इटारसी। मां चामुंडा दरबार भोपाल (Maa Chamunda Darbar Bhopal) के पुजारी गुरूजी पं. रामजीवन दुबे (Guruji Pt. Ramjeevan Dubey) ने बताया कि हिंदू धर्म में केवल शीतला सप्तमी 24 मार्च, शीतला अष्टमी 25 मार्च के दिन ही बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। इस दिन महिलाएं शीतला माता की विधि-विधान से पूजा करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शीतला माता की कृपा से धन-धान्य में बढ़ोतरी होती है व बीमारियों से मुक्ति मिलती है। इस दिन घर में ताजा भोजन नहीं बनाया जाता है। पूजा के एक दिन पूर्व रात्रि में पूजा सामग्री एवं पकवान बनाए जाएंगे।
शीतला सप्तमी कब है?
23 मार्च को रात्रि में पकवान बनाए जाएंगे। शीतला सप्तमी 24 मार्च 2022, गुरुवार को है। शीतला सप्तमी का पूजन मुहूर्त सुबह 06 बजकर 21 मिनट तक।
शीतलाष्टमी तिथि – मार्च 25, 2022 को। 24 मार्च को रात्रि में हलवा, पूरी, दही बड़ा, पकौड़ी, पुए रबड़ी आदि बनाया जाएगा। अगले दिन सुबह महिलाएं इन चीजों का भोग शीतला माता को लगाकर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इस दिन शीतला माता समेत घर के सदस्य भी बासी भोजन ग्रहण करते हैं। इसी वजह से इसे बासौड़ा पर्व भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन के बाद से बासी खाना खाना उचित नहीं होता है।
यह सर्दियों का मौसम खत्म होने का संकेत होता है और इसे इस मौसम का अंतिम दिन माना जाता है। इस पूजा को करने से शीतला माता प्रसन्न होती हैं और उनके आशीर्वाद से दाहज्वर, पीतज्वर, विस्फोटक, दुर्गंधयुक्त फोड़े, शीतला की फुंसियां, शीतला जनित दोष और नेत्रों के समस्त रोग दूर हो जाते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान-
शीतला सप्तमी एवं शीतलाष्टमी के दिन गर्म चीजें नहीं खाई जाती है। इसके साथ ही घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है। एक दिन पहले ही रात में ही सारा भोजन हलवा, गुलगुले, रेवड़ी आदि तैयार करके रख लेना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन गर्म पानी से नहाने की भी मनाही है। शीतला अष्टमी के दिन शीतल जल से ही नहाने की परंपरा है।