Environment : धधकते शहर को शीतलता देना अब हमारे हाथ में

Post by: Manju Thakur

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धधकते शहर को चाहिए शीतलता देने वाले हाथ शाम के साढ़े सात बजे भी पारा अधिकतम 39 पर पहुंच रहा है। घर से बाहर निकलते ही ऐसा लग रहा है जैसे किसी भट्टी के पास से गुजर रहे हैं। शाम ढलने पर सूरज को रात के अंधेरे अपने आगोश में समेट लेते हैं, फिर भी उसके तेवर झेलना आमजन के वश में नहीं है। आज का अधिकतम तापमान 43 डिग्री सेल्सियस पर गया लेकिन, अहसास 47 डिग्री का करा दिया। हरियाली से पूरी तरह से महरूम इस शहर में न्यूनतम तापमान भी 33 डिग्री सेल्सियस तक जा रहा है। ऐसे में रात को कूलर, एसी पंखे सब बेअसर साबित हो रहे हैं। पंखे गर्म हवा उगल रहे हैं और जंबो कूलर खुद पानी मांग रहे हैं।
सड़कों पर बेवजह चहलकदमी करते वाहन चालक सांझ ढलने का इंतजार करते हैं। दिनभर सड़कों पर फर्राटे वाले बाइक और स्कूटी सवार घरों में दुबक गए हैं। लू के थपेड़ों ने घर से बाहर निकलना मुश्किल कर दिया है। सुबह सूर्योदय के बाद मॉर्निंग वॉक करने वालों की सुबह जल्दी होने लगी है। सुबह छह बजे के बाद सूरज की तपन टॉर्चर कर रही है। गर्मी इतनी कि ठंडा पानी प्यास बुझाने की बजाए पेट भरने का काम ज्यादा कर रहा है।
विकास के लिए पेड़ों का विनाश ही इस दुर्दशा का सबसे बड़ा कारण है और हम मानवों की पर्यावरण सुधार की दिशा में उदासीनता भी। लाखों पेड़ विकास के लिए काट दिये गये और उनकी जगह नये नहीं लगाये। पौधरोपण अभियान केवल अखबारों में फोटो छपवाकर सबसे बड़े पर्यावरण प्रेमी होने की खुशफहमी में सिमट गया। नयी-नयी कालोनियां और उनमें कांक्रीट बिछाकर शहर को हीटर बनाया जा रहा है, न लोगों की चिंता है और ना ही शहर की परवाह। अभी भी वक्त है क्योंकि अभी नहीं चेते तो पारा 50 तक पहुंचने में देर नहीं लगेगी। कुछ कदम तो अनिवार्य रूप से उठाने की जरूरत है। इसमें केवल किसी व्यक्ति विशेष की नहीं सामूहिक उत्तदायित्व निभाने की जरूरत है। जनप्रतिनिधि, सामाजिक संस्थाएं, स्वयंसेवी संस्थाएं, पर्यावरण प्रेमी सबकी जरूरत होगी। पेड़ काटने की मनमानी खत्म होनी चाहिए और बिना रेन वॉटर हार्वेस्टिंग/वर्षा जल संग्रहण की सुविधा के किसी को भी घर बनाने की मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए। आवासीय कालोनियों और सड़कों के किनारे सजावटी पेड़ों के स्थान पर नीम, आम जामुन, पीपल, वट जैसे धीर-गंभीर, छायादार और फलदार वृक्ष लगाएं जाएं। इन कामों के लिए केवल सरकारी योजनाओं, सरकारों के भरोसे नहीं बल्कि अपनी जिंदगी बचाने के लिए स्वयं हाथ पैर चलाने की आवश्यकता है, क्योंकि जिंदगी हमें अपनी बचानी है, हरेक का साथ चाहिए। गर्मी की अकड़ ठिकाने लगाने के लिए पेड़ों को लगाने की आवश्यकता है, शहर को आग का गोला बनने से चबाने के लिए पेड़ों की आवश्यकता है। तो संकल्प लें कि अब सके पेड़ लगाएंगे, तापमान को कम करने के लिए, शहर को ठंडा रखने के लिए, अखबार में फोटो छपवाने से परहेज करके। केवल काम।

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