रंगपंचमी पर आर्य बंधुओं ने यज्ञ कर की मंगलकामना

Post by: Rohit Nage

इटारसी। रंगपंचमी (Rangpanchami) के अवसर पर आर्य बंधुओं ने यज्ञ का आयोजन कर समाज की बेहतरी के लिए मंगलकामनाएं कीं। यज्ञ आयोजन महर्षि दयानंद गुरुकल आश्रम जमानी (Maharishi Dayanand Gurukal Ashram Jamani) में किया था। इस अवसर पर समाज में सुख-शांति एवं समृद्धि की कामना की। उपस्थित सभी ने एकदूसरे को होली पर्व की शुभकामनाएं दीं।महर्षि दयानंद गुरुकुल आश्रम परिसर में विश्व कल्याण (Vishwa Kalyan) की कामना को लेकर यज्ञ आयोजन किया। यज्ञ आचार्य सत्यप्रिय (Acharya Satyapriya) ने संपन्न कराया। इस अवसर पर भंडारे का आयोजन किया जिसमें सभी ने भोजन प्रसादी ग्रहण की। सभी ने एकदूसरे को गुलाल लगाकर पर्व की शुभकामनाएं प्रदान की।

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उन्होंने कहा कि होली का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि वासंती नवसस्येष्टि अर्थात बसंत ऋतु के नये अनाजों से किया हुआ यज्ञ ही होली का पर्व है। होली, होलिका का अपभ्रंश है। तिनके की अग्रि में भुने हुए (अधपके) शमो धान्य (फली वाले अन्न) को होलक कहते हैं। किसी भी अनाज की ऊपरी पर्त को होलिका कहते हैं। चने, मटर, ेगेहूं, जौ का ऊपरी वाला पर्व। चना मटर, गेहूं व जौ का भीतरी भाग प्रह्लाद कहलाता हे। होली को माता इसलिए कहते हैं क्योंकि वह चना आदि का निर्माण करती हे। यदि यह पर्त न हो तो चना, मटर रूपी प्रह्लाद का जन्म नहींं हो सकता। जब चना, मटर, गेहूं, जौ का भूनते हैं तो ऊपरी परत पहले जलता है और भीतरी परत यानी प्रह्लाद बच जाता है, उस वक्त प्रसन्नता से जयघोष करते हैं कि होलिका माता ने अपने को जलाकर प्रह्लाद को बचा लिया। इस अवसर पर जमानी से हेमंत दुबे, इटारसी से अखिलेश दुबे, जुगलकिशोर शर्मा, बालकृष्ण मालवीय, किशोर सीरिया, आशीष चौधरी, अरविंद मालवीय, कृष्णा राजपूत, धनराज खाड़े, अनुराग दीवान, चंद्रेश मालवीय सहित अनेक सदस्य मौजूद रहे।

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