अफगान में अमेरिकी फौज के हथियार छोड़े जाने का क्या है निहितार्थ?

Post by: Poonam Soni

झरोखा: पंकज पटेरिया: आखिर जैसी उम्मीद दी, अमेरिकी फौज ने करीब 85 अरब डालर हथियारों का भारी भरकम जखीरा छोड़ अफगान से रूखसदी कर ली। इन में शानदार हेलीकाप्टर, विमान, गोला, बारूद आदि शामिल है। इस रूखसद से एक सवाली विस्फोट होना लाजमी है कि इसके निहितार्थ आखिर क्या है? क्या दुनिया पर दादागिरी दिखाते आए अमेरिका ने यह जानबूझ कर किया है। जिससे रूस और तुर्की को चमकाया जाए। जाहिर इससे तालिबान और ताकद बर होगा, उसकी क्रूरता मे इजाफा होगा। जाहिर इससे अराजकता, तानाशाही और बड़ेगी। जाते-जाते अमेरिका ने बेहतरीन कंप्यूटर
लेपटॉप भी तालीवान को बतौर तोहफे दे दिये। बताया जाता है जिसमे सेकंडो अफगानी लोगो की जानकारी दर्ज है, जिनपर तालिबान जुर्म करने से बाज नहीं आएगा। पहले ही करीब 80 हजार अफ़गानी दहशद से तालिबान के आगे सरेंडर कर चुके है। एक और ध्वनि भी आती प्रतीत होती है, इससे पाकिस्तान के भाव बढ़ेंगे। यह भी याद दिलाना मोजू लगता है, कि जो चीन पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ड्रॉन्ल्ड
ट्राम शासन के लौह रुख से सहमा सा था, उसके आगे मौजूदा प्रेसिडेंटबा ईडन झुके झुके नजर आ रहे है। यू भी हमारे देश की तरक्की और राष्ट्रीय नेतृत्व की विश्व व्यापी लोकप्रियता से जलने बुझने बालो की कमी नहीं है। ऐसे लोग हमारे शुभ चिंतक कभी नही हो सकते। अफीम हीरोइन की तस्करी से चलने वालो के मंसूबे, उसे पालने पोसने और दुलारने बालो के
चेहरे बेनकाब हो चुके है। हम भारतीय विश्व को अपना परिवार मानते है, वसुधैव कुटुंबकम के पक्षधर हैं। लेकिन
शस्त्र और शास्त्र दोनो हमारे हस्तगत है। लिहाजा अपनी दुम अपने पैरो के बीच दवाएं सियार हुआ से बाज आए, हमारी दहाड़ को भूलने की गलती न करे।

pankaj pateriya

पंकज पटेरिया, वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार

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