ऑनलाइन व्याख्यान: भारत की पवित्र नदियों का परिचय कर बताया महत्व

Post by: Poonam Soni

होशंगाबाद। शासकीय गृह विज्ञान महाविद्यालय में स्वामी विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ के अंतर्गत प्रथम वर्ष की छात्राओं के लिए भारत की पवित्र नदियों (Holy rivers) का परिचय विषय पर ऑनलाइन व्याख्यान दिए। कार्यक्रम का प्रारंभ प्राचार्य डॉ. कामिनी जैन (Principal Dr. Kamini Jain) ने दिए। उन्होंने कहा कि सभी स्थानीय समुदाय के लिए निकट नदियां हैं उनके लिए पूजनीय होती है। सभी नदियों का अपना एक साहित्यिक महत्व होता है। संयोजक डॉ रश्मि श्रीवास्तव ने पवित्र नदियों का महत्व बताया। मुख्य वक्ता डॉ. यशवंत निंगवाल ने भारत की पवित्र नदियों के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि भारत की प्रमुख नदियां गंगा, यमुना, सरस्वती, कावेरी, गोदावरी तथा बृहस्पति है इनमें पांच नदियां का नाम स्त्रीलिंग है केवल एक नाम बृहस्पति पुल्लिंग है गंगा नदी को भारतीय पौराणिक साहित्य में प्रधान पवित्र नदी माना जाता है इसकी दो मुख्यधारा है भागीरथी और अलकनंदा। गंगा के तट पर बसे वाराणसी हरिद्वार ऋषिकेश (Haridwar Rishikesh) का भी बहुत अधिक महत्व है। जहां पर कुंभ मेला गंगा दशहरा आदि अनेक पर्व मनाए जाते हैं। यमुना नदी को भगवान कृष्ण की संगिनी के रूप में पहचाना जाता है, उन्होंने त्रिवेणी संगम के महत्व को विस्तार से समझाया गोदावरी की सात धारा ऋषियों के नाम पर रखी गई है तथा इनका अपना पौराणिक महत्व है। प्राचीन भारतीय इतिहास में गंगा के पूर्व सिंधु नदी का विवरण है जहां पर हड़प्पा और मोहनजोदड़ो सभ्यता का होना बताया गया है। नर्मदा जीवनदायिनी है इसका उद्गम स्थल अमरकंटक है यही एक कुंवारी नदी के रूप में प्रचलित है तथा इसके दर्शन मात्र से मानव के पाप धुल जाते हैं सभी नदियों की अपनी संस्कृति एवं साहित्यिक महत्व तथा हर नदी की अपनी पौराणिक कथाएं है। डाॅ. निंगवाल ने बोध वाक्य ’’आलसी और अकर्मण्य मनुष्य के सौ वर्ष के जीवन की तुलना में दृढता पूर्वक उद्योग करने वालों का एक दिन का जीवन श्रेष्ठ है’’ महात्मा बृद्ध के इस बोध वाक्य को छात्राओं को उदाहरण देकर विस्तार पूर्वक समझाया। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. आशीष सिंह ने किया।

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