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किसी अस्पताल में हर वक्त विशेषज्ञ मौजूद रहना संभव नहीं

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  • – इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने नीरज राजपूत मामले में रखा दयाल अस्पताल का पक्ष
  • – दयाल अस्पताल पर नीरज के उपचार में लापरवाही का आरोप लगाया था परिजनों ने

इटारसी। किसी भी अस्पताल में, हर वक्त विशेषज्ञ चिकित्सक मौजूद रहना संभव नहीं होता, न सिर्फ इटारसी या नर्मदापुरम बल्कि भोपाल सहित अन्य शहरों के बड़े अस्पतालों में भी चौबीस घंटे विशेषज्ञ मौजूद नहीं रहते हैं, जरूरत पडऩे पर उनको बुलाया जाता है। यह बात आज यहां इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की एक पत्रकार वार्ता में नर्मदापुरम आईएमए के अध्यक्ष डॉ. अतुल सेठा ने कही। पत्रकार वार्ता आईएमए ने दयाल अस्पताल में एक मरीज नीरज राजपूत की मौत के बाद उपजे विवाद पर अस्पताल का पक्ष रखने के लिए बुलायी थी।

दयाल अस्पताल में मरीजों को वहीं के मेडिकल से दवाएं लेने के लिए मजबूर किये जाने संबंधी सवाल पर जवाब अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. अचलेश्वर दयाल ने दिया। उन्होंने कहा कि ओपीडी के मरीज के लिए वहीं से दवाएं खरीदने की कोई बाध्यता नहीं है। इस विषय पर पूर्व में सवाल उठे हैं, डाक्टर्स के विरुद्ध माहौल बनाया जा रहा है। हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि आईसीयू में जो जरूरी दवाएं हैं, आपरेशन संबंधी दवाएं कई मेडिकल स्टोर्स पर नहीं मिलतीं, हम चौबीस घंटे यह सेवा दे रहे हैं, रात के वक्त इमरजेंसी में जब बेहद जरूरी होगा तो आपको दवाएं तो जल्दी चाहिए, यहीं तो मिलेंगी। आईसीयू में भर्ती रहोगे तो भोपाल में भी बाहर से दवाएं अलाऊ नहीं है, गुणवत्ता का विशेष ध्यान देना पड़ता है, हर पेशेंट को यह समझाना संभव नहीं है।

नीरज राजपूत मामले में

दयाल अस्पताल में भर्ती रहे नीरज राजपूत की मौत संबंधी मामले में आईएमए की ओर से पक्ष रखते डॉ. अतुल सेठा ने कहा कि मरीज को 7 जुलाई को रात्रि में एक्सीडेंट से आई चोट के इलाज हेतु लाया गया था उसके बायें जांघ की खून की मुख्य नस (फेमोरल आर्टरी) कट गई थी एवं जांघ की हड्डी टूट गई थी, उसका ब्लड प्रेशर कम हो गया था एवं उसको सामान्य स्थिति में लाने के लिए उसको खून एवं कंपोनेंट्स चढ़ाये और उसका उपचार किया। किन्तु अत्यधिक रक्त स्त्राव के कारण उसका ऑक्सीजन सेचुरेशन गिरने लगा तो उसे तत्काल वेंटीलेटर पर रखा। उसकी स्थिति में थोड़ा सुधार होते ही उसकी जान और पैर बचाने के उद्देश्य से प्लास्टिक सर्जन एवं अस्थि रोग विशेषज्ञ ने उसका ऑपरेशन किया एवं पैर की नस को जोड़ा। पैर में थोड़ा सुधार आने के बावजूद भी अत्यधिक रक्त स्त्राव होने के कारण उसके गुर्दों ने काम करना बंद कर दिया एवं वह मल्टी ऑर्गन फेल्योर में चला गया। उसके इलाज में किसी प्रकार की कोताही नहीं की गई। वह जीवित अवस्था में ही भोपाल पहुंचाया गया और वहां से भी कुछ घंटे पश्चात् डॉक्टरों की मर्जी के खिलाफ वे छुट्टी करा कर ले गए। यह कहना गलत है कि मरीज 24 घंटे पहले मर गए था, अपोलो अस्पताल का जीवित अवस्था का वीडियो उपलब्ध है एवं इस चिकित्सालय में उनको समय-समय पर सारी जानकारी लिखित में दी गई एवं उनकी सहमति से ही ऑपरेशन किया गया। इस से संबंधित उनके हस्ताक्षर युक्त दस्तावेज हमारे पास उपलब्ध हैं।

ये लगाये थे आरोप

नीरज राजपूत की मौत पर परिजनों और करणी सेना ने प्रदेश के चिकित्सा मंत्री, मुख्य सचिव, जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, एसडीएम इटारसी के नाम एक ज्ञापन में आरोप लगाया था कि युवक नीरज राजपूत की दुघर्टना में पैर की हड्डी टूट गई थी। रात करीब 10:35 बजे पता चला तो 15 मिनट में उसे अस्पताल में भर्ती करा दिया। यहां ड्यूटी डॉक्टर ने मरीज को अटैंड किया और कहा कि इनकी मात्र पैर की हड्डी टूटी है, इसका ऑपरेशन सोमवार को करेंगे क्योंकि सोमवार के दिन आयुष्मान कार्ड चालू हो जायेगा, एक व्यक्ति रुक जाओ बाकी सब घर चले जाओ डरने की कोई बात नहीं। शनिवार सुबह 9 बजे फोन आया की आपके बेटे का ऑपरेशन अभी करना पड़ेगा। आप 5 बोटल ब्लड की व्यवस्था करो, हमसे रुपए जमा कराकर ऑपरेशन करके कहा कि 5 दिन बाद देखते हैं, यदि कुछ हुआ तो इसका पैर हटाना पड़ेगा। वैसे अभी कोई डरने की बात नहीं है। परिजनों ने कहा कि हमें वहां कुछ संतोषजनक नहीं लगा तो परिजनों ने मिलकर निर्णय लिया कि इसे अपोलो अस्पताल भोपाल लेकर चलते हैं। अपोलो अस्पताल में उनको बताया कि मरीज की मृत्यु करीब 24 घंटे पहले हो गई है। आज इन सभी आरोपों पर अस्पताल प्रबंधन की ओर से आईएमए ने बात की और आरोपों को नकार दिया।

Rohit Nage

Rohit Nage has 30 years' experience in the field of journalism. He has vast experience of writing articles, news story, sports news, political news.

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