कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों का कुनबा एक बार फिर बढ़ने वाला है
भोपाल, 21 अक्टूबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीता प्रोजेक्ट के तहत दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से लाकर बसाए गए चीतों का कुनबा एक बार फिर बढ़ने वाला है। दरअसल, दक्षिण अफ्रीका से लाई गई मादा चीता ‘वीरा’ गर्भवती है और वह जल्द ही मां बनने वाली है। कूनो पार्क प्रबंधन ने इसकी पुष्टि की है। फिलहाल प्रबंधन मादा चीता ‘वीरा’ के देखभाल में जुट गया है।
सिंह परियोजना के संचालक एवं कूनो के मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) उत्तम कुमार शर्मा ने सोमवार को बताया कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान में मादा चीता वीरा मां बनने वाली है। वह कभी भी मां बन सकती है। उसकी विशेष देखभाल की जा रही है। निगरानी के लिए 24 घंटे दो लोगों की टीम लगाई गई है। उसके मूवमेंट वाले क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे बढ़ाए गए हैं।
उन्होंने बताया कि भारतीय धरती पर मां बनने वाली वीरा चौथी मादा चीता होगी। इससे पूर्व आशा, गामिनी और ज्वाला कूनों में शावकों को जन्म दे चुकी हैं। आशा ने भारतीय धरती पर 26 दिसंबर को तीन शावकों को जन्म दिया था। यह शावक अब दस माह के हो चुके हैं। इसके बाद ज्वाला ने जनवरी में चार शावकों को जन्म दिया, जबकि गामिनी ने इतिहास रचते हुए भारतीय धरती पर छह शावकों को मार्च में जन्म दिया था। हालांकि इनमें से दो शावकों की मौत हो चुकी है। कूनो में फिलहाल 12 वयस्क चीते हैं, इनमें पांच नर और सात मादा चीता शामिल हैं। इनके अलावा यहां 12 शावक हैं और सभी स्वस्थ हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस खुशखबरी पर वन विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों को बधाई दी है। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से कहा कि “कूनो में आने वाली हैं खुशियां…देश के ‘चीता स्टेट’ मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में जल्द ही मादा चीता नए शावकों को जन्म देने वाली है। यह खबर ‘चीता प्रोजेक्ट’ की बड़ी उपलब्धि का प्रतीक है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में शुरू किया गया यह प्रोजेक्ट पारिस्थितिक संतुलन को निरन्तर बेहतर बनाने वाला सिद्ध हो रहा है।”
गौरतलब है कि चीता पुनर्स्थापना प्रोजक्ट के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 17 सितंबर 2022 को अपने जन्मदिन के अवसर पर नामीबिया से आठ चीतों को लाकर श्योपुर के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ा था। इसके बाद 18 फरवरी 2023 को दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को लाकर कूनो में बसाया गया था। इनमें से अभी तक कूनों में आठ चीतों की मौत हो चुकी है।