गैर जिम्मेदाराना रवैया: पिता की सांसें थमी, रेमडेसिविर लगाने नहीं पहुंची टीम

गैर जिम्मेदाराना रवैया: पिता की सांसें थमी, रेमडेसिविर लगाने नहीं पहुंची टीम

पिता की जान बचाने बेटियां करती रहीं भागदौड, प्रशासन की लापरवाही से थमी सांसे

इटारसी। सिविल अस्पताल (Civil Hospital) में व्यवस्थाओं के बुरे हाल हैं। कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं। डॉक्टर मानो, इतना करके अहसान कर रहे हैं। आज एक निजी स्कूल की शिक्षिका अपने पिता की जान बचाने का असफल प्रयास करती रही। आखिरकार सुबह से शाम तक सारे प्रयासों के बाद उसके पिता की सांसें थम ही गयीं। दो बहनें तमाम प्रयासों और इटारसी से होशंगाबाद तक भागदौड़ के बावजूद अपने पिता को नहीं बचा सकी। यह केवल एक कहानी नहीं, बल्कि ऐसी कई कटु अनुभवों से सारा दिन अस्पताल में भर्ती मरीज और उनके परिजन सामना कर रहे हैं।
सिविल अस्पताल में ऑक्सीजन लेबल (Oxygan level) कम होने पर मरीज अजय श्रीवास 63 वर्ष भर्ती हुए थे। दो बेटियों ने रेमडेसिविर की जरूरत होने पर अधीक्षक डॉ.आरके चौधरी (Superintendent Dr. RK Chaudhary) से गुहार लगायी तो सीधा जवाब मिला। हमारे पास इंजेक्शन नहीं हैं। जो थे, वे खत्म हो गये। अब जब आ जाएंगे तो लगा देंगे। अपने जान-पहचान वालों से बेटियों ने मदद मांगी, केवल सलाह मिली कि होशंगाबाद में एडीएम जीपी माली (ADM GP Mali) से मिलना पड़ेगा। एक बेटी पहुंची और अपने पिता का नाम, अस्पताल, बेड नंबर भी दर्ज कराके आयी। वहां से कहा गया कि टीम आएगी, देखने कि जरूरत है या नहीं? किसी ने विधायक कार्यालय में बात करने का सुझाव दिया। यहां भी बात हुई, बाकायदा पत्र भी लिखा गया। लेकिन, संभवत: अस्पताल से सहयोग नहीं मिल सका और आखिरकार बेटियां अपने पिता को खो चुकी हैं।

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