बहुरंग : मेरे शहर का रंगमंच

Post by: Manju Thakur

– विनोद कुशवाहा :

  मेरे शहर इटारसी का रंगमंच बहुत समृद्ध रहा है । यहां न केवल नाटकों का प्रदर्शन किया गया बल्कि नुक्कड़ नाटक तक खेले जाते रहे हैं । संवाद लेखक एवं गुरुदत्त के सहायक रहे अबरार अल्वी , अभिनेता , कथाकार , निर्देशक ऋषिवंश , अभिनेता किशोरी लाल मेहरा , अभिनेता , प्रोडक्शन कंट्रोलर रमेश वर्मा से लेकर निर्देशक नितेश तिवारी तक का ताल्लुक कहीं न कहीं इटारसी से रहा है । स्कूल स्तर से लेकर महाविद्यालयीन स्तर तक विविध साहित्यिक , सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं ने भी समय – समय पर नगर में नाटकों का मंचन किया है । मेरे स्वयं के द्वारा लिखित , अभिनीत तथा निर्देशित नाटकों पृथ्वीराज की आंखें ( डॉ रामकुमार वर्मा ) , वर चाहिए , टिन्नू का मदरसा , नींद और सपने आदि नाटकों को अपार लोकप्रियता मिली । यही वजह थी कि उपरोक्त नाटकों के कई शो आयोजित किये गए ।
उल्लेखनीय है कि इसके अतिरिक्त शहर की सृजनात्मक संस्था ‘बातचीत’ के माध्यम से भी हमने इटारसी में कितने ही बहुचर्चित नाटकों के प्रदर्शन कराए हैं । बाद में विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय व स्थानीय सामाजिक संस्थाओं से जुड़े समाजसेवी व रंगकर्मी अनिल झा के प्रयासों से हम सबने शहर में कई नाटकों के मंचन कराए ।
ज्ञातव्य है कि सुप्रसिद्ध नाट्य निर्देशक एवं अभिनेता सरताज सिंह ने इटारसी में स्थानीय संस्थाओं के सहयोग से अपने लोकप्रिय नाटक ‘ भय प्रगट कृपाला ‘ के अनेक शो आयोजित किए हैं ।
साथ ही नगर के बारह बंगले स्थिति रेलवे इंस्टीट्यूट तथा महाराष्ट्र विद्या मंदिर में भी रवि गिरहे व गजानन बोरीकर आदि की सम्मिलित कोशिशों से कई मराठी एवं हिंदी नाटकों का प्रदर्शन किया गया ।
वैसे इटारसी में अब तक बकरी ( सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ) , अदरक के पंजे ( बब्बन खां ) , एक था गधा उर्फ अलादीद खां ( शरद जोशी ) , निठल्ले की डायरी ( हरिशंकर परसाई ) , रावण , फांसी के बाद आदि नाटकों का मंचन हो चुका है ।
जबलपुर की “विवेचना” संस्था का पदार्पण तो शहर में कितनी ही बार हुआ है ।
एस पी तिवारी ने मुझे नायक के रूप में सामने रखकर एक नाटक लिखा था। ‘ बर्फ की दीवार ‘। मुझको इस बात का बेहद दुख है कि उसके मंचन के पहले ही वे चल बसे । मैंने उनके परिवार से इस नाटक की स्क्रिप्ट लेने का भरसक प्रयत्न किया परन्तु मुझे सफलता नहीं मिली।
बीच में एक बार इटारसी के रेस्ट हाउस में प्रख्यात रंगकर्मी हबीब तन्वीर से मेरी मुलाकात हुई थी । उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रखकर मुझे अपनी ओर से ये विश्वास दिलाया था कि वे उनके नाटकों का मंचन इटारसी में जरूर करेंगे । अफसोस कि तन्वीर साहब भी अब नहीं रहे।
मैं नर्मदांचल के अपने स्तम्भ ‘ बहुरंग ‘ के माध्यम से मेरे मित्र और मेरे सुख-दुख के साथी भारत भूषण गांधी से ये पुरजोर अनुरोध करता हूं कि वे इटारसी में नाटकों की परंपरा को पुनर्जीवित करें । उन्हें सहयोग के लिए हम सब उनके साथ हैं ।

vinod kushwah

विनोद कुशवाहा (Vinod Kushwaha)

contact : 9425043026

 

Leave a Comment

error: Content is protected !!