- सोयाबीन की नयी वैरायटी में रोग नहीं लगने का है दावा
- मक्का की खरपतवार से परेशान किसान अपना रहे सोयाबीन
- धान की उपज वाले किसानों को अच्छी बारिश का इंतजार
इटारसी। किसान खेत तैयार करके बैठा है, कहीं तैयारी चल रही है। धान के लिए खेत तैयार करके अब किसानों को अच्छी बारिश का इंतजार है, जो फिलहाल नहीं हो पा रही है। आसमान में बादल छाये हैं, लेकिन वे अपेक्षा के अनुरूप बरस नहीं रहे हैं। मानसून सक्रिय होने के साथ ही कुछ दिन हल्की बारिश के बाद बारिश का दौर धीमा पड़ गया है। जिनके पास नलकूप हैं, वे किसान अपनी तैयारियों में कहीं कमी नहीं छोड़ रहे हैं। इस बार कुछ किसान सोयाबीन (soybean) फसल की ओर भी लौट रहे हैं। बताते हैं कि नयी वैरायटी में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक है, तथा औसत भी अच्छा निकल रहा है।
धान (paddy) की खेती के लिए किसानों को अभी अच्छी बारिश का इंतजार है। कहीं बूंदाबांदी तो कहीं हल्की मध्यम बारिश धान के लिए पर्याप्त नहीं है, किसानों को रोपे लगाने हैं और ऐसे में अच्छी बारिश जरूरी है। वे किसान जो खुद के नलकूप से सिंचाई कर लेते हैं, ऐसे किसान ही धान की खेती में आगे बढ़ सके हैं। ज्यादातर किसान पानी के इंतजार में खेतों में खड़ा है, सोयाबीन से वर्षों धोखा खाया किसान धान को मुख्य उपज बना चुका है, लेकिन धान को शुरुआत से लेकर पकने तक पर्याप्त पानी की आवश्यकता होती है, अब तक अपेक्षानुरूप बारिश नहीं होने से किसान लगातार पिछड़ रहा है। गढ़े तैयार करके अब किसान अच्छी बारिश का इंतजार कर रहा हे।
ग्राम जमानी (Gram Zamani) के उन्नत किसान हेमंत दुबे (Hemant Dubey) कहते हैं कि इस बार से कुछ ट्रेंड चेंज किया है। पिछले वर्ष हमने ट्रायल किया था जिसके नतीजे अच्छे रहे तो इस बार 25 एकड़ में सोयाबीन बोया है। सोयाबीन की नयी वैरायटी जेएस 2172 में फंगस, सडऩ नहीं होती है। पिछले वर्ष उन्होंने इसे बोया था तो फफूंदजनित रोग नहीं लगा और वैरायटी भी 7 क्विंटल प्रति एकड़ मिली थी। इस वर्ष 25 एकड़ में लगायी है, साढ़े पांच का औसत भी मिल जाए तो हम सफल रहेंगे।
मक्के से हो रहा मोहभंग
दरअसल, जो किसान मक्का लगा रहा था, उसका मक्के से मोहभंग हो रहा है, और वह सोयाबीन की तरफ वापस लौट रहा है। मक्के में लागत अधिक है, दवा से लेकर लेबर तक की परेशानी है। सोयाबीन में एक निंदाई में काम हो रहा है, जबकि मक्के में तीन बार निंदाई, दवा डालना, फर्टिलाइजर आदि में काफी लागत आती है। निंदाई, तुड़ाई, दाना निकालने, सफाई में लेबर लगाने से लागत बढ़ती जाती है। अत: किसान मक्के से हटकर वापस सोयाबीन की नई वैरायटी की ओर लौट रहा है, इससे सोयाबीन का रकबा पूर्व की अपेक्षा बढ़ रहा है।
ग्राम जुझारपुर (Village Jujharpur) के किसान विजय चौधरी बाबू (Vijay Chaudhary Babu) कहते हैं कि मौसम धान में देरी करा रहा है। धान की बोवनी गति नहीं पकड़ पा रही है। उन्होंने भी माना कि कुछ किसान सोयाबीन की ओर लौट रहे हैं, लेकिन उनमें ज्यादातर वे किसान हैं जो मक्का की फसल लेते रहे हैं। मक्के में बर्रू खरपतवार के कारण किसान परेशान होकर सोयाबीन की तरफ लौटे हैं। लेकिन, कृषि विभाग किसानों को नयी वैरायटी का बीज ही उपलब्ध नहीं करा पा रहा है। कई किसान हैं जिन्हें पुराना बीज ही दिया गया है, नई वैरायटी उपलब्ध नहीं हो रही है। मक्के का रकबा भी हमारी तहसील में कम हुआ है, लेकिन सिवनी मालवा में बढ़ा है।
जिले में धान, सोयाबीन, मक्का
जिले में सबसे अधिक रकबा अब भी धान का ही है। धान में भी किसान बासमती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। जिले में करीब 2 लाख 40 हजार हेक्टेयर में धान की बोवनी इस बार हो रही है, वहीं सोयाबीन का रकबा कुछ मात्रा में बढ़ा है। सोयाबीन करीब 35 हजार हेक्टेयर में होगा तथा मक्का 30 हजार हेक्टेयर में बोवनी होना है।
इनका कहना है…
सोयाबीन का रकबा थोड़ा बढ़ा है, धान का रकबा कम तो नहीं हुआ, किसान बासमती की तरफ जा रहा है। मक्का भी कम नहीं हुआ, लगभग पिछले वर्षों के अनुसार ही है। जहां तक बीज की बात है तो शासकीय योजनांतर्गत हमने पर्याप्त मात्रा में सोयाबीन का बीज वितरण किया है। जिन्हें नहीं मिला वे अपने ब्लॉक मुख्यालय पर वहां के अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।
जेआर हेडाऊ, उपसंचालक कृषि