्र की नल जल योजना में हजारों करोड़ रुपए का घोटाला किया जा रहा है, किसान परेशान है, किसानों के आंसू सरकार नहीं पोंछ पा रही है। इटारसी की मंडी में दूसरे जिलों से भी किसान अपनी उपज लेकर आते हैं, यहां महीनों से एक कार्यवाहक सचिव बिठा रखा है, उस पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगते हैं। सोयाबीन उत्पादक मध्यप्रदेश में किसानों को लागत भी नहीं मिल रही है, शिवराज सिंह और मोहन यादव के बीच पटरी नहीं बैठ रही है, हम किसानों की लड़ाई लडऩे आये हैं।

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