विनोद कुशवाहा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश की कोरोना स्थिति की समीक्षा करते हुये कलेक्टरों को 31 मई तक सख्ती के निर्देश क्या दिए इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने तत्काल आदेश भी जारी कर दिए जबकि एक्टिव केस कम हुए हैं और रिकवरी रेट बढ़ा है। कोरोना से हो रही मौतों का ग्राफ भी नीचे उतरा है पर कलेक्टर तो कलेक्टर होते हैं। हालांकि भा ज पा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने सख्ती के इस निर्णय से असहमति जताते हुये इसे अलोकतांत्रिक और तानाशाही भरा निर्णय बताया है। यहां तक कि भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता कृष्णमुरारी मोघे ने भी इस निर्णय के प्रति अपनी अप्रसन्नता जाहिर की है।
इधर इटारसी में कलेक्टर द्वारा लागू धारा 188 तथा 144 की स्थानीय प्रशासन ने ही धज्जियां उड़ा दीं। नगरपालिका प्रशासक एसडीएम मदनसिंह रघुवंशी एवं मुख्य नगरपालिका अधिकारी हेमेश्वरी पटले की उपस्थिति में कोरोना गाइड लाइन का उल्लंघन करते हुए स्थानीय रेस्ट हाउस के बरामदे में आपदा प्रबंधन समिति के नाम पर आयोजित बैठक बिना किसी निर्णय के ही समाप्त हो गई। उल्लेखनीय है कि बिना सोशल डिस्टेंस का पालन किये बैठक में भारी भीड़ एकत्रित कर ली गई थी। सीएमओ पर आरोप है कि क्षेत्रीय विधायक तथा पूर्व विधान सभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा की असहमति के बावजूद उन्होंने रेस्ट हाउस के बरामदे में बैठक आयोजित कर न केवल स्थानीय विधायक बल्कि प्रशासनिक अधिकारियों, गणमान्य नागरिकों, पत्रकारों एवं तथाकथित आपदा प्रबंधन समिति के सदस्यों की जान खतरे में डाल दी। ज्ञातव्य है कि इस भीड़ भरी बैठक में कोरोना गाइड लाइन के मुताबिक दो गज की तो छोड़िए दो फीट की दूरी का भी ध्यान नहीं रखा गया। क्षेत्रीय विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा ने इस गलती को स्वीकार करते हुए कहा – ‘ऐसी बैठक नहीं होना चाहिए’ उन्होंने तत्काल होशंगाबाद फोन कर अपना विरोध भी दर्ज कराया। इस बैठक के बाद सोशल मीडिया पर मुख्य नगर पालिका अधिकारी हेमेश्वरी पटले को जबरदस्त तरीके से ट्रोल करते हुए कई नागरिकों ने अपनी नाराजगी जाहिर की। कुछ नागरिकों ने तो स्पष्ट कहा कि – “जो ज़िंदा रह गए हैं उन्हें तो ज़िंदा रहने दें”।
पूर्व गृह एवं जनसंपर्क मंत्री विजय दुबे काकू भाई ने पत्रकारों को विस्तार से इस शर्मनाक घटनाक्रम की जानकारी देते हुए आपदा प्रबंधन समिति की उपरोक्त बैठक की कड़े शब्दों में निंदा की है। उन्होंने पत्रकारों से प्रतिप्रश्न करते हुए कहा कि – ‘क्या इस नियम के विपरीत बैठक करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कलेक्टर कार्यवाही करेंगे? ‘पत्रकारों को जानकारी देते हुए अनेक व्यापारियों ने यह भी बताया कि- दुकानें खोलने में भी पक्षपात् किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि जिस तरह कुछ दिन पूर्व भवानी प्रसाद मिश्र ओडिटोरियम में आयोजित बैठक बिना किसी नतीजे पर पहुंचे समाप्त हो गई थी, वही हाल इस बैठक का भी हुआ। भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन के युवा नेता प्रतीक मालवीय ने जब नगरपालिका प्रशासक एसडीएम मदनसिंह रघुवंशी तथा मुख्य नगरपालिका अधिकारी हेमेश्वरी पटले से प्रश्न किया कि आपदा प्रबंधन समिति में किसको शामिल किया गया है और वह कैसे सदस्य बने हैं तो अधिकारी बगलें झांकने लगे।
ज्ञातव्य है कि नगरपालिका की नजर में गणमान्य नागरिकों का कोई मापदंड नहीं है। यही हाल पुलिस प्रशासन की शांति समिति व परिवार परामर्श केंद्र के सदस्यों का है। मैं इस सम्बंध में स्थानीय विधायक डॉ सीतासरन शर्मा का ध्यान भी आकर्षित कर चुका हूं। खैर। उक्त बैठक में और कुछ भले न हुआ हो। पूर्व पार्षद अवध पांडे ने बारिश के पहले शहर की नालियों की सफाई का मुद्दा जरूर उठाया। इसके लिए वे धन्यवाद के पात्र हैं क्योंकि नगरपालिका के पास तो हर समस्या के समाधान का एक ही बहाना है “कोरोना” कोरोना से भी सीएमओ किस तरह निपट रहीं हैं वो भी हम देख ही रहे हैं। किसी भी समस्या के समाधान में उनको कोई दिलचस्पी तो है नहीं। यहां तक कि नगरपालिका में सीएम हेल्पलाइन में की गई शिकायतों को भी गम्भीरता से नहीं लिया जाता। मैं सीएम हेल्पलाइन के माध्यम से पिछले दो वर्षों से भी अधिक समय से लगातार न्यास कॉलोनी में प्रकाश वल्लभ सोनी पार्क के सामने स्थित एलआईजी 77 से 104 के बीच नाली निर्माण की मांग करता आ रहा हूं मगर किसी भी मुख्य नगर पालिका अधिकारी के कान में जूं तक नहीं रेंगीं। यहां तक कि नगरपालिका परिषद सीएम हेल्पलाइन को ही गलत जानकारी देकर भ्रमित करती रही।
यही वजह है कि सीएमहेल्प लाइन में की गई शिकायतों के निराकरण में हम फिसड्डी साबित हुए हैं और सिवनी मालवा तथा बनखेड़ी जैसी नगरपालिकाएं हमसे बाजी मार ले गईं। उल्लेखनीय है कि सिवनी मालवा नगरपालिका ने सीएम हेल्पलाइन से प्राप्त 91.38 प्रतिशत शिकायतों का निराकरण किया है तो बनखेड़ी नगरपालिका द्वारा 86.67 शिकायतों का निराकरण हुआ है। दोनों नगरपालिकाओं को ए ग्रेड मिला है। ये तो हुआ सीएम हेल्पलाइन का हाल। अब आते हैं जनप्रतिनिधियों पर। विगत् 10 वर्षों से मैं स्थानीय पार्षद कुलदीप रावत से उक्त समस्या के निराकरण का निवेदन करता आ रहा हूं पर उन्होंने भी ध्यान नहीं दिया। वैसे भी उन्होंने वार्ड में कुछ नहीं किया है। जनचर्चा है कि अगले निकाय चुनावों में न्यास कॉलोनी से अमृता मनीष ठाकुर चुनाव लड़ने का मन बना रही हैं। यही कारण है कि इस वार्ड में युवा समाजसेवी मनीष ठाकुर कुछ ज्यादा ही सक्रिय हो गए हैं। उनका ध्यान भी मैंने इस समस्या की ओर आकर्षित किया था लेकिन वे भी झटका देकर निकल लिए। भैय्या जब मतदाता झटका देते हैं न तो वो धीरे नहीं जोर का झटका लगता है।
विनोद कुशवाहा (Vinod Kushwaha)