राष्ट्र के लिए बलिदान देने की ताकत सुभाष चंद्र बोस में थी

Post by: Aakash Katare

इटारसी। यहां से करीब 40 किलोमीटर दूर आंवली घाट के समीप सिवनी मालवा तहसील के गांव बुंदारा कला के श्री रावतपुरा सरकार आश्रम परिसर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) की जयंती मनाई गई।

मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद पगारे (senior journalist pramod pagare) उपस्थित थे। श्री सुधाकर गौर एवं धीरज गौर कार्यक्रम के आयोजक थे।

इस अवसर पर स्कूली बच्चे एवं गांव के सेवा में सहयोग करने वाले ग्रामीण जनता उपस्थित थी। श्री रावतपुरा सरकार आश्रम में नेहरू युवा केंद्र के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम में प्रमोद पगारे और वरिष्ठ पत्रकार संजीव डे राय का शॉल, श्रीफल, स्मृति चिह्न एवं पुष्पहार से सम्मान किया।

अपने संबोधन में प्रमोद पगारे ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस अद्वितीय प्रतिभा के धनी थे। राष्ट्रप्रेम की भावना राष्ट्र के प्रति समर्पण तथा भारत मां को आजाद कराने का वह सपना नहीं देखते थे बल्कि देश को आजाद कराने के लिए प्राण पण से जुटे रहते थे। उन्होंने ही देश की आजादी के पहले अंडमान निकोबार में 30 दिसंबर 1943 को तिरंगा फहराया था।

1939 में कांग्रेस का त्रिपुरी अधिवेशन जो मध्यप्रदेश के जबलपुर में हुआ था उसमें उन्होंने गांधी जी के प्रत्याशी पट्टाभि सीता रमैया को कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में हराया था। जबकि सुभाष चंद्र बोस बहुत बीमार थे। उन्हें जबलपुर के रेलवे स्टेशन से एंबुलेंस के माध्यम से त्रिपुरी अधिवेशन लाया गया था।

मध्यप्रदेश के जबलपुर जेल में उनको दो बार 1931 और 1933 में अंग्रेजों ने बंद कराया गया था। आजाद हिंद फौज और फारवर्ड ब्लाक की स्थापना उन्होंने ही की थी। 1897 में उड़ीसा के कटक में जन्म लेने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस 23 जनवरी 1945 को हमारे बीच नहीं रहे।

इस अवसर पर सुधाकर गौर एवं संजीव डे राय ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। गांव में सेवा कार्य करने वाले पुरुष एवं महिलाओं को भी सम्मानित किया गया।

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