मन्दसौर, 20 सितंबर (हि.स.)। भारत में स्थित भगवान के मंदिरों को सरकारीकरण से तुरंत मुक्त करना चाहिए। हिन्दुओं के लिए मंदिर भारत देश में ही नहीं संपूर्ण विश्व में आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र है। मंदिर में भक्तगण को अपने भगवान के प्रति अपार श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजा करते है। भारत में मंदिरों का अपना पारंपरिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व भी है। विश्व प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर जहां दर्शन के बाद मिलने वाले प्रसाद के लड्डुओं में गो मांस की चर्बी और मछली के तेल की मिलावट होना हिंदूओं के आस्था के ऊपर बहुत बड़ा कुठाराघाट है जो भी दोषी है उनके विरुद्ध कठोर कार्यवाही होना चाहिए। भविष्य में ऐसा पाप नहीं हो इसके लिये सभी सरकारी प्रंबधन के मंदिरों के प्रसाद की समय-समय पर खाद्य विभाग को जांच करते रहना चाहिए।
उक्त बात करते हुए धर्मसेमी डॉ. रविन्द्र पाण्डेय ने कहा कि तिरूपति लड्डू या श्रीवारी लड्डू भारत के आंध्र प्रदेश के तिरूपति जिले के तिरूपति स्थित तिरुमला वेंकटेश्वर मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर को नैवेद्यम के रूप में चढ़ाया जाने वाला लड्डू है। मंदिर में दर्शन के बाद भक्तों को प्रसाद के रूप में यह लड्डू दिया जाता है। लेकिन इन लड्डूओं पर उठने वाले प्रश्न सनातनी हिंदुओं की भावनाओं को चोट पहुंचाने वाले है।
डॉ. पाण्डेय ने कहा कि मंदसौर विश्व प्रसिद्ध भगवान पशुपतिनाथ मंदिर में इतने वर्षों के बाद भी प्रबंध समिति में केवल सरकारी अधिकारी हैं। आस्थावान व धर्म के क्षेत्र में कार्य करने वाले जिनकी भगवान के प्रति आस्था हो ऐसे लोगों को प्रबंध समिति में रखना चाहिए। मंदिर का केवल सरकारीकरण करने से मंदिर का प्रबंध नहीं हो सकता। विगत वर्षों में हमने देखा है मंदिर में निर्माण कार्य में कई प्रकार की त्रुटियां दिखाई दे रही है और मंदिर का प्रबंधन भी ठीक नहीं हो रहा है इसलिए मध्य प्रदेश सरकार तुरंत मंदिर की प्रबंध समिति बनाएं व प्रबंधक आस्थावान सेवानिवृत्त अधिकारी हो। जिससे मंदिर का प्रबंधन ठीक हो तथा भक्तों की मंदिर के प्रति आस्था को ठेस नहीं पहुंचे
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हिन्दुस्थान समाचार / अशोक झलोया