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हम्मालों की मांग, 1 रुपए बढ़े मजदूरी, व्यापारी 75 पैसे बढ़ाने हुए तैयार
– पैसे नहीं बढऩे पर हम्मालों ने कर दिया था काम बंद
– मंडी प्रबंधन की मध्यस्थता से दोनों पक्ष साथ बैठे
इटारसी। व्यापारियों से मजदूरी बढ़ाने की मांग करते हुए आज कृषि उपज मंडी (Agricultural Produce Market) में हम्मालों ने काम बंद कर दिया। हम्माल-तुलावटी संघ का कहना है कि पांच वर्ष से मजदूरी नहीं बढ़ी है। हम एक रुपए की बढ़ोतरी चाहते हैं, जबकि व्यापारी केवल पचास पैसे बढ़ाने की बात कर रहे हैं। मंडी में काम बंद होने की सूचना के साथ ही एसडीएम और मंडी में भारसाधक अधिकारी मदन सिंह रघुवंशी (SDM Madan Singh Raghuvanshi) ने जाकर दोनों पक्षों को बिठाकर मामले का हल निकालने का प्रयास किया। व्यापारी बैठक में 75 पैसे बढ़ाने को राजी हो गये हैं। व्यापारियों का कहना है कि वे सिलाई में भी 15 पैसे बढ़ाने को तैयार हैं, लेकिन हम्मालों ने उनकी बात नहीं मानी और काम बंद कर दिया। ऐसे में जब सिलाई नहीं होगी, लोडिंग नहीं होगी तो हम माल नहीं खरीद पाएंगे।बैठक में एसडीएम और मंडी में भार साधक अधिकारी मदन सिंह रघुवंशी, मंडी सचिव राजेश मिश्रा (Mandi Secretary Rajesh Mishra) सहित ग्रेन मर्चेन्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेन्द्र अग्रवाल (President of Grain Merchant Association Rajendra Agrawal), अनिल राठी, हम्माल-तुलावटी संघ से नर्बदा प्रसाद यादव और मंडी का स्टाफ मौजूद था। काफी देर चली चर्चा के बाद व्यापारियों ने 50 पैसे की जगह 75 पैसे बढ़ाने पर अपनी सहमति दे दी है। मंडी प्रशासन का कहना है कि यह व्यापारियों और हम्मालों के बीच का मामला है, वे तय करेंगे कि कब से बढ़े हुए रेट का भुगतान करना है।
अभी मिलती है इतनी राशि
हम्मालों, तुलावटियों को माल तौलने, लोडिंग करने का व्यापारियों से 2 रुपए 25 पैसे मिलते हैं, जबकि किसानों से 3 रुपए 35 पैसे का भुगतान होता है। हम्मालों की मांग थी कि उनको एक रुपए बढ़ाया जाना चाहिए, क्योंकि आसपास की मंडियों में अधिक रेट है। बानापुरा, नर्मदापुरम, पिपरिया मंडी में व्यापारियों से तीन रुपए से अधिक मिल रहे हैं, केवल इटारसी मंडी में ही व्यापारी कम राशि दे रहे हैं। अब 75 पैसे बढऩे के बाद हम्मालों को 3 रुपए प्रति क्विंटल की राशि मिलने लगेगी।
मजदूरों की हो गयी है कमी
हम्माल-तुलावटी संघ के नर्बदा प्रसाद यादव कल्लू पहलवान का कहना है कि आसपास की मंडियों में अच्छे दाम मिलने से मजदूर वहां जाकर काम कर रहे हैं और इटारसी मंडी में रेट कम मिलने से यहां मजदूरों की कमी हो गयी है। कम मजदूर होने से काम भी प्रभावित हो रहा है। उनका कहना है कि जहां ज्यादा पैसा मिलेगा वहीं जाएंगे। आसपास की मंडियों में 3 रुपए 25 पैसे से 3 रुपए 60 पैसे तक हम्माली मिलती है। यहां 2 रुपए 25 पैसे में कोई काम करने को तैयार नहीं है, कम रेट के कारण बिहार के मजदूर भी इस वर्ष इटारसी आने को तैयार नहीं हैं।
2017 में बढ़ी थी मजदूरी
बताया जाता है कि कृषि उपज मंडी इटारसी में सन् 2017 में मजदूरी बढ़ी थी, उसके बाद नियम से हर दो वर्ष में रेट बढ़कर मिलना था। यानी 2019 में रेट बढऩे थे। लेकिन, कोरोना का लॉकडाउन में काम नहीं होने या कम काम होने से रेट बढऩे का मामला टलता चला गया। यह पांच वर्ष है, जब हम्मलों को रेट बढ़कर मिलना चाहिए। हम्मालों ने व्यापारी संघ को एक पत्र देकर एक रुपए बढ़ाने की मांग की थी। 2017 में 2.25 पैसे थप्पी लगायी, वाहन भरना/खाली करना 2.50 प्रति बोरी, बोरा दर 3 रुपए थी। इस वर्ष थप्पी लगायी 3 रुपए 25 पैसे और वाहन भरना/खाली करना 3.50 पैसे की मांग थी।
इनका कहना है…
मंडी में व्यापारियों और हम्मालों के मध्य रेट को लेकर उनका अपना विवाद था। मंडी प्रबंधन तो आपसी बातचीत के आधार पर मामले का हल निकालने बैठा था। व्यापारी 75 पैसे बढ़ाने पर राजी हो गये हैं, कब बढ़ेगा, यह दोनों पक्ष की सहमति से होगा।
राजेश मिश्रा, मंडी सचिव
पांचवा वर्ष है, हमारी हम्माली दर नहीं बढ़ाई। किसानों से जो राशि मिल रही है, वह उचित है, केवल व्यापारियों से हम एक रुपए की बढ़ोतरी चाह रहे थे। बैठक में व्यापारी 75 पैसे बढ़ाने को तैयार हो गये हैं। हम काम रोकना नहीं चाहते हैं, हमें उचित मजदूरी मिलनी चाहिए।
नर्बदा प्रसाद यादव, हम्मालों के प्रतिनिधि
हमें हम्माली बढ़ाने का पत्र मिला था, हमने अपने साथियों के साथ बैठक की तो सभी ने 50 पैसा बढ़ाने पर सहमति दे दी थी। लेकिन हम्माल इस पर तैयार नहीं हैं। बैठक में 75 पैसे बढ़ाने पर सहमति बनी है। सिलाई के पैसे पर वे तैयार नहीं है, ऐसे में हम कैसे माल की खरीदी कर पाएंगे।
राजेन्द्र अग्रवाल, अध्यक्ष ग्रेन मर्चेन्ट एसोसिएशन
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