नमी सूखने के बाद 5 हजार रुपये क्विंटल तक पहुंचेंगे भाव

Post by: Rohit Nage

  • – दीवाली को लेकर मंडी में सोयाबीन, मक्के और धान की आवक बढ़ी

इटारसी। खरीफ सीजन (Kharif Season) में धान (Paddy) की कटाई के बाद जिले की ए ग्रेड इटारसी मंडी (A Grade Itarsi Mandi) में धान समेत अन्य उपज की बंपर आवक बनी हुई है। दीवाली त्योहार (Diwali Festival) को लेकर क्षेत्र के किसान अपनी धान लेकर मंडी में बेचने आ रहे हैं। मंडी में इन दिनों रोज करीब 20 हजार बोरा धान की आवक हो रही है, इसके अलावा सोयाबीन (Soybean) 4-5 हजार बोरा एवं मक्के (Maize) की आवक 7 हजार बोरा तक है।

मंडी अधिकारियों के अनुसार धान पैदावार के मामले में छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) को टक्कर देने वाले नर्मदाचंल (Narmadachal) में किसानों ने तेजी से धान का रकबा बढ़ाया है, यहां तैयार हो रही धान राइस मिलों से होकर विदेशों तक जा रही हैं। धान की क्वालिटी में 1121, पूसा, टी-30, 1718, 1509 एवं अन्य शामिल हैं। मौसम साफ होने के बाद अब धान कटाई के साथ ही धान मंडियों तक पहुंच रही है, हालांकि अभी नमी होने से धान के भाव कम है, नमी घटने पर दाम भी बढ़ेंगे। किसानों के अनुसार उन्हें धान के भाव 4 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक मिल रहे हैं, इस भाव से किसान इसलिए खुश हैं, चूंकि पिछले साल की तुलना में उन्हें करीब 500 रुपये प्रति क्विंटल का फायदा हो रहा है। इसी तरह सोयाबीन 4-5 हजार प्रति क्विंटल एवं मक्का 2-3 हजार रुपये क्विंटल बिक रही है। प्रभारी मंडी सचिव केसी बामलिया (KC Bamlia) ने बताया कि अभी धान में नमी होने के कारण दाम कम हैं, यह भाव 5 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच सकते हैं।

दीवाली को लेकर आवक

आगामी दीवाली पर्व को लेकर किसानों को रुपयों की जरूरत है, साथ ही धान पैदावार में हुए खाद-बीज, यूरिया, बिजली बिलों एवं अन्य कर्ज भी चुकाना है, इसी वजह से किसान अपनी आवक लेकर मंडी पहुंच रहे हैं, कटाई के साथ ही गेहूं की बोवनी भी प्रारंभ की जाएगी।

ट्रालियों की कतार, हम्मालों की कमी

मंडी में बंपर आवक इतनी ज्यादा है कि यहां काम करने वाले तुलावटी-हम्मालों की कमी हो गई है। ठेकेदारों का कहना है कि जरूरत के हिसाब से 4-5 दिनों में दूसरे राज्यों के हम्माल यहां पहुंच जाएंगे। मंडी व्यापारी विनीत राठी (Vineet Rathi), मंटू ओसवाल (Mantu Oswal) ने बताया कि इन दिनों धान की सर्वाधिक आवक हो रही है, यह बताता है कि क्षेत्र में धान का रकबा तेजी से बढ़ रहा है। तवा बांध (Tawa Dam) से सिंचाई के लिए भरपूर पानी मिलने के कारण फसल लेने में किसानों को कोई समस्या नहीं है।

हर साल धान का रकबा बढ़ रहा है

धान की फसल में मौसमी जोखिम कम होता है, इसी वजह से यहां नई-नई वैरायटी की धान तैयार की जा रही है। दो दशक पहले पीले-काले सोयाबीन के लिए मशहूर हो चुके नर्मदांचल में अब सोयाबीन से किसानों का मोह कम हुआ है, धान अब सोयाबीन की जगह ले चुका है। पहले क्षेत्र में सोयाबीन प्लांट (Soybean Plant) भी ज्यादा थे, इस वजह से किसानों को यहां दाम अच्छे मिल जाते थे।

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