रेशम कीट पालन से मंजू बाई की आर्थिक स्थिति हुई सुदृढ़

Post by: Poonam Soni

होशंगाबाद। बनखेड़ी ब्लॉक के ग्राम तिंदवाड़ा की मंजूबाई उईके (Manjubai Uike) की आर्थिक स्थिति सुधर गयी है। उनको कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग से संचालित स्वावलंबन योजना (self-reliance scheme) के अंतर्गत एक एकड़ भूमि में मलबरी पौधरोपण का भोगाधिकार मिला है जिसमें उन्होंने रेशम कीट पालकर अपनी आर्थिक स्थिति सुधार ली।
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ लें जनजाति समुदाय की महिलाएं अपने उत्थान की नई इबारत लिख रही हैं। वे न केवल आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त हो रही हैं बल्कि आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश की संकल्पना को पूर्ण करने में भी अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर रही हैं।

ऐसी ही कहानी है होशंगाबाद जिले के ब्लॉक बनखेड़ी के ग्राम तिंदवाड़ा की रहने वाली महिला मंजू बाई उईके की, जिन्हें कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग अंतर्गत संचालित स्वावलंबन योजना के तहत 1 एकड़ भूमि पर मलबरी पौधारोपण के लिए भोगाधिकार दिया है जिसमें वह मलबरी पौधारोपण से रेशम कीट पालन का कार्य कर रही हैं। रेशम कीट पालन से मंजू बाई न केवल अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर स्वावलंबी बनी है बल्कि अपने ग्राम में ही स्वरोजगार के रूप में कार्य कर अपने परिवार का अच्छे से पालन पोषण भी कर रही हैं।

मंजू बाई बताती है कि रेशम कीट पालन (silkworm rearing )से पहले उनके पास आय का कोई जरिया नहीं था, बेहद कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते उन्हें अपने परिवार के भरण पोषण में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। ऐसे में मध्य प्रदेश सरकार की स्वावलंबन योजना उनके लिए आशा की किरण लेकर आई, लगा कि इसके माध्यम से वे अपने आर्थिक स्थिति को सुधार सकती है। जिसके बाद उन्होंने योजना का लाभ ले रेशम कीट पालन का कार्य शुरू किया। बताती है कि पिछले 12 वर्षों से नियमित रेशम कीट पालन से अच्छी आय अर्जित कर परिवार का भरण पोषण कर रही है।

वे बताती हैं कि इस कार्य में रेशम विभाग की ओर से भी उन्हें समय-समय पर उन्नत तकनीकी के प्रयोग, अधिक व उच्च गुणवत्तायुक्त कुकून उत्पादन के लिए प्रोत्साहन एवं आवश्यक सहायता भी प्रदान की जाती रही है, जिससे उनकी आय में निरंतर वृद्धि हो रही है। रेशम के कीड़ों का मुख्य आहार शहतूत के पत्ते होते हैं, जिन्हें रेशम के कीड़ों को भोजन के लिए दिया जाता है, जिससे 25 से 30 दिनों में रेशम का कुकून तैयार हो जाता है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020- 21 में उन्हें 1 एकड़ क्षेत्र में 334 किलोग्राम कुकून का उत्पादन किया था, जिससे उन्हें एक लाख आठ हजार रुपए की आय प्राप्त हुई थी। इस कार्य से वे सालाना 80 से 90 हजार रुपए की आय प्राप्त कर लेती है। मंजू बाई अपने गृह ग्राम में ही रोजगार का बेहतर विकल्प मिलने से बहुत प्रसन्न हैं और अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) को बहुत-बहुत धन्यवाद ज्ञापित करती है।

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