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नाटक मंचन: फिल्मी दुनिया चकाचौंध से भरी, यहाँ है हद से ज्यादा काॅम्पिटिशन

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नाटक “ए जर्नी आॅफ एन एक्टर” में दिखाया डिप्रेशन

भोपाल। हमारी बॉलीवुड फिल्मी दुनिया चकाचौंध से भरी दिखाई देती है जो हमेशा सभी को आकर्षित करती रही है । लेकिन इसके पीछे का कड़वा सच कोई नहीं जानता जो है डिप्रेशन यानी अवसाद, तनाव। इसी फिल्मी दुनियां के सितारों की कहानियों की हकीकत कभी-कभी हमें चैंका देती है। इसके पीछे का कारण आज तक कोई नहीं जान पाया लेकिन कुछ जानकारों का कहना है कि इसके पीछे का कारण है हद से ज्यादा  कॉम्पिटिशन और सबसे आगे निकलने की होड़। असफल होने पर यह सितारे डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। बॉलीवुड के आज के कई सुपर सितारे कभी डिप्रेशन का शिकार हुए हैं। हाल ही में अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने भी डिप्रेशन के चलते आत्महत्या करली। इसी कड़वे सच को दिखाता डॉ आजम खान का लिखित नाटक “ए जर्नी ऑफ एन एक्टर” बॉलीवुड की सच्चाई हमको दिखाता है। यह कहानी ऐसे कलाकारों पर आधारित है जो अपने अपने शहर में जाना पहचाना नाम होते हैं जिसके चलते वो मुंबई फिल्मी नगरी में काम करने का एक सपना लेकर आते हैं । वह सपना होता है बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में एक सफल सितारा बनने का ।

यह है कहानी
ऐसे साधारण कलाकारों की जो आपको हर शहर में मिल जाएंगे और अपने अपने शहरों में थिएटर ग्रुप से जुड़कर नाटक करते हैं और एक बड़ा कलाकार बनने का सपना सजोकर मुंबई जाते हैं। अपनी किस्मत को आजमाने और कुछ सफल हो पाते हैं और कुछ असफल जैसा कि हम सभी जानते हैं। फिल्म एक ऐसा माध्यम है, एक साधारण एक्टर को रातों रात स्टार बना देती है वह भी केवल एक हिट फिल्म देकर। बस कुछ ऐसा ही सपना लेकर 4 कलाकार मुंबई आते हैं। वह भी अलग-अलग शहरों से। नाटक में 4 कलाकारों बद्रीनाथ साहू, आकाश मिश्रा, कबीर और पूजा वर्मा के जीवन को दिखाने की कोशिश की है। बद्रीनाथ साहू अपनी गर्लफ्रेंड से यह वादा कर मुंबई जाता है कि बहुत जल्दी वह बहुत बड़ा म्यूजिक डायरेक्टर बनेगा और आकर उससे शादी करेगा परंतु वादा सिर्फ एक साल का किया था कि लौट कर आएगा और मुंबई में कब 5 साल गुजर गए पता ही नहीं चला और वह 5 साल के बाद भी स्ट्रगल ही कर रहा है। वहीं दूसरी ओर आकाश मिश्रा एक बिंदास लड़का है, जिसकी सोच है कि किसी प्रोड्यूसर की लड़की को पटालो और उसके बाप की फिल्म में हीरो बन स्टार आसानी से बन जाएगा। आकाश कभी अपने शहर में नाटक करता था और यह भी मुंबई एक सफल कलाकार बनने का सपना लेकर आया है।

यह है डिप्रेशन की कहानी
कबीर पटना का रहने वाला है और पटना में नाटकों में अभिनय करता था और अच्छा अभिनय करने के कारण इसका सिलेक्शन नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में हो जाता है और वहां से सर्वश्रेष्ठ अभिनेता की उपाधि गोल्ड मेडल लेकर निकलता है फिर मुंबई पहुंचता है। एक सुपरस्टार बनने का सपना लेकर! इस नाटक के माध्यम से एक और सच्चाई दिखाने की कोशिश की है कि कैसे कबीर के पड़ोस में रहने वाली पूजा वर्मा नामक लड़की कबीर को क्राइम पेट्रोल सीरियल में काम करते देख मुंबई आ जाती है। यह सोचकर कि कबीर भैया उसको फिल्मों में काम दिला देंगे। लेकिन कबीर को खुद काम नहीं मिल रहा है। वह उसको मना कर देता है और फिर पूजा वर्मा काम पाने की इतनी इच्छुक हो जाती हैं कि वह कास्टिंग काउच का सहारा लेकर एक सफल अभिनेत्री बन जाती है और उसकी सफलता को कबीर बर्दाश्त नहीं कर पाता और उसका दोस्त उसको बताता है। ये कास्टिंग काउच का सहारा लेकर इतनी बड़ी अभिनेत्री बनी है और फिर कबीर भी एक निर्देशक के साथ कोम्प्रोमाईज करलेता है लेकिन वो निर्देशक उसको फिल्म में नही लेता और कबीर डिप्रेशन में आ जाता है और नाटक के अंत में वह आत्महत्या कर लेता है।

जनता से अपील
इस नाटक के माध्यम से हमने यह सच्चाई भी दिख लाने की कोशिश की है कि कैसे मुंबई में लोग स्ट्रगल करते हैं और उनके साथ क्या क्या परिस्थितियां बनती है और अगर उनके साथ कुछ गलत होता है तो वह क्यों होता है और उसके पीछे जिम्मेदार कौन होता है। वहीं दूसरी ओर हमने इसमें मीडिया का सच भी दिखाने की कोशिश की है और जनता से एक अपील भी की है कि अगर आपके सामने कुछ गलत होता है तो उसके लिए आप सभी लोग आवाज उठाएं क्योंकि जीत हमेशा सच की होती है।

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