निजीकरण और केन्द्रीय नीति के विरोध में प्रदर्शन, जीएम को ज्ञापन

Post by: Rohit Nage

ऑर्डनेंस फैक्ट्री में भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
इटारसी। सौ दिवसीय विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम के अंतर्गत आज ऑर्डिनेंस फैक्ट्री इटारसी में भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ ने केंद्र सरकार की निजीकरण एवं कर्मचारी विरोधी नीतियों के विरोध में सुबह गेट पर नारेबाजी की। आयुध निर्माणी कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों ने नारेबाजी के बाद प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन महाप्रबंधक को दिया।
प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन में संघ ने कहा कि दत्तोपंत ठेंगड़ी ने राष्ट्र हित, उद्योग हित, मजदूर हित के लिए भारतीय मजदूर संघ और भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ को अस्तित्व में लाये। उन्होंने कभी भी सभी निजी क्षेत्र के राष्ट्रीयकरण के साम्यवादी दृष्टिकोण को स्वीकार नहीं किया और न ही सभी सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण की पूंजीवादी स्थिति को स्वीकार किया। राष्ट्रीय विकास में निजी क्षेत्र के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र दोनों की अपनी महत्वपूर्ण भूमिका है।

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जब भी हम सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के नारे से गुजरते हैं, तो हम तत्कालीन ओएफबी (अब सात नए निगम), डीजीक्यूए, डीजीएक्यूए, डीआरडीओ, सेना, वायु सेना, नौसेना आदि में रक्षा नागरिकों के सरकारी कर्मचारियों के हितधारक हैं।
सभी कर्मचारी चिंतित हैं कि ओएफबी का निगमीकरण निजीकरण की दिशा में पहला कदम है क्योंकि सार्वजनिक उद्यम विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लिए 04 फरवरी 2021 को सीपीएसई के लिए नई सार्वजनिक क्षेत्र की उद्यम नीति के कार्यान्वयन के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। जिससे सामरिक क्षेत्र/गैर-रणनीतिक क्षेत्र में सीपीएसई को निजीकरण, विलय, किसी अन्य सीपीएसईस के साथ अनुषंगीकरण या बंद करने के लिए लिया जाना है। सामरिक क्षेत्र में सीपीएसई की केवल न्यूनतम उपस्थिति बनाए रखी जानी है। संघ के नेताओं ने केन्द्र सरकार से मांग की है कि वे इस पर पुनर्विचार करें और निजीकरण जैसे विषयों पर उचित निर्णय लें। अपील पर सकारात्मक और रचनात्मक दृष्टिकोण के साथ उचित विचार करें। सरकार पर संगठन ने भरोसा भी किया है कि देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए आप हितधारकों के साथ बातचीत के माध्यम से द्विपक्षीय चर्चा के माध्यम से मुद्दों को हल करने के लिए आगे आएंगे।

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