बनखेड़ी। संस्कृत खैरा कुटी पाठशाला नर्मदा तट पर दूसरे दिवस पूज्य कथा व्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज जी ने स्वर्ग एवं नरक की सुंदर व्याख्या करते हुए मनुष्य जब आपने अज्ञानता बस भौतिक सुख हेतु दुराचार पापाचार ,व्यभिचार भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाता है तो उसे नारकीय जीवन यापन करना पड़ता है। वह परमात्मा तक नहीं पहुंच पाता एवं बार-बार जीवन मरण की लीला में भटकता रहता है पूज्य व्यास जी बताते हैं कि इस कलयुग में श्रीमद् भागवत एवं श्री रामचरितमानस रूपी गंगा ही प्राणी को इस भवसागर से पार करवाकर आत्मा का परमात्मा से मिलन करा सकती है यानी स्वर्ग की प्राप्ति संभव है इस कलयुग में केवल राम नाम एवं सत्संग ही मोक्ष का आधार है। ग्रस्त जीवन कैसे होना चाहिए पति-पत्नी के मध्य संबंध कैसे होना चाहिए यह सब भगवान शिव से सीखने को मिलता है कौन सी बात पत्नी को बताना चाहिए कौन सी बात नहीं बताना चाहिए यह भी भगवान शिव बताते हैं आगे ब्यास जी ने कहा कि पिता के घर मित्र के घर स्वामी के घरवा गुरु के घर बिना बुलाए जाना चाहिए परंतु जब कोई समारोह हो तो बिना बुलाए नहीं जाना चाहिए ऐसी स्थिति में अपमानित होने के अलावा कुछ भी नहीं मिलता यदि किसी विषय पर हर्ट करें तो उसे कैसे समझाना चाहिए यह भगवान शिव से सीखना चाहिए आगे पूजा व्यास जी ने कहा कि मनुष्य आज औसत 70 वर्ष की आयु में जी रहा है यदि इससे अधिक आयु है तो समझ यह बोनस प्राप्त है । मनुष्य के जीवन में चार पड़ाव आते हैं उसका पूर्ण सदुपयोग करना चाहिए मनुष्य को हमेशा सियाराम में सब जग जानी के सिद्धांत पर जीना चाहिए सभी में परमात्मा का दर्शन करना चाहिए। संस्कृत खेरा कुट्टी पाठशाला के संचालक विष्णु पलिया ने सभी से अपील की है कि अधिक से अधिक संख्या में पधार कर कथा श्रवण कर पुण्य लाभ प्राप्त करे।