बिना ईधन कैसे उड़ान भरती है पतंग? बताया सारिका ने

Post by: Rohit Nage

इटारसी। उल्लास के पर्व सक्रांति का संबंध पतंग से जुड़ा भी रहा है। अनेक स्थानों पर इसे प्रतियोगिता के रूप मे भी मनाया जाता है। आसमान में उड़ती रंग-बिरंगी पतंगें सबका मन मोह लेती हैं। पतंग बिना किसी ईधन उड़ान भरने के वैज्ञानिक कारण को नेशनल अवार्ड प्राप्त खगोलविद सारिका घारू ने समझाया।

सारिका ने बताया कि पतंग आमतौर पर कागज की बनी होती है, इसमें बांस की पतली डंडिया लगी होती हैं। पतंग के निचले सिरे पर पूंछ होती है। यह पतले धागे से बंधी होती हैं। यह धागा उस व्यक्ति के हाथ तक गया होता है जो कि इसे उड़ा रहा होता है। पतंग की यह बनावट उसके उडऩे में मददगार होती है।

सारिका ने बताया कि पतंग के आकार और कोण के कारण बहती हवाओं के दबाब में अंतर आ जाता है कारण पतंग के उपर कम दाब रहता है तथा नीचे अधिक दाब रहता है। इस अधिक दाब के कारण पतंग उपर उठती है। यह लिफ्टिंग कहलाती है। पतंग के वेट या भार उसे नीचे लाना चाहता है। धागे के खींचने से थ्रस्ट उत्पन्न होता है जो पतंग को आगे ले जाना चाहता है। इसके विपरीत ड्रेग बल उत्पन्न होता है।

जब लिफ्ट, वेट, थ्रस्ट और ड्रेग संतुलित हो जाते हैं तो पतंग आकाश में उड़ती रहती है। पूंछ लगाने से पतंग पर ओवरथ्रस्ट को रोका जाता हैं इससे धागा खींचने पर वह जमीन पर आकर नहीं गिरती। पर ध्यान रखिये चाइनीज़ माजा या अन्य धारदार मांजा गंभीर दुर्घटना का कारण बन सकता है। इनसे पक्षियों को भी नुकसान पहुंच सकता है। तो मनाईये सक्रांति को सांइस की समझ को बढ़ाते हुये।

Leave a Comment

error: Content is protected !!