इटारसी। नगर के नेहरूगंज (Nehruganj) में करीब छह दशक पुराने एक मकान को तोडऩे गया प्रशासनिक अमला मोहल्ले के लोगों के विरोध के बाद बैरंग लौट गया। मौके पर तहसीलदार राजीव कहार एवं सीएमओ (CMO) हेेमेश्वरी पटले ने कब्जाधारी परिवार को दोबारा नोटिस (Notice) देने के निर्देश दिए हैं। कार्रवाई के दौरान पूरे इलाके में गहमागहमी बनी रही।
नेहरूगंज में गांधीनगर (Gandhinagar) निवासी मानवेन्द्र पांडेय का एक पुश्तैनी मकान है। इस मकान में वेंडरी करने वाले जयसिंह भदौरिया का परिवार रहता है। पांडेय का दावा है कि इस मकान पर एसडीएम न्यायालय (SDM Court) ने धारा 133 पब्लिक न्यूसेंस एक्ट (Public Nuisance Act) का नोटिस जारी किया था। नगर पालिका (Municipality) ने भवन को मानव के रहने हेतु अयोग्य घोषित कर इसे खंडहर मानकर तोडऩे के नोटिस दोनों पक्षों को जारी किया था। आज तहसीलदार राजीव कहार, सीएमओ हेमेश्वरी पटले, टीआई रामस्नेही चौहान भारी पुलिस बल एवं महिला अधिकारियों की टीम लेकर मकान तोडऩे पहुंचे थे, यहां कार्रवाई के विरोध में मोहल्ले के लोग एवं कब्जाधारी परिवार के अधिवक्ता की जमकर बहस हो गई, आखिरकार विवाद के चलते टीम मकान को तोड़े बिना वापस लौट गई। अधिकारियों का कहना है कि एक बार फिर नोटिस जारी किया जाएगा।
मानवेन्द्र पांडेय का ये कहना
यह लोग हमारे किराएदार नहीं हैं, पिछले दस सालों से मकान पर इनका अनाधिकृत कब्जा है, कोई किराया नहीं दिया। नगर पालिका एवं एसडीएम न्यायालय इसे खंडहर भवन घोषित कर चुका है, प्रशासन इसे तोडऩे पहुंचा तो मोहल्ले के लोग हमारा विरोध करते हुए महिला अधिकारी पर दबाव बनाने लगे। दस साल पहले भदौरिया ने न्यायालय में मेरे खिलाफ झूठा परिवाद दाखिल कर धमकाने एवं मकान खाली कराने का आरोप लगाया था, न्यायालय ने मुझे वैधानिक मालिक बताते हुए सिर्फ बारिश को देखते हुए अस्थाई राहत दी थी, बाद में लोक अदालत में समझौता हुआ कि अवैधानिक रूप से मकान खाली न कराएं, लेकिन मालिक वैधानिक कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है। समझौता डिक्री का उपयोग वैधानिक कार्रवाई को रोकने का प्रयास नहीं किया जाएगा। प्रशासनिक टीम को कार्रवाई करने से रोका गया।
कब्जाधारी जयसिंह भदौरिया का ये कहना
हमारा परिवार पिछले 60 सालों से यहां किराए से रह रहा है। मेरे पिताजी ने मकान 35 रुपये प्रतिमाह किराए पर लिया था। कोर्ट में खाली कराने श्री पांडेय ने प्रकरण लगाया। हमारी बिजली कटवा दी थी, कोर्ट नोटिस (Court Notice) पर इसे जुड़वाया, पिछला हिस्सा पांडेय परिवार के कब्जे में था, जिसे वह बेच चुके हैं। हम चाहते हैं कि इसे हमें ही बेच दिया जाए, हम बाजार दर से पैसा देने को राजी हैं। हमें देने की जगह ये खाली कराना चाहते हैं, इसका स्थगन भी हमें मिला था, बिना नोटिस प्रशासनिक अधिकारी तोडऩे आ गए थे।
इनका कहना है..
इस मामले में सिविल न्यायालय से आदेश हुआ था, जिसमें दोनों पक्षों में समझौता डिक्री जारी हुआ कि बिना वैधानिक कार्रवाई दोनों पक्ष एक-दूसरे को परेशान नहीं करेंगे, इसके बावजूद बिना नोटिस दिए अधिकारी सीधे मकान तोडऩे पहुंच गए। मानसून सिर पर है, ऐसे में मकान नहीं तोड़ा जा सकता। विधि आदेश के मामले में प्रशासन जब तक कार्रवाई नहीं कर सकता, जब तक सिविल या अपर न्यायालय से कोई नया प्रावधान जारी न हो। यह कोर्ट की अवमानना होगी।
संतोष गुरयानी, वरिष्ठ अधिवक्ता