प्रसन्नता की अभिव्यक्ति के रूप में कभी पटाखे की शुरुआत हुई होगी। पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ मंगल गीत, स्वागत, अगवानी में प्रस्तुत किए जाते रहे होंगे। वे निश्चित कर्ण प्रिय, सुखद वातावरण में आनंद घोल देते थे। लेकिन वक्त के साथ वह पारंपरिक परिमल जाने कहां उड़ गई, और तेज कानफोड़ू वाद्य यंत्रों और दीवाल तक थरथरा देने वाले पटाखों का चलन बढ़ गया। इसमें भी झूठी शान का मुलम्मा चढ़ाकर लोगों में एक दूसरे को रईसी दिखाने में फूहड़ता का प्रदर्शन करने से बाज नहीं आते।
शिक्षित अशिक्षित सब जानते हैं कि ज्यादा शोर शराबे समूह से जड़ चेतन पर इसका क्या दुष्प्रभाव पड़ता है? कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड एवं अन्य विषैली कैसी-कैसी गैसों का उत्सर्जन होता है, जो जानलेवा होता है। यह जानलेवा प्रदूषण जल, थल, नभ तीनों जगह जीवन के लिए खतरनाक होता है। श्वसनजन्य रोग, खांसी, सिर दर्द तो होता ही है, आंखों की देखने की शक्ति, श्रवण शक्ति, घ्राण शक्ति प्रभावित होती है। वहीं बीपी के पेशेंट, हार्ट पेशेंट के लिए धमाका, शोर शराबा जानलेवा हो जाता है। आसमान प्रदूषित होता ही है, जमीन पर पर्यावरण विषाक्त होता है, तेज आवाज कर ऊपर जाने वाले तथा कथित रॉकेट हवाई जहाज के अवशेष जब नदी तालाब में गिरते हैं, तो जलीय जीव के प्राणों पर बन जाती है।
बताया जाता है न्यायालय और शासन स्तर से इस दिशा में स्पष्ट निर्देश है, पर इसका कड़ाई से पालन कहां होता है? अपनी खुशी व्यक्त करने के और भी तरीके हैं। शोर रहित तेज आवाज न करने वाले पटाखे चलाए जाएं। उनकी डिसएबलटी तय करके कड़ाई से पालन करवाया जाए। कहा जाता है कि विमान के समय होने वाली आवाज की औसत बराबर पटाखे की आवाज होती है। 150 से 175 तक भी हो सकती है जिससे आदमी बहरा भी हो सकता है। हर साल तेज शोर पटाखे की आवाज से जल, थल, नभ स्तर पर कितनी नुकसानदेही होती होगी यह अलग सर्वे का विषय है।
पटाखों का विरोध नहीं है। सर्वहित में बस यही आग्रह है कि जीवन के प्रश्न पर तेज आवाज में बजने वाले वाद्य यंत्रों और तेज आवाज करने वाले पटाखों के चलन पर सरकार के साथ हम स्वयं अपने विवेक से क्यों नहीं नियंत्रण की मोहर लगाएं। खुशी के माहौल में मातम को ना बुलाएं। हर दिन उत्सव पर्व है, सब मिलजुल कर हंसी खुशी से मनायें। देश की तरक्की में हम भी तो अपनी जवाबदारी निभाएं।
अनंत मंगल कामनाओं के साथ, सद्भावना सहित
- पंकज पटेरिया, संपादक शब्द ध्वज
- वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार एवं ज्योतिष सलाहकार