इटारसी। सोसायटी फॉर प्राइवेट स्कूल डायरेक्टर्स (Society for Private School Directors) जिला संगठन प्रतिनिधिमंडल ने कलेक्टर को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के पालन हेतु मार्गदर्शक निर्देश प्रसारण के लिए ज्ञापन प्रस्तुत किया।
प्रदेश संगठन मंत्री रविशंकर राजपूत (State Organization Minister Ravi Shankar Rajput) ने बताया की महामारी में जो कम छात्र संख्या वाले बजट स्कूल हैं, पूरे प्रदेश में ऐसे स्कूलों को आर्थिक रूप से अत्यधिक परेशानियों का सामना करना पड़ा है और इसके लिए शासन के आदेश निर्देश भी बहुत हद तक व्यापक प्रचार-प्रसार नहीं होना कारण रहा है। गैर अनुदान प्राप्त विद्यालय पालकों के द्वारा प्राप्त शुल्क से ही संचालित होते हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने ऐसे स्कूलों की समस्त बकाया शुल्क में विवाद समाप्त करते हुए 19-20 सत्र तक की शुल्क का शेष एवं 20-21 की शुल्क पुरानी फीस की 85 प्रतिशत और यदि उसमें भी असुविधा हो तो विद्यालय प्रबंधन के साथ पालक उचित कारण सहित निवेदन देने पर छूट प्राप्त कर सकता था। इस सभी के लिए 5 अगस्त 2021 तक का समय 6 किश्तों में मार्च से जमा करने के लिए आदेश का आज तक पालन नहीं किया जा रहा है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्कूलों की आर्थिक निर्भरता शुल्क को न्याय संगत मानते हुए यदि यह आदेश प्रदान किया है तो बिना शुल्क भुगतान के पालक द्वारा बच्चे को अन्यत्र विद्यालय या शासकीय प्रधानाचार्य द्वारा उसे अपने विद्यालय में दर्ज करके विद्यालयों को अत्यधिक आर्थिक नुकसान पहुंचाया है, जो सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना है। बिना टीसी के प्रवेश संबंधी पूर्व के आदेश को निरस्त करने का आयुक्त कार्यालय से प्राप्त पत्र में स्पष्ट रूप से शिक्षा के अधिकार कानून की धारा 5 का वर्णन है, कोई भी पालक इस धारा को गूगल में सर्च करके अध्ययन कर सकता है जिसमें यह स्पष्ट लिखा है कि यदि आठवीं तक अनिवार्य शिक्षा के लिए शासकीय या अनुदान प्राप्त विद्यालय में बच्चे को कोई बाधा आ रही है, तो वह अन्य किसी विद्यालय में प्रवेश लेने स्वतंत्र होगा परंतु गैर अनुदान प्राप्त विद्यालय एवं विशेष विद्यालयों से इस प्रकार का बिना टीसी के पलायन इस कानून के अंतर्गत नहीं आता। जबकि इन दोनों प्रकार के विद्यालय शासकीय अनुदान प्राप्त विद्यालयों से आए हुए छात्र-छात्राओं को उनकी शिक्षा निर्बाध करने बिना टीसी के प्रवेश दे सकते हैं जो शिक्षा के अधिकार कानून की मूल मंशा है। वर्तमान में करोड़ों विद्यार्थी शासकीय स्कूल के स्थान पर निजी विद्यालयों में इस कानून के अंतर्गत इसी कारण पढ़ रहे हैं क्योंकि उन्हें शासकीय स्कूल की जगह निजी विद्यालयों पर सर्वांगीण शिक्षा पर विश्वास था।
सोपास जिलाध्यक्ष राजेश दुबे (Sopas District President Rajesh Dubey) ने कहा कि वर्तमान परियोजना समन्वयक के साथ-साथ सीईओ एवं कलेक्टर द्वारा पहली बार इतनी बड़ी संख्या में विद्यालयों से जुड़े हुए परिवारों की दीपावली मनाने में पूरे रूप से सहायता प्रदान की जो कि विद्यालयों का अधिकार था और पूर्व में इस अधिकार को प्राप्त करने कार्यालय के चक्कर लगाना पड़ता। वर्तमान समय में पुन: परीक्षा का दौर प्रारंभ हो गया है, इसलिए कार्यकारी जिलाध्यक्ष आलोक राजपूत ने जानकारी दी कि ऐसे समय में जनसुनवाई में फीस संबंधी प्रकरण बढऩे की स्थिति को न्यायोचित मार्गदर्शी सिद्धांत के द्वारा जिले में शिक्षा के वातावरण को दूषित होने से बचाया जा सकता है। संगठन के प्रदेश पदाधिकारी एवं जिले के समस्त अधिकारियों द्वारा कमिश्नर, कलेक्टर एवं संयुक्त संचालक से भेंट करके सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की जिले में पालन कराने की मांग की गई। ज्ञापन देने वालों में आलोक राजपूत, प्रशांत जैन देवी सिंह राजपूत ,सुभाष दुबे, जितेंद्र राजपूत, हरगोविंद शुक्ला, मोहन लाल गौर एवं ब्लाक अध्यक्ष रिजवान हैदर, शरद शास्त्री सहित प्रत्येक ब्लॉक से प्रतिनिधिमंडल उपस्थित थे।