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पृथ्वी ग्रह की जनता के धन से चंद्र अभियानों का विश्व की जनता के जीवन पर प्रभाव

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  • अमिताभ शुक्ल

अब निश्चित ही यह एक शोध का विषय है। वैज्ञानिक (scientist) खोजों (?), चंद्रमा (moon) पर मनुष्य जीवन (?) इत्यादि का हवाला दिया जाता रहा है। लगभग 60 वर्ष से अधिक हो गए इन अभियानों को। ( वर्ष 1969 में चंद्रमा पर नील आर्म स्ट्रॉन्ग (neil arm strong) के कदम पढऩे के पूर्व तैयारियों के अनुमानित 9 वर्ष जोड़ते हुए)। निश्चित ही हम सब तब भी अत्यधिक प्रसन्न हुए थे, मानव की उपलब्धियों पर और भविष्य में इससे हमारे, जीवन में होने वाले परिवर्तनों / चमत्कारों की कल्पना में।

भारत के चंद्र अभियानों की सफलता पर भी ऐसी ही खुशी और कल्पनाएं हम सब करते आए हैं। नतीजा? जीवन में लाभ? महंगाई में कमी या सस्ती चिकित्सा सुविधा जैसा भी कुछ नहीं हुआ। जिस तरह मोबाइल (mobile) सेवाओं के लिए नेटवर्क और इससे जुड़ी सेवाओं संबंधी प्रतिस्पर्धा और व्यापार में सरकारों और विश्व के कुबेरपतियो द्वारा खरबों डॉलर्स / रुपयों के अर्जन से अगर हमें खुशी मिल सकती है , तो उस प्रकार ही चंद्रमा अभियानों पर अकूत धन राशि के व्यय के बाद जो एकमात्र परिणाम अब तक प्राप्त हुआ है वह चंद्रमा पर प्लॉट्स (plots) की बुकिंग और यात्रा की बुकिंग के रूप में हमें ज्ञात हुआ है. और यह विश्व के उन्हीं कुबेरपतियो द्वारा किया जा रहा है. विश्व के 8 बिलियन नागरिकों को इससे क्या मिलेगा?

प्रकृति के उपहार ,जिन पर सबका अधिकार है , पर जनता के धन से व्यापार? किसने दिया उन्हें यह अधिकार? कोरोना के कारनामे के साथ यह हमें विदित है कि, विश्व पूंजी और तकनीकी की गिरफ्त में है। सब वैज्ञानिक शोध और फार्मूलों की खोज भी आपके धन से होती हैं और उनकी बिक्री से धन भी आपसे प्राप्त किया जाता है और समस्त व्यापार ‘सप्लाई चेन’ जैसे दृश्य ,अदृश्य उपायों से उन्ही तत्वों : सरकारों , कुबेरपतियों इत्यादि के हाथों द्वारा संचालित हैं और उन्हीं के हाथों में मुनाफा और नई-नई इजादें हैं। समाज का समृद्ध होता वर्ग इनके आनंद से प्रसन्न है और आम जनता पढ़-पढ़ कर और एफबी इत्यादि पर बधाइयां दे कर स्वयं को उनके साथ जुड़ा समझ कर खुश हो जाती है।

इन स्थितियों में मानवता, सरकार, विकास .. क्या हैं? इन बुनियादी बातों को समझे बिना अथवा समझ कर भी कुछ न कर पाने की स्थितियों में साम, दाम, दंड चुनावों से सत्ता प्राप्त करने के नए-नए फार्मूलों से देशों के संसाधन ,वैज्ञानिक प्रतिभाएं और जनता के धन से शक्ति प्राप्त वर्ग जो न वैज्ञानिक हैं, न विकास अर्थशास्त्री, न समाज की चिंता करने वाले विश्व की जनता को किन दिशाओं में ले जा रहे हैं, इस पर विचार और हो सके तो मनुष्यता को बचाने के उपाय जरूरी जरूर लगते हैं।

Rohit Nage

Rohit Nage has 30 years' experience in the field of journalism. He has vast experience of writing articles, news story, sports news, political news.

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