वास्तविक संत का कभी अंत नहीं होता : पंडित सोमेश परसाई

वास्तविक संत का कभी अंत नहीं होता : पंडित सोमेश परसाई

– ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज को दी श्रद्धांजलि।
इटारसी। श्री ज्योतिष पीठ बद्रिकाश्रम एवं शारदा पीठ द्वारिका (Shri Jyotish Peeth Badrikashram and Sharda Peeth Dwarka’s Peethadheeshwar) के पीठाधीश्वर ब्रह्मलीन शंकराचार्य (Brahmalin Shankaracharya) जगतगुरु स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती (Jagatguru Swami Swaroopanand Saraswati) को सत्संग भवन श्री द्वारकाधीश बड़ा मंदिर (Satsang Bhawan Shri Dwarkadhish Bada Mandir) में शिष्यों, भक्तों एवं नागरिकों ने श्रद्धांजलि दी।
इस अवसर पर विधायक डॉ सीतासरन शर्मा, कृषि उपज मंडी समिति के पूर्व अध्यक्ष भवानी शंकर शर्मा, नर्मदापुरम (Narmadapuram) के विप्र गौरव पंडित सोमेश परसाई, साहित्यकार चंद्रकांत अग्रवाल सहित नगर पालिका परिषद इटारसी (Municipal Council Itarsi) के अध्यक्ष पंकज चौरे, मध्यप्रदेश संस्कृत महाविद्यालय समिति (Madhya Pradesh Sanskrit Mahavidyalaya Samiti) के अध्यक्ष पं. पीयूष शर्मा, संस्कृत महाविद्यालय समिति के सचिव विष्णु पांडे, आचार्य नरेंद्र शास्त्री, नर्मदा अपना अस्पताल (Narmada Apna Hospital) के संचालक डॉ राजेश शर्मा, जनपद पंचायत नर्मदापुरम के अध्यक्ष भूपेंद्र चौकसे एवं कर्मकांडी ब्राह्मण अनिल मिश्रा, मधुकर व्यास, रूपेश व्यास, हर्ष शर्मा, मुरारी उपाध्याय, दीपक मिश्रा आदि ने पुष्पांजलि दी।

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अपने उद्बोधन में चंद्रकांत अग्रवाल ने कहा कि भक्ति कर्म एवं शक्ति की त्रिवेणी ब्रह्मलीन स्वरूपानंद जी थे। स्वरूपानंद जी के 9 वर्ष के जीवन से ही सन्यास ग्रहण करने और शंकराचार्य बनने एवं ब्रह्मलीन होने तक की बात उन्होंने की। विधायक डॉ सीतासरन शर्मा ने कहा कि हम छोटी उम्र में उनके शिष्य बने थे। तब से आज तक पूरा परिवार उनके प्रति समर्पित रहा। वे विनम्र सहज और सरल संत तो थे ही परंतु क्रांतिकारी संत थे। देश की आजादी की लड़ाई में उन्होंने योगदान दिया एवं जेल भी गए। डॉ शर्मा ने कहा कि हमारे परिवार पर स्वामी जी की सदैव कृपा रही। पूर्व मंडी एवं पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष भवानी शंकर शर्मा ने कहा, वास्तविक तौर पर स्वामी व्यक्ति -व्यक्ति में भेद नहीं करते थे। आज के इस युग में जब वर्तमान परिपेक्ष में देखें तो कई संत महात्माओं से मिलने से पहले ही आदमी बहुत परेशान हो जाता है। पंडित सोमेश परसाई ने कहा कि वे बहुत लंबे समय से स्वामी स्वरूपानंद जी के शिष्य रहे हैं। दो बार स्वामी जी उनके निवास पर भी पधारे हैं। स्वामी जी ने जब जो आदेश दिया उसका उन्होंने पालन किया। पंडित सोमेश परसाई ने कहा कि दो पीठों के शंकराचार्य के रूप में केवल स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी सबसे लंबी उम्र तक शंकराचार्य रहे वे वास्तविक संत थे और संत का कभी अंत नहीं होता है। पत्रकार संघ के अध्यक्ष प्रमोद पगारे ने अपने संबोधन में कहा कि ब्रह्मलीन शंकराचार्य जगतगुरु स्वरूपानंद जी सरस्वती एक क्रांतिकारी साधु थे और उन्होंने जीवन भर धर्म जागरण के लिए कार्य किया। देश की आजादी के लिए वे जेल भी गए एवं राष्ट्रीय उत्थान के लिए कार्य करते रहे। इस अवसर पर कर्मकांडी ब्राह्मणों ने शांति पाठ किया। श्रद्धांजलि सभा में 2 मिनट का मौन रखकर स्वामी स्वरूपानंद जी को विनम्र श्रद्धांजलि दी गई।

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AUTHORRohit

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