कर्मचारियों के इनकार से आज शुरु नहीं हो सकी धान खरीदी

इटारसी। इस सीजन में दूसरी बार निश्चित तिथि पर समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी नहीं हो सकी है। पहले 25 नवंबर से धान की सरकारी खरीदी होना थी, फिर 2 दिसंबर की तिथि निर्धारित की गई। लेकिन, आज 2 दिसंबर को भी खरीदी प्रारंभ नहीं हो सकी। दरअसल, सहकारी समितियों के कर्मचारियों ने धान खरीदी से इनकार कर दिया था। विपणन संघ के जिला प्रबंधक ने कहा है कि कर्मचारियों की कुछ समस्या थीं, बातचीत के बाद मामला सुलझ गया है, मंगलवार से खरीदी प्रारंभ हो जाएगी।
जिले की प्राथमिक सहकारी संस्थाओं द्वारा समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी की जाना थी। 2 दिसंबर से धान की खरीदी प्रारंभ होना थी। लेकिन, इन संस्थाओं ने खरीदी नहीं करने का निर्णय लेकर आला अधिकारियों को अवगत करा दिया। पहले दिन ही खरीदी प्रारंभ नहीं होने पर कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने सभी कर्मचारियों को बुलाकर बातचीत की। बताया जाता है कि मंगलवार से खरीदी के लिए कर्मचारी राजी हो गये हैं। हालांकि इटारसी तहसील के लिए खरीदी के लिए अधिकृत जमानी सोसायटी के प्रबंधक भूपेन्द्र दुबे का कहना है कि विपणन संघ ने खरीदी के लिए पुराने बारदाने दिये हैं। उनकी हालत काफी खराब है, नये वारदाने मिल जाएंगे तो खरीदी प्रारंभ हो जाएगी।

कर्मचारियों ने बताये थे ये कारण
प्राथमिक सहकारी संस्थाओं ने इस वर्ष से समर्थन मूल्य पर खरीदी का कार्य नहीं करने का निर्णय लेकर कलेक्टर को ज्ञापन के माध्यम से अवगत कराया है कि वे खरीदी कार्य करने में असमर्थ हैं। उनका कहना है कि विपणन संघ/नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा एक पक्षीय रूप से पूर्व से मुद्रित अनुबंध पर हस्ताक्षर कराये जाते हैं जिसमें समिति के हितों की पूर्णरूप से अनदेखी की जाती है। विवाद की स्थिति में आर्बीटे्रशन का प्रावधान किया जाता है जो कि अनुचित है। आर्बीट्रेटर कलेक्टर को बनाया जाता है जो प्रस्तुत विवादों की सुनवाई नहीं करते जिससे समिति को नुकसान उठाना पड़ता है। मप्र सहकारी समितियां अधिनियम की धारा 64 का उपयोग आर्बीट्रेशन की कंडिका के कारण नहीं किया जा सकता।
सहकारी अंकेक्षकों द्वारा भी जमीनी हकीकत को ध्यान में न रखते हुए देरी से उठाव के कारण आई सूखत की कमी के लिए परिवहन की कमी हेतु संस्था कर्मचारियों के विरुद्ध मप्र सहकारी सोसायटी अधिनियम की धारा 58 (बी) के तहत प्रकरण बनाये जाते हैं तथा उपपंजीयक द्वारा संस्था कर्मचारियों को अपना काम छोड़कर न्यायालयों के चक्कर काटने पड़ते हैं और व्यर्थ ही कर्मचारियों को जेब से व्यय करना पड़ता है।
नागरिक आपूर्ति निगम/विपणन संघ द्वारा हमेशा मनमानी की जाती है, कटे-फटे वारदानों की राशि भी काट ली जाती है। निर्धारित वजन से कम वजन के वारदाने दिये जाते हैं, समय पर भुगतान नहीं किया जाता है तथा उनके सेंटर पर की गई तौल के आधार पर ही स्वीकृति पत्रक जारी किये जाते हैं तथा स्वीकृति पत्रक को ही भुगतान का आधार माना जाता है। खरीदी केन्द्र पर प्रथम तौल को नजरअंदाज कर दिया जाता है जिससे परिवहन कर्ताओं द्वारा परिवहन के दौरान कमी बतायी जाती है और समिति को ही उत्तरदायी बनाया जाता है।
इस वर्ष धान खरीदी के लिए शासन की खरीफ उपार्जन नीति 2019-20 के क्रमांक 6 के क्रमांक 6.2 के बिन्दु 6 में प्रत्येक केन्द्र हेतु प्रशिक्षित गुणवत्ता सर्वेयर नियोजित/नामित एवं उपस्थित रखना निर्देशित किया है, किन्तु इस वर्ष धान में हल्दी गांठ रोग लगने के कारण एफएक्यू गुणवत्ताविहीन है, संस्था द्वारा सर्वेयर नियुक्त कर एफएक्यू गुणवत्ता की धान का उपार्जन किया जाना संभव नहीं है। समिति कर्मचारियों के संगठन ने कलेक्टर को कहा है कि जिले की प्राथमिक सहकारी समितियों के समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं करने के निर्णय को शासन की संबंधित अधिकारियों को अवगत कराये एवं भविष्य में ऐसी किसी भी प्रकार की कोई भी समर्थन मूल्य की खरीदी कार्य संस्थाओं को न दिलाया जाए।

इनका कहना है…!

मंगलवार से होगी खरीद
कुछ समस्याएं थीं, कर्मचारियों से बातचीत हो गयी है। वे मंगलवार से धान की खरीदी करने के लिए राजी हो गये हैं। जिले में 24 केन्द्रों पर 85 हजार क्विंटल धान खरीदी होने का अनुमान है। जहां तक पुराने वारदानों का सवाल है तो शासन के ही निर्देश हैं कि 50 फीसद नये और 50 फीसद पुराने वारदानों में खरीदी करना है। पहले 50 फीसद पुराने वारदाने दिये हैं, इसके बाद 50 फीसद नये दिये जाएंगे।
डॉ. प्रदीप गरेवाल, डीएमओ विपणन संघ

हमारी तैयारी पूरी है
समिति स्तर पर कुछ दिक्कतें आ रही थीं तो सहायकों ने बैंक के जेआर को ज्ञापन दिया और आज कलेक्टर को भी ज्ञापन सौंपा है। कलेक्टर ने संस्था प्रभारियों को बुलाया है। कुछ दिशा निर्देश मिले हैं। विपणन संघ से वारदाने भी पुराने आए हैं। कलेक्टर ने नये वारदाने खरीदी के निर्देश दिये हैं। हमारी तैयारी पूरी है हमें जैसे ही नये वारदाने मिल जाएंगे, खरीदी कार्य प्रारंभ कर देंगे।
भूपेन्द्र दुबे, प्रबंधक जमानी सोसायटी

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