वन, वन्य-जीव, पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन के सफल प्रयास

Post by: Poonam Soni

भोपाल। वन विहार 26 जनवरी 1983 को विधिवत राष्ट्रीय उद्यान (Duly national park) घोषित किया गया था। इसे मीडियम साइज जू का दर्जा 24 नवम्बर 1994 को प्राप्त हुआ। वन विहार राष्ट्रीय उद्यान एवं जू लगातार वन, वन्य-जीव एवं पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन में प्रयासरत है।

संचालक, वन विहार राष्ट्रीय उद्यान एच.सी. गुप्ता ने बताया कि वन विहार में 08 बारासिंघा को उनके बाड़े से स्वतंत्र क्षेत्र में स्वच्छन्द विचरण हेतु मुक्त किया गया, जो सफल प्रयोग रहा एवं वर्तमान में इनकी संख्या में दो की वृद्धि हुई है। केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण द्वारा वन विहार को विश्व स्तरीय स्परूप प्रदान करने की दृष्टि से स्विटजरलैंड (Switzerland) के जूरिक जू से तकनीकी आदान-प्रदान हेतु एम.ओ.यू. अंतिम दौर में पहुँचा। कोरोना के संक्रमण प्रसार को रोकने हेतु वन विहार 10 अप्रैल से 16 जून, 2021 तक पर्यटकों हेतु बंद रहा। इस दौरान शासन द्वारा जारी कोविड गाईड लाईन का प्रबंधन द्वारा प्रभावी पालन किया गया, जिससे कोई भी संक्रमण का केस वन विहार में नहीं हुआ।

आजादी के अमृत महोत्सव (Amrit Mahotsav) के परिपेक्ष्य में केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण द्वारा निर्धारित बारासिंघा वन्य-प्राणी पर 04 जुलाई 2021 से 11 जुलाई 2021 तक एक सप्ताह का अमृत महोत्सव का सफलतम आयोजन किया गया। इस वर्ष कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय इंदौर दो मादा एवं दो नर घड़ियालों का वन विहार में 3 अगस्त, 2021 को आगमन हुआ। प्रतिवर्ष की भांति राज्य स्तरीय वन्यप्राणी सप्ताह 2021 का आयोजन 01 अक्टूबर 2021 से 07 अक्टूबर 2021 तक किया गया, जिसमें विभिन्न कार्यक्रमों में विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं विभिन्न संस्थाओं के लगभग 1900 विद्यार्थियों और प्रतिभागियों द्वारा उत्साहपूर्वक भाग लिया गया। वन विहार के नव निर्मित वृत्त चित्र का प्रदर्शन वन्यप्राणी सप्ताह के समापन कार्यक्रम में किया गया।

वन विहार प्रबंधन द्वारा 7 अक्टूबर 2021 को पर्यटकों को एक नई सौगात नवीन सर्प व्याख्या केन्द्र के उद्घाटन से मिली। साथ ही इसी दिवस नेचर ट्रेल का शुभारंभ भी किया ताकि जिज्ञासु पर्यटक वन, वन्य-जीव एवं पर्यावरण को बेहतर रूप में समझ सकें।

वन्य-प्राणियों के संरक्षण एवं उचित उपचार के क्षेत्र में वन विहार की भूमिका परम्परा अनुसार जारी रही। इस कलेंडर वर्ष में एक टाईगर एवं चार लेपर्ड को गंभीर अवस्था से स्वस्थ स्थिति में लाकर उन्हें प्राकृतिक रहवास में सुरक्षित छोड़ा गया। शाकाहारी वन्य-प्राणियों की प्रचुर उपलब्धता को देखते हुये बोमा पद्धति से चीतल ट्रांसलोकेशन का कार्य पुनः प्रारंभ किया गया, जिसमें प्रथम परिवहन में 22 चीतलों को सुरक्षित गांधी सागर अभयारण्य मंदसौर स्थानांतरित किया गया।

वन विहार में जन-संवाद केन्द्र का निर्माण कर आगंतुक पर्यटकों से प्रत्यक्ष चर्चा कर उनकी जिज्ञासाओं का समाधान का नवीनतम प्रयास इस वर्ष की विशेष उपलब्धि रही है। वन विहार प्रबंधन द्वारा वन्य-प्राणियों हेतु रहवास सुरक्षा कार्य जल संरक्षण के प्रयास सफल रूप में जारी रहे हैं।

Leave a Comment

error: Content is protected !!