भागवत कथा का समापन, भंडारा हुआ

इटारसी। बालाजी मंदिर के पास व्यावसायी महेश मिहानी के प्लाट पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा के समापन पर भक्तों के लिए भंडारा आयोजित किया जिसमें हजारों ने प्रसाद ग्रहण किया।
समापन दिवस पर पं. यतीन्द्र सुदर्शन त्रिवेदी ने भगवान श्रीकृष्ण एवं सुदामा का चरित्र वर्णन किया।
उन्होंने बताया कि श्रीकृष्ण एवं सुदामा गुरू माता के आदेश से लकडी लेने के लिए जंगल गए तो गुरू माता ने कुछ चने रखकर कहा कि भूख लगे तो दोनों खा लेना। सुदामा ने मन में यह भाव लिया कि इतने से चने में क्या होगा और धीरे-धीरे पूरे चने खा गये। भगवान श्रीकृष्ण सब जानते थे पंरतु फिर भी उन्होंने चने खत्म होने पर कहा कि मेरे हिस्से के चने कहा हंै। तब सुदामा कोई उत्तर नहीं दे पाए। सुदामा अपने मित्र से पक्षपात करने के कारण गरीब रहे और जब बाद में कृष्ण और सुदामा का मिलन हुआ और सुदामा से मिलने कृष्ण राजमहल से नंगे पैर दौड़ते हुए आए तब सुदामा को यह अहसास हुआ कि उनका मित्र राजा होने के बाद भी अपनी दोस्ती को नहीं भूला वह समय ऐसा था जब बापन में श्रीकृष्ण के चने चोरी से खाकर उनके साथ पक्षपात किया था। श्रीकृष्ण से छल करने के कारण सुदामा को गरीबी लंबे समय तक झेलनी पड़ी।
समापन पर महाआरती में सैंकड़ों श्रद्धालु उपस्थित थे। कथा वाचक पं. यतीन्द्र सुदर्शन त्रिवेदी एवं उनकी मंडली को भोजन कराकर यथोचित भेंट देकर उनका सम्मान किया।

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