इटारसी। शीत कालीन अवकाश में अपने पीहर आई राजेश्वरी सेठी एवं उनके पति नीरज सेठी ने गोकुल नगर खेड़ा स्थित शांतिधाम का अवलोकन करने के बाद किए गए कार्यो पर प्रसंन्नता व्यक्त की। लगभग एक घंटा दोनों पति-पत्नी शांतिधाम (Shantidham) में रुके एवं अवलोकन किया। उन्होंने भगवान शंकर की प्रतिमा के सामने अपना फोटो भी खिंचवाया।
विजीटर बुक में राजेश्वरी सेठी ने लिखा कि जीवन और मृत्यु दोनों ही ईश्वर की देन है लोग श्मशानघाट में जाने से डरते है, परंतु अंत में आना यही पड़ता है। उन्होंने लिखा कि मैं इटारसी में पैदा हुई और यहीं की निवासी हूूं। मेरा विवाह अशोक नगर निवासी नीरज सेठी के साथ हुआ इसलिए मैं अशोक नगर में रहती हूं। शीतकालीन अवकाश (winter vacation) में मेरा इटारसी आना हुआ और मुख्य मार्ग पर भगवान शंकर की प्रतिमा देखने के बाद हम दोनों की इच्छा हुई कि इस स्थान का भ्रमण करना चाहिए पहले तो हमें यह मंदिर जैसा फिर पता चला कि यह शांतिधाम है, हमें लग ही नहीं रहा था कि हम शांतिधाम में खड़े हैं और यहां की व्यवस्था अति सुंंदर है।
इस तरह की व्यवस्था शायद ही किसी शहर में हो, यहां पर पार्क, लाईब्रेरी, औषधियां पौधे तो हैं कि परंतु अंतिम संस्कार में आने वाले व्यक्तियों के लिए मुंडन कक्ष, गर्म पानी के गीजर सहित आधुनिक जनसुविधा, बैठने के लिए बड़े-बड़े हॉल बच्चों के लिए झूले एवं व्यवस्थित कार्यालय है। श्रीमती राजेश्वरी सेठी ने लिखा कि शांतिधाम के सदस्य कार्यकारी प्रमोद पगारे की कार्यशैली से वह बहुत प्रभावित हैं ऐसे लोग समाज में विरले होते हैं, ऐसे उर्जावान लोगों को ईश्वर लंबी आयु दे। शांतिधाम के प्रबंधक घनश्याम तिवारी ने राजेश्वरी एवं उनके पति नीरज सेठी को शांतिधाम का अवलोकन कराया एवं कार्यकारी सदस्य प्रमोद पगारे (Executive Member Pramod Pagare) ने अशोक नगर से आए श्रीमती राजेश्वरी एवं उनके पति नीरज सेठी के प्रति आभार व्यक्त किया कि उन्होंने शांतिधाम की व्यवस्था को सराहा।