मूल निवासी के अधिकार पाने के संकल्प के साथ गोंडी दर्शन गाथा का समापन

Post by: Rohit Nage

The Gondi Darshan saga ends with a resolution to get the rights of the indigenous people.

इटारसी। नर्मदापुरम जिले में पहली बार आयोजित गोंडी दर्शन गाथा समारोह के समापन अवसर पर प्रदेश के अनेक जिलों से एकत्र हजारों हजार आदिवासियों का समागम देखने को मिला। गोंडी दर्शन गाथा समारोह के समापन दिवस पर गाथा का वर्णन करने के साथ ही शैक्षिक संवाद पर भी विचार व्यक्त करते हुए धर्माचार्य शंकर ईरपाचे ने कहा कि हमें गर्व है कि हमारे आदिवासी वर्ग की महिला देश के सर्वोच्च राष्ट्रपति पद परा आसीन है। हमें उनके आदर्शों पर चलकर अपने परिवार को शिक्षित बनाना है, संस्कारवान बनाना है ताकि हम भारत के मूल निवासी भारत की सर्वोच्च सत्ता के शिखर पर भी अपने प्रतिनिधि को बिठा सकें।

भारत के सत्ता संचालन में पूर्ण रूप से हम मूल निवासी आदिवासियों को प्राप्त हो सके, लेकिन इसके लिए हमें पूर्ण शिक्षित और अधिकार संपन्न बनना होगा और सभी समाजों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढऩा होगा। ग्राम सोनतलाई में आयोजित इस आदिवासी समागम में हरदा, बैतूल, नर्मदापुरम के साथ ही खंडवा, खरगोन, धार, जबलपुर, सिवनी छपारा, छिंदवाड़ा आदि जिलों से भी हजारों आदिवासी एवं जनप्रतिनिधि शामिल हुए।

समापन अवसर पर हवन पूजन एवं महा आरती हुई। उसके पश्चात आदिवासी कलाकारों ने पारंपरिक धार्मिक नृत्य किया। धर्माचार्य शंकर कृपाचे एवं अन्य आदिवासी आचार्य का सम्मान किया। संयोजक गोंडी समिति सोनतलाई के साथ ही ग्राम सोनतलाई के समस्त ग्राम वासियों ने सहयोग प्रदान कर भंडारा आयोजित किया जिसमें आदिवासियों के साथ ही समस्त क्षेत्रवासी शामिल हुए।

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