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ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के पौराणिक रहस्य और इतिहास सम्‍पूर्ण जानकारी…

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12 ज्योतिर्लिंगों में एक ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़े पौराणिक रहस्य, सम्‍पूर्ण जानकारी …

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास (History of Omkareshwar Jyotirlinga Temple)

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में शिव भक्त कुबेर ने तपस्या कर शिवलिंग की स्थापना की थी। जिससे खुश होकर भगवान शिव ने इन्‍हें देवताओ का धनपति बना दिया था। कुबेर के स्नान के लिए शिव से आग्रह किया जिसके बाद भगवान शिव ने अपनी जटा से कावेरी नदी को उत्पन्न किया था। यह नदी कुबेर मंदिर के बाजू से बहकर नर्मदा में मिलती है, जिसे छोटी परिक्रमा में जाने वाले भक्तो ने प्रत्यक्ष प्रमाण के रूप में देखा है।

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

कावेरी ओमकार पर्वत का चक्कर लगाते हुए नर्मदा नदी से मिलती हैं, इस स्थान पर नर्मदा के दो धाराओं में बहने के कारण बीच मे एक टापू-सा बन गया है। इस टापू को मान्धाता-पर्वत या शिवपुरी कहते हैं। नदी की एक धारा इस पर्वत के उत्तर और दूसरी दक्षिण होकर बहती है। दक्षिण वाली धारा ही मुख्य धारा मानी जाती है।

इसी मान्धाता पर्वत पर श्री ओमकारेश्वर-ज्योतिर्लिंग का मंदिर स्थित है। पूर्वकाल में महाराज मान्धाता ने इसी पर्वत पर अपनी तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न किया था। तब से ही इस पर्वत को मान्धाता-पर्वत कहा जाने लगा। इस ज्योतिर्लिंग के दो स्वरूप होने की कथा पुराणों में दी गई है।

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग परिसर (Omkareshwar Jyotirlinga Campus)

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मन्दिर मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में स्थित हैं ओम्कारेश्वर का शिव मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक है यहां पर नर्मदा स्वयं ॐ के आकार में बहती है ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का परिसर एक पांच मंजिला भवन में बसा है जिसकी पहली मंजिल पर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है तीसरी मंजिल पर सिद्धनाथ महादेव स्थापित है, चौथी मंजिल पर गुप्तेश्वर महादेव और पांचवी मंजिल पर राजेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है।

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

ओमकारेश्वर मंदिर में 15 फीट ऊँचे 60 बड़े बड़े स्तम्भ हैं। मंदिर के में भक्तों के लिए भोजनालय भी चलाया जाता है, जहाँ पर नाममात्र के शुल्क पर भोजन प्रसाद मिलता है। ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग ट्रस्ट का कार्यालय परिसर में ही स्थित है| दर्शन करने के लिए लाइन में लगना होता है। फूल, बेलपत्र, दूध इत्यादि चढाने के लिए VIP दर्शन पास लेना होता है। जो लोग शारीरिक रूप से अक्षम या अति वृद्ध है। उन्हें लाईन में लगने की आवश्यकता नहीं है, उन के लिए भी विशेष दर्शन की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इसके लिए मंदिर के स्टाफ के अधिकारियों से संपर्क कर सकतें है।

सीधे दर्शन हेतु चार्ज

  • ऑनलाइन शीघ्र दर्शन (VIP) टिकट मूल्य :- 500/-
  • ऑनलाइन VIP टिकट बुक करने के लिए मंदिर ट्रस्ट की वेबसाइट लिंक पर – क्लिक करें 

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन समय (Omkareshwar Jyotirlinga Darshan Time)

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन समय

सुबह मंदिर खुलने का समय (Morning Temple Opening Time)

  • सुबह 5 बजे मंगला आरती एवं भोग
  • सुबह 5:30 बजे से दर्शन प्रारंभ

दोपहर के दर्शन समय

  • दोपहर 12:20 से 1:10 बजे मध्यान्ह भोग (दर्शन बंद)
  • दोपहर 1:15 बजे से दर्शन प्रारंभ

रात्रि दर्शन एवं आरती समय (Night viewing and Aarti Time)

  • रात्रि 8:30 से 9:00 बजे – शयन आरती
  • रात्रि 9:00 से 9:35 बजे – भगवान् के शयन दर्शन

ओमकारेश्वर में अभिषेक कैसे करायें

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

मंदिर के मुख्य गर्भगृह में शिवलिंग अभिषेक करने पर प्रतिबंधित लगा है, लेकिन भक्तों को अभिषेक करने में लिए मंदिर में एक अभिषेक हॉल बनाया गया है जहाँ पर मंदिर के पुजारियों द्वारा अभिषेक और पूजन का कार्य करवाया जाता है। शिव का अभिषेक के लिए ओमकारेश्वर मंदिर ट्रस्ट के कार्यालय में संपर्क करें। या आप ऑनलाइन वेबसाइट के माध्यम से अभिषेक करने के लिए बुकिंग कर सकते है।

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के पौराणिक रहस्य

ओमकारेश्वर के ज्योतिर्लिंग के पौराणिक रहस्य

ओमकारेश्वर मंदिर के पुजारी के अनुसार माना जाता है की 12 ज्योतिर्लिंगों में यह एकमात्र ज्योतिरलिंग है जहां शिव पार्वती प्रतिदिन तीनों लोकों में भ्रमण के पश्चात यहां आकर विश्राम करते हैं। भक्तगण एवं तीर्थयात्री विशेष रूप से शयन दर्शन के लिए यहां आते हैं और रोज रात में यहां चौसर-पांसे खेलते हैं।

यहां शयन आरती भी की जाती है, शयन आरती के बाद ज्योतिर्लिंग के सामने रोज चौसर-पांसे की बिसात सजाई जाती है। सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि रात में गर्भगृह कोई नहीं जा सकता, लेकिन जब सुबह देखते हैं तो वहां पांसे उल्टे मिलते हैं, यह अपने आप में एक बहुत बड़ा रहस्य है जिसके बारे में कोई नहीं जानता। ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान शिव की गुप्त आरती भी की जाती है जहां पुजारियों के अलावा कोई भी गर्भगृह में नहीं जा सकता। पुजारी भगवान शिव का विशेष पूजन एवं अभिषेक करते हैं।

मान्यता

मान्यता

ऐसी मान्यता है कि कोई भी तीर्थयात्री देश के भले ही सारे तीर्थ कर ले किन्तु जब तक वह ओमकारेश्वर आकर किए गए तीर्थों का जल लाकर यहाँ नहीं चढ़ाता उसके सारे तीर्थ अधूरे माने जाते हैं। ओमकारेश्वर तीर्थ के साथ नर्मदा नदी का भी विशेष महत्व है। शास्त्र मान्यता के अनुसार जमुना में 15 दिन का स्नान तथा गंगाजी में 7 दिन का स्नान जो फल प्रदान करता है, उतना पुण्यफल नर्मदा के दर्शन मात्र से प्राप्त हो जाता है।

ओमकारेश्वर तीर्थ स्‍थल

ओमकारेश्वर तीर्थ क्षेत्र में चौबीस अवतार, माता घाट (सेलानी), सीता वाटिका, धावड़ी कुंड, मार्कण्डेय शिला, मार्कण्डेय संन्यास आश्रम, अन्नपूर्णाश्रम, विज्ञान शाला, बड़े हनुमान, खेड़ापति हनुमान, ओंकार मठ, माता आनंदमयी आश्रम, ऋणमुक्तेश्वर महादेव, गायत्री माता मंदिर, सिद्धनाथ गौरी सोमनाथ, आड़े हनुमान, माता वैष्णोदेवी मंदिर, चाँद-सूरज दरवाजे, वीरखला, विष्णु मंदिर, ब्रह्मेश्वर मंदिर, सेगाँव के गजानन महाराज का मंदिर, काशी विश्वनाथ, नरसिंह टेकरी, कुबेरेश्वर महादेव, चन्द्रमोलेश्वर महादेव के मंदिर भी दर्शनीय हैं।

मध्‍यप्रदेश का स्विजरलैंड हनुवंतिया टापू, सम्‍पूर्ण जानकारी यह भी देखें…..

ओमकारेश्वर मन्दिर सद्योमुक्ति परम्‍परा क्‍या है?

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मन्दिर में पुराने समय में एक परम्परा प्रचलित थी, जो अब समाप्त कर दी गई है। इस मान्धाता पर्वत पर एक खड़ी चढ़ाई वाली पहाड़ी है। इसके सम्बन्ध में एक प्रचलन था कि जो कोई मनुष्य इस पहाड़ी से कूदकर अपना प्राण नर्मदा में विसर्जित कर देता है, उसकी तत्काल मुक्ति हो जाती है।

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

इस कुप्रथा के चलते बहुत सारे लोग सद्योमुक्ति की कामना से उस पहाड़ी पर से नदी में कूदकर अपनी जान दे देते थे। इस प्रथा को भृगुपतन नाम से जाना जाता था। सती प्रथा की तरह इस प्रचलन को भी अँग्रेजी सरकार ने प्रतिबन्धित कर दिया। यह प्राणनाशक अनुष्ठान सन् 1824 ई  में ही बन्द करा दिया।

ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mamleshwar Jyotirlinga)

पांच मंजिल मंदिर में बने ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग का सही नाम अमरेश्वर मंदिर है। यहाँ हर मंजिल पर शिवालय बना हुआ है। इस मंदिर के आंगन में और छह मंदिर भी हैं। बहुत प्राचीन समय से यहाँ भगवान शिव की पूजा अर्चना की जा रही है। कई वर्षों पहले प्रतिदिन 22 ब्राम्हण सवा लाख शिव लिंगों के द्वारा ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग का पूजन करते थे।

ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन

समय बीतने पर धीरे धीरे यह संख्या घटकर पहले 11 और फिर 5 ब्राम्हणों में सिमट गई है। इस मंदिर में शिव स्त्रोत्र एक शिलालेख के रूप में स्थित है जिस पर 1863 से दिनांकित है।

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा

कई वर्षों पूर्व महामुनि नारद विन्ध्य पर्वत से मिलने पहुंचे। तब विन्ध्य पर्वत बहुत अहंकारी हो चुका था। अपने अहंकार के मद में चूर होकर उसने नारदजी से कहा, मै बहुत विशाल और सर्वगुण सम्पन्न हूं, मेरे जैसा कोई नहीं है। नारदजी को विन्ध्य पर्वत का घमंडी व्यव्हार उचित नहीं लगा। तब नारदजी ने विन्ध्याचल पर्वत के घमंड को तोड़ने के लिए कहा कि भले ही तुम सर्वगुण संम्पन्न हो पर तुम मेरु पर्वत जितने ऊँचे नहीं हो।

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

मेरु पर्वत की ऊंचाई तुमसे बहुत ज्यादा है। नारदजी की बात को सुनकर विन्ध्य पर्वत को बहुत दुख हुआ। जिससे उसे मेरु पर्वत की ऊँचाई से उसे इर्ष्या होने लगी। तब विंध्याचलपर्वत ने भगवान शिव की शरण में जाने का निश्चय किया। जहां कण कण में साक्षात ओंकार उपस्थित हैं। वहां उसने एक मिट्टी का शिवलिंग स्थापित किया और भगवान भोलेनाथ की कठिन तपस्या करने लगा।

कई वर्षो की कठिन तपस्या से भगवान शिव अति प्रसन्न हुए। उन्होंने ने विन्ध्य पर्वत को अपने दिव्य स्वरूप के दुर्लभ दर्शन दिए। भगवान शिव ने विन्ध्य को जिस प्रकार का कार्य करना चाहे, वैसा कार्य करने का वर विन्ध्य को दिया। तब तक वहां कई देवतागण तथा ऋषिमुनि भी उपस्थित हो गये।

उन्होंने भी महादेव की विधिवत पूजा अर्चना की और उनसे प्रार्थना की  हे शिव आप सदैव के लिए यहां स्थापित होकर निवास करें। भगवान अपने भक्तों पर प्रसन्न थे। उन्होंने प्रार्थना को स्वीकार कर लिया। वहाँ स्थित ज्योतिर्लिंग दो स्वरूपों में विभक्त हो गया। एक प्रणव के अन्तर्गत शिवलिंग ओंकारेश्वर और दूसरा पार्थिव लिंग ममलेश्वर एंव अमलेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से विश्वविख्यात हुए।

ओम्कारेश्वर परिक्रमा पथ (Omkareshwar Parikrama Path)

ओम्कारेश्वर परिक्रमा पथ

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में ओमकार पर्वत का परिक्रमा पथ लगभग 7 किलोमीटर लंबा रास्ता हैं जो सीमेंट का बना है। यहा तीर्थ यात्री को रास्‍ते भर सुन्‍दर दृश्य देखने को मिलते है यह रास्‍ते पर बहुत सारे मंदिर व आश्रम है।

परिक्रमा पथ पर स्थित मंदिर (Temple on Parikrama Path)

ऋण मुक्तेश्वार महादेव (Rin Mukteshwar Mahadev)

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के परिक्रमा मार्ग स्थित एक शिव मंदिर ऋण मुक्तेश्वार महादेव के नाम से जाने जाते हैं मान्यता है की यहाँ पूजन करने वाले समस्त ऋणों से मुक्त हो जाते हैं ।

गौरी सोमनाथ मंदिर (Gauri Somnath Temple)

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

ओमकार पर्वत पर स्थित गौरी महादेव का मंदिर ओमकारेश्वर के प्राचीनतम मंदिरों में से एक है इस मंदिर का शिवलिंग लगभग साढ़े छः फीट ऊंचा है। यह शिवलिंग एकदम काले पत्थर का वह चिकना है शिवलिंग के नंदी महाराज भी काफी विशाल आकार में है।

पाताली हनुमान मंदिर (Patali Hanuman Temple)

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की परिक्रमा पथ पर लेटे हुए हनुमानजी का सिद्ध मंदिर है| यह मंदिर गौरी सोमनाथ मंदिर के पास ही है |

रामकृष्ण मिशन साधना कुटीर (Ramakrishna Mission Sadhana Kutir Temple)

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

साधना कुटीर ओमकारेश्वर में रामकृष्ण मिशन का एक साधना केंद्र है जहां पर मिशन के साधु संत नर्मदा किनारे अपनी साधना पूर्ण करते हैं

शिव प्रतिमा मंदिर (Shiv Statue Temple)

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के परिक्रमा पथ पर राज राजेश्वरी सेवा संस्थान द्वारा निर्मित अनेक मंदिरों में एक शिव मंदिर भी है जिस मंदिर पर भगवान शिव की लगभग 90 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है जोकि काफी दूर से भी दिखाई देती है।

अन्नपूर्णा मंदिर (Annapurna Temple)

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

यह प्राचीन मंदिर अन्नपूर्णा मंदिर ट्रस्ट इंदौर द्वारा निर्मित है। इस मंदिर में माता के तीनों रूप माँ लक्ष्मी, माँ पार्वती और माँ सरस्वती विराजमान है। इस मंदिर में भगवान विष्णु की भगवत गीता वाले विराट स्वरूप में 35 फिट ऊंची मूर्ति स्थापित है। यह मंदिर यहाँ के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है।

श्री गजानंद महाराज मंदिर (Shri Gajanand Maharaj Temple)

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

श्री गजानंद महाराज का यह मंदिर भक्त निवास में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण संगमरमर और धौलपुरी के पथ्थरों से किया गया है यह अति सुन्दर और दर्शनीय मंदिर है। यह भक्तनिवास ओम्कारेश्वर में ठहरने का सबसे अच्छा और सस्ता स्थान है।

ओमकारेश्वर पहुँचने के मार्ग (Ways To Reach Omkareshwar)

हवाई मार्ग से

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

ओमकारेश्वर के सबसे पास इंदौर में देवी अहिल्याबाई होल्कर एअरपोर्ट है। यह ओमकारेश्वर से लगभग 84 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। कई शहरों से एयर इंडिया, जेट एयरवेज, इंडिगो, स्पाइस जेट की फ्लाइट्स मिल सकती है। आप इंदौर पहुचने के बाद टैक्सी, बस या कैब से ओम्कारेश्वर पहुँच सकते है।

सड़क मार्ग से

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

ओमकारेश्वर जाने के लिए खंडवा और इंदौर से मध्य प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम बसें चलती है। इसके अलावा कुछ कार,बस, टैक्सी या खुद के वाहन से खंडवा रोड पर बड़वाह, मोरटक्का होते ओमकारेश्वर पहुँच सकते है।

रेलवे मार्ग से

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

ट्रेन से ओमकारेश्वर जाने के लिए खंडवा, इंदौर जंक्शन सबसे पास है। भारत के लगभग शहरों से ट्रेन खंडवा आती जाती है। ट्रेन से खंडवा या इंदौर पहुचने के बाद आप बस, टैक्सी या कैब करके ओम्कारेश्वर पहुच सकते है।

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