इटारसी। न्यूयार्ड स्थित प्रज्ञा बौद्ध विहार को लेकर एक ही समाज के लोग दो फाड़ हो चुके हैं। वर्चस्व को लेकर यह विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। डॉ. अंबेडकर की जयंती मनाने को लेकर दूसरे संगठन को पहले तो एसडीएम ने अनुमति दी, लेकिन कार्यक्रम के एक दिन पहले ही अनुमति को निरस्त कर दिया। तब समाज के लोग पहले बाहर बैठे रहे, इसके बाद एसडीएम कार्यालय पहुंचकर विरोध जताया।
न्यूयार्ड स्थित इंद्रानगर में पिछले पंद्रह सालों से संचालित बौद्ध विहार में 14 अप्रैल को एक समूह ने डॉ. अंबेडकर की जयंती मनाई, उस दिन कोई विवाद ना हो इसलिए दूसरे समूह ने 20 अप्रैल का दिन जयंती मनाने निर्धारित किया था। बकायदा दूसरे समूह ने बौद्ध विहार में जयंती कार्यक्रम मनाने प्रशासन से अनुमति भी ली थी।
अनुमति मिलने के बाद समाज के दूसरे समूह ने पूरी तैयारी कर ली। समाज के लोगों के साथ ही उपस्थित होने वाले अतिथियों को भी आमंत्रित किया था। लेकिन कार्यक्रम के ठीक एक दिन पहले शाम लगभग सात बजे अचानक प्रशासन ने बौद्ध विहार में होने वाले उनके आयोजन की अनुमति को निरस्त कर दिया। सुबह जब समाज के लोग बौद्ध विहार पहुंचे तो गेट में ताला बंद मिला, जब यहां के अध्यक्ष रामदास निकम के पास वह गेट की चाबी लेने के लिए पहुंचे तो उन्होंने चाबी देने से इनकार कर दिया। तब समाज के महिला पुरूषों ने गेट के सामने ही बैठकर जमकर विरोध किया। उन्होंने अध्यक्ष रामदास निकम के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे भी लगाए। इस दौरान यहां कोई विवाद की स्थिति न बने इसके लिए पुलिस भी मौजूद रही।
तहसील पहुंचकर किया प्रदर्शन
बताया जा रहा है कि दूसरे गुट द्वारा जो कार्यक्रम किया जाना था उसकी पूरी तैयारियां हो चुकी थी। लेकिन गेट बंद होने के कारण समाज के लोग पहले बाहर ही बैठे रहे, इसके बाद वह तहसील कार्यालय पहुुंचकर विरोध जताया। उन्होंने तहसीलदार हीरू कुमरे से आयोजन को निरस्त करने का कारण पूछा लेकिन वह भी कुछ नहीं बता पाए।
दरअसल जब से प्रज्ञा बौद्ध विहार संचालित हो रहा है, तभी से यहां के अध्यक्ष रामदास निकम लगातार बनते आ रहे थे। लेकिन बौद्ध विहार में होने वाली गतिविधियों एवं अन्य कार्यक्रमों में होने वाले खर्च को लेकर कोई भी आय व्यय का ब्यौरा प्रस्तुत नहीं कर रहे थे। तब तीन साल पहले अध्यक्ष बदलने को लेकर समाज के लोगों ने सहमति जताई तो सुनील डोंगरे को यहां का अध्यक्ष चुन लिया। लेकिन कुछ समय बाद ही रामदास निकम ने एक कार्यक्रम आयोजित कर चुनाव कराकर स्वयं अध्यक्ष बन गए। तभी से एक ही समाज के लोग दो फाड़ हो गए। अब वर्चस्व को लेकर उनकी लड़ाई जारी है।
दूसरे गुट के चंद्रकांत बहारे ने कहा कि बौद्ध विहार में जयंती कार्यक्रम को लेकर 17 अप्रैल को प्रशासन ने अनुमति दी थी। कार्यक्रम की पूरी तैयारी हो चुकी थी। कार्ड वितरित कर दिए थे। भोजन व्यवस्था भी पूरी हो चुकी थी। लेकिन अचानक शाम के समय कार्यक्रम को निरस्त करने आदेश जारी हो गए, जो समझ से परे है।
भारतीय बौद्ध महासभा ने मांगे दस्तावेज
भारतीय बौद्ध महासभा के अध्यक्ष सुनील डोंगरे सहित समाज के अन्य लोगों ने एसडीएम के नाम तहसीलदार को ज्ञापन देते हुए कहा कि कार्यक्रम को लेकर उनकी अनुमति को क्यों निरस्त किया गया। वहीं बौद्ध विहार के विवाद को सुलझाने के लिए रामदास निकम का नियुक्ति पत्र, विहार की रजिस्ट्री के साथ ही यह भी उपलब्ध कराया जाए कि बौद्ध विहार भारतीय बौद्ध महासभा के अधीन है या फिर द बुद्धिष्ट सोसायटी आफ इटारसी के, ताकि विवाद का समाधान हो सके। इस संबंध में जब वंदना आगलावे ने कहा कि रामदास निकम गलत तरीके से चुनाव कराकर अध्यक्ष बने हैं, इसके बाद से वह हम लोगों को बौद्ध विहार आने से प्रतिबंधित कर दिया।