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बहुरंग : जनकवि संतोष चौरे का यूं चले जाना

Manju Thakur

– विनोद कुशवाहा :  वैसे तो अक्सर “बहुरंग” में आनंद का अतिरेक ही मौजूद रहता है लेकिन आज इस कॉलम ...

बहुरंग : “चाँद” को याद करने का दिन

Manju Thakur

– विनोद कुशवाहा आज निश्चित ही ‘ चाँद ‘ को याद करने का दिन है लेकिन ये “चाँद” आसमां का ...

बहुरंग : किताबें करती हैं बातें …

Manju Thakur

– विनोद कुशवाहा

बहुरंग : शराब चीज ही ऐसी है …!

Manju Thakur

– विनोद कुशवाहा पंकज उदास ने इस ग़ज़ल को जब अपना स्वर दिया था तो उन्होंने सोचा भी नहीं होगा ...

लॉक डाउन : मध्यमवर्गीय पारिवार का द्वन्द और समाधान

Manju Thakur

बहुरंग में सतीश “सब्र’ की कहानी हौंसला शहर में संघर्ष नामक कर्मठ, चिंतनशील मध्यमवर्गीय युवा है। उसकी पत्नी इक्षा पढ़ी ...

संजय की ‘रामलीला’ के रंग : “देवदास” के संग

Manju Thakur

आज बहुरंग में विनोद कुशवाहा के संग  संजय लीला भंसाली फ़िल्म इंडस्ट्री की पहली ऐसी शख़्सियत हैं जिन्होंने अपने साथ ...

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