- लाखा बंजारा झील पर लाखों दीयों से जगमगाएगा दिव्य दृश्य
सागर। इतिहास रचने को तैयार सागर शहर इस वर्ष एक अभूतपूर्व धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन का साक्षी बनने जा रहा है। बनारस की विश्व प्रसिद्ध देव दीपावली की तर्ज पर, नगर निगम सागर ने लाखा बंजारा झील के तटों पर ‘देव दीपावली सांस्कृतिक उत्सव’ मनाने की अद्भुत पहल की है। इस उत्सव को ‘आस्था, संस्कृति और स्वच्छता का संगम’ बनाने विशेष ज़ोर दिया जा रहा है।
जनभागीदारी का महापर्व
यह महोत्सव केवल एक सरकारी कार्यक्रम न होकर, जनभागीदारी का उत्सव बनने जा रहा है। निगम आयुक्त राजकुमार खत्री ने बताया कि झील किनारे एक लाख से अधिक झिलमिल दीपक प्रज्वलित किए जाएंगे, जो लाखा बंजारा झील को एक अलौकिक और दिव्य रूप प्रदान करेंगे। पहली बार आयोजित हो रही यह देव दीपावली, सागर के नागरिकों के सहयोग से एक अविस्मरणीय आयोजन बनेगी।
आयोजन की मुख्य विशेषताएं
- भव्यता : एक लाख से अधिक दीयों की रोशनी से जगमगाते झील के किनारे का मनमोहक दृश्य।
- कला और संस्कृति : आकर्षक सजावट, विस्तृत सांस्कृतिक कार्यक्रम और भव्य आतिशबाजी का आयोजन।
- स्वच्छता का संदेश : इस उत्सव के माध्यम से झील और उसके आसपास स्वच्छता बनाए रखने का महत्वपूर्ण संदेश भी दिया जाएगा, जो इसे एक सार्थक ‘संस्कृति और स्वच्छता का संगम’ बनाता है।
अद्वितीय सांस्कृतिक उत्सव
इस महोत्सव का केंद्र बिंदु लाखा बंजारा झील होगी, जिसे एक लाख से अधिक झिलमिल दीयों से सजाया जाएगा। यह पहल सागर के धार्मिक और सांस्कृतिक परिदृश्य को एक नई ऊड्डचाई देगी, जिससे स्थानीय निवासियों और पर्यटकों को काशी जैसा अलौकिक और दिव्य अनुभव प्राप्त होगा। नगर निगम आयुक्त राजकुमार खत्री ने इस ऐतिहासिक देव दीपावली उत्सव की तैयारियों का स्वयं जायजा लिया है, जिसमें झील के किनारे आकर्षक सजावट, विस्तृत सांस्कृतिक कार्यक्रम और भव्य आतिशबाजी का आयोजन शामिल है। यह उत्सव सागर की सांस्कृतिक विरासत में एक नया अध्याय जोड़ेगा।
लोकभागीदारी का आह्वान
इस आयोजन को महापर्व का रूप देने के लिए, नागरिकों से भी भावनात्मक जुड़ाव और लोकभागीदारी की अपील की गई है। निगम आयुक्त ने शहर के सभी निवासियों से अनुरोध किया है कि वे अपने घरों से भी दीपक लाकर झील के किनारे प्रज्वलित करें, जिससे यह उत्सव वास्तव में शहरवासियों का अपना पर्व बन सके। यह सांस्कृतिक आयोजन सागर के धार्मिक गौरव को पुनर्स्थापित करेगा और लाखा बंजारा झील को पर्यटन और आस्था के केंद्र के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में सहायक होगा।








