---Advertisement---
City Center
Click to rate this post!
[Total: 0 Average: 0]

श्री रामजन्म महोत्सव आयोजन का द्वितीय दिवस

By
On:
Follow Us

-केवल सरकारों के भरोसे रामराज नहीं आएगा हमारा भी कर्तव्य है हम राम राज्य की स्थापना मैं सहयोग करें- आचार्य श्री रामकृष्णाचार्य

इटारसी। श्री रामजन्म महोत्सव नर्मदा अंचल का महत्वपूर्ण आयोजन 60 वे वर्ष में श्री द्वारिकाधीश बड़ा मंदिर तुलसी चौक में आयोजित किया जा रहा है। प्रतिदिन धार्मिक आयोजन हो रहे हैं। इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय रामकथाकार श्री श्री 1008 युवराज स्वामी रामकृष्णाचार्य बाल्मीकि एवं तुलसीदासकृत रामायण पर प्रवचन दे रहे हैं।

खचाखच भरे द्वारकाधीश मंदिर परिसर में गुरुवार को व्यासपीठ पर विराजे आचार्य श्री का स्वागत समिति के मुख्य संरक्षक विधायक डॉ सीतासरन शर्मा, संरक्षक प्रमोद पगारे, अध्यक्ष सतीश अग्रवाल सांवरिया, कार्यकारी अध्यक्ष जसवीर छाबड़ा, सचिव अशोक शर्मा, कोषाध्यक्ष प्रकाश मिश्रा, सहकोषाध्यक्ष अमित सेठ एवं भागवत गोष्ठी के सदस्यों ने किया।

महाराज श्री ने कहा कि अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य और ऐतिहासिक मंदिर बन रहा है रामराज्य की कल्पना सभी को है रामराज आना भी चाहिए पर अकेले सरकारों के भरोसे रामराज नहीं आएगा इस कार्य हेतु हमारा भी सहयोग जरूरी है और हमें करना चाहिए।

आचार्य श्री ने कहा कि कर्म प्रधान विश्व करि राखा कर्म ही जीवन में प्रधान है और यदि  बच्चों को व्यासपीठ से कहेंगे की भगवान को पुष्प और पत्ती भेंट कर भगवान उन्हें पास कर देंगे। बिना पढ़े लिखे बच्चे कैसे पास होंगे और क्या बनेंगे इसकी कल्पना से ही भय लगता है। क्योंकि ईश्वर ने कर्म को प्रधानता दी है।

बिना कर्म के हमें किसी से कुछ मिल जाए इसका विचार भी नहीं करना चाहिए। श्री राम कथा को विस्तार देते हुए आचार्य श्री ने कहा कि अयोध्या के राजा चक्रवर्ती सम्राट दशरथ को कोई संतान नहीं होने पर वह बहुत ज्यादा दुखी है तब उन्होंने मंत्री सुमंत को निर्देश दिए कि वह ब्राह्मणों को सादर सहित बुलाकर लाए उनकी जो यज्ञ की इच्छा है।

वह पूरी हो ताकि संतान उत्पत्ति हो सके आचार्य श्री ने कहा कि सुमंत ने राजा के गुरु वशिष्ट सहित सभी ब्राह्मणों को बुलवाया यज्ञ विधि विधान से संपन्न हुआ और जितने दिन यह यज्ञ चलता रहा नगर वासियों और ब्राह्मणों को सभी प्रकार का भोजन कराया जाता रहा यज्ञ के पूर्ण होने पर राजा ने कई प्रकार के दान किए कोई भी व्यक्ति होता ना रहे और कोई भी दिशा बाकी ना रहे  दान किए।

आचार्य श्री ने कहा कि यज्ञ से प्रजापत्य पुरुष प्रगट हुए और उन्होंने राजा को खीर दी राजा दशरथ ने खीर का आधा भाग रानी कौशल्या को बचे हुए आधे भाग में से आधा भाग सुमित्रा को एवं शेष भाग केकई को दिया। उस खीर को खाने के बाद राजा दशरथ की तीनों रानियां गर्भवती हुई एवं चैत्र माह की नवमी तिथि को मध्य दुपहरी में भगवान का जन्म हुआ।

आचार्य श्री ने कहा कि प्रभु श्री राम का जन्म राक्षसी प्रवृत्तियों और रावण के कुल के वध के लिए ही हुआ था। प्रवचन में बांसुरी वादक सोनू साहू, तबले पर संजू अवस्थी, बैंजो पर मिथिलेश त्रिपाठी एवं सुश्री ललिता ठाकुर ने भजनों की आकर्षक प्रस्तुतियां दी।

For Feedback - info[@]narmadanchal.com
Join Our WhatsApp Channel
Advertisement

Leave a Comment

error: Content is protected !!
Narmadanchal News
Privacy Overview

This website uses cookies so that we can provide you with the best user experience possible. Cookie information is stored in your browser and performs functions such as recognising you when you return to our website and helping our team to understand which sections of the website you find most interesting and useful.