नर्मदापुरम। यहां चल रहे श्रीराम लीला महोत्सव (Shri Ram Leela Mahotsav) में बीती रात धनुषयज्ञ की लीला की गई। महाराजा जनक (Maharaja Janak) अपनी पुत्री के स्वयंवर के लिए यह प्रतिज्ञा करते हैं कि जो कोई भी उनके महल में स्थापित भगवान शंकर (Lord Shankar) के भव्य धनुष पिनाक (Dhanush Pinak) की प्रत्यंचा चढ़ाएगा या उसको भंग करेगा उसी से जनकनन्दिनी सीता (Sita) का विवाह होगा। सीता के स्वयंवर में देश देशांतर के राजा, राजकुमारों के साथ लंकाधिपति रावण (Ravana), श्रोणितपुर से बाणासुर (Banasur) सहित कई महाराजा जनकपुर पहुंचते हैं और अपने पराक्रम को दिखाते हुए पिनाक धनुष को उठाने का प्रयास करते हैं लेकिन सभी असफल होते हैं।
तभी मुनि विश्वामित्र के आदेश से श्रीराम (Shri Ram) जी भव्य धनुष पिनाक को उठाने में सफल हो जाते हैं, और प्रत्यंचा चढ़ाते समय धनुष भंग हो जाता है। महाराज जनक की प्रतिज्ञा अनुसार सीता जी श्रीरामजी को वरमाला पहना देती हैं, तभी दूरस्थ भगवान परसुराम जी को आभास होता है कि कुछ हुआ है वे मन की गति से तुरंत जनकपुर आते हैं जहां उनका राजा जनक, श्रीराम, लक्ष्मण से संवाद होता है अंत में उनको लगता है कि विष्णुजी ने अवतार ले लिया है। लीला में प्रतीक दुबे ने श्रीराम, अक्षय मिश्रा ने लक्ष्मण, संपूर्ण चतुर्वेदी ने सीता, सुभाष परसाई ने रावण, दीपेश व्यास ने बाणासुर, मुकेश कुमार मांडलेकर ने दुष्ट राजा, आराध्य गार्गव ने साधु राजा और अरुण तिवारी, पुनीत पाठक ने सुमति विमती की भूमिका निभाई।